Pushp

पुष्प | Pushp

पुष्प

( Pushp )

 

टूट के डाल से जुदा हो गया
फूल तो अपना नूर खो गया

मुरझाया मगर खुशबू दे गया
बिन कहे बहुत कुछ कह गया

जिंदगी बस यूं ही तमाम होगी
मुस्कुराया अलविदा हो गया

नाम था अब बेनाम हो गया
काम का अब बेकाम हो गया

नियति का उसे भान हो गया
मिट्टी में वह अनुगमन हो गया

पत्तों का आना प्रारंभ हो गया
नई कली का आगमन हो गया

दरख़्तों में भी आने लगे परिंदे
वीराना थाआज गुंजार हो गया

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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