मुहब्बत में मुझे धोखा दिया है
मुहब्बत में मुझे धोखा दिया है

मुहब्बत में मुझे धोखा दिया है

( Muhabbat me mujhe dhokha diya hai )

 

 

मुहब्बत में मुझे धोखा दिया है

किसी ने दर्द ग़म ऐसा दिया है

 

दवा करने से भी भरता नहीं ये

जिगर पे जख़्म वो गहरा दिया है

 

रुलाये याद बनकर रोज़ दिल को

वफ़ाओ का सिला कैसा दिया है

 

निभा पाया नहीं पहले का वादा

नया इक और फ़िर वादा दिया है

 

मुहब्बत का बना वो हम सफ़र कब

उसनें तो यादों का लम्हा दिया है

 

निभा कैसे भला वो प्यार आज़म

इशारा  प्यार  ही  झूठा  दिया है

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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