Phool par Kavita
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टूटकर फूल डाली से

( Toot kar phool daali se ) 

 

टूटकर फूल डाली से गिरा जब चमन में
बगिया हर्षित हुई थी भाव उमड़े मन में
खुशबुओं को यूं समेटे समाए हो तन में
चेहरे की हो मुस्कान उमंग सारे बदन में
टूटकर फूल

ना फूली समाई थी जब दुनिया ये सारी
फूल सुगंधित महकाई केसर की क्यारी
पंछी कलरव करने लगे थे होकर मगन वे
झूम उठी वृक्ष लताएं पुष्प सारे चमन में
टूटकर फूल

मनमयूरा झूमा यूं गीत सुरीले गाने लगे
सुरभित बहारें आई सुमन महकाने लगे
हर्षित सी मौजे चमेली मोगरा गुलाब से
दिल की बगिया में सुनहरे वो ख्वाब थे
टूटकर फूल

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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