Hindi Poem on Zindagi
Hindi Poem on Zindagi

जिंदगी जब हम जीने लगे

( Zindagi jab hum jeene lage ) 

 

जिंदगी जब हम जीने लगे
गम के घूंट थोड़े पीने लगे
अश्रु टपके नयन से हमारे
अपनो को वो पसीने लगे

जिंदगी जब हम जीने लगे
लबों को धीरे से सीने लगे
बातों में वजन कितना है
साबित होने में महीने लगे

जिंदगी जब हम जीने लगे
बहारों के मौसम झीने लगे
शब्दों के मोती बरसे नजर
कसीदे भी ताजा तरीने लगे

जिंदगी जब हम जीने लगे
घाट घाट का नीर पीने लगे
जीने का सलीका पाया है
लफ्ज़ मीठे भाव भीने लगे

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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