
जन्म लेती है ग़ज़ल तो शायरी की कोख से
( Janm leti hai ghazal to shayari ki kokh se )
जन्म लेती है ग़ज़ल तो शाइरी की कोख से
जिंदगी मिलती है जैसे जिंदगी की कोख से
देखिए वरना अमीरी कब पड़फती है भूखी
भूख की आहें उठती है मुफ़लिसी की कोख से
हर किसी की प्यास बुझाने को जहां में हाँ मगर
देखो पानी ये निकलता है नदी की कोख से
जिंदगी में ग़म भर जाते है हमेशा के लिये
मुस्कुराहट आती होठों पे हंसी की कोख से
नफ़रतों के बीज वरना रोज़ हर दिल में यहां
प्यार पैदा होता देखो दोस्ती की कोख से
प्यार तो वरना बरसता है जीने के ही लिये
जल जाते मासूम देखो इस दुश्मनी की कोख से
रुठो को अपनें मना लो मुश्किल से जुड़ते रिश्तें
दूरी बढ़ती रिश्तों में नाराज़गी की कोख से
मत लगाना दिल किसी “आज़म” हंसी सूरत से ही
दर्द ग़म आंसू मिलते है आशिक़ी की कोख से