प्यार की हो बहार

प्यार की हो बहार | Ghazal pyar ki ho bahar

प्यार की हो बहार

( Pyar ki ho bahar )

 

प्यार की हो बहार आज़म पे

रोज़ हो बेशुमार आज़म पे

 

दर्द ग़म भूल जाये जीवन के

बरसे इतना बस प्यार आज़म पे

 

दर्द ग़म झेलता रहा हूं मैं

खुशियां बरसे अब यार आज़म पे

 

रब मिला दें मुझे उसी से अब

जिसका है अब ख़ुमार आज़म पे

 

लौट आ बनके प्यार जीवन में

मत करा इंतजार आज़म पे

 

रब मिटा दें यादें  किसी की अब

भेज दें रब क़रार आज़म पे

 

हो सरारे जिसमें मुहब्बत के

आऐ ऐसी दयार आज़म पे

 

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

 

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