प्यार मोहब्बत की सब बातें
( Pyar mohabbat ki sab baatein )
प्यार मोहब्बत की सब बातें, दफन हो गयी सीने में।
अब तो याद रही बस तेरी, मुझकों तो अब पीने में।
जीवन में उलझन हैं इतना,कि अब तुमको भूल गया,
जिस रस्ते से मै निकला हूँ, प्यार नही अब जीने ने।
सूनों शिकवा शिकायत
सूनों शिकवा शिकायत से हमें तुम दूर रख दो।
जो कहना हैं मोहब्बत से कहो या दूर कर दो।
ये जीवन चार दिन का, बीते है दो दिन हमारे,
इसी से कह रहा हूँ ग़म को दिल से दूर रख दो।
राधा रथ को रोक न पाई
राधा रथ को रोक न पाई, चले गए घनश्याम।
त्याग दिया वृन्दावन गोकुल, गए जो मथुरा धाम।
निरखत नयन रूक न एक पल,विरह विकल वैराग,
कोई जतन करो हे ईश्वर, पुनः मिले मुझे श्याम।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
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