
प्रभु वंदना
( Prabhu Vandana )
( मनहरण घनाक्षरी छंद 8,8,8,7 वर्ण )
दीनबंधु दीनानाथ
सबका प्रभु दो साथ
संकट हर लो सारे
विपदा निवारिये
रण में पधारो आप
जनता करती जाप
सारथी बन पार्थ के
विजय दिलाइये
मन में साहस भर
हौसला बुलंद कर
जन-जन मनोभाव
सशक्त बनाइये
मुरली की छेड़ो तान
मधुर सुनाओ गान
झूम उठे तन मन
चक्कर चलाइए
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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