प्यार की कब बहार देखी है

प्यार की कब बहार देखी है | Ghazal

प्यार की कब बहार देखी है

( Pyar ki kab bahar dekhi hai )

 

प्यार की कब बहार देखी है !

नफ़रतों की  दयार देखी है

 

आ रही है यहां ग़म की बारिश

कब ख़ुशी की फुवार देखी है

 

जो  आँखें थी भरी नज़ाकत से

प्यार  में  बेक़रार  देखी  है

 

थी इतनी वो हसीन के   सूरत

वो  सूरत  बार  बार देखी है

 

देखकर पर्दा कर लेती थी जो

प्यार  में  वो ख़ुमार देखी है

 

जीतने प्यार मैं चला जब भी

प्यार की  होते  हार देखी है

 

वो  नहीं आया मिलनें आज़म से

कल बहुत   इंतिजार देखी है

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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