रब की अदालत

रब की अदालत

रब की अदालत

 

1.

वो मजलूमों को बेघर कर बनाया था अलीशां मकां यहां,

गरीब,लचारों की बद्दुवा कबूल हो गई रब की अदालत में वहां

अब बरस रहा बद्दुवाओं का कहर देखो ,

जमींदोज हो रहा अलीशां मकां यहां।

2.

    हुआ घमंड जब-जब

वो गिराते रहे बार-बार,

हुआ तालीम, परोपकार जब-जब

उन्हीं दुवाओं में उठता रहा बार-बार

   3.   

वो शराब पीकर मिटाने चला था ग़म

दे गया अपने वीवी, बच्चों को जीवन भर का ग़म,

शराब से करो न अब कोई भी दोस्ती यारों

जिंदगी तबाह कर ,दे जाती है जीवन भर का ग़म।

4.

शक की बुनियाद पर रिश्वतों की खड़ी दीवार नहीं होती।

 कानों में जो फूंक दे शब्दों का जहर

फिर रिश्तो में मिठास नहीं होती

जिन घरों में मां बाप के आंसू गिरे,

उन घरों में कभी खुशहाली नहीं होती

5.

तेरे बारे में न जाने क्या-क्या लिख दूं.,

पर मेरे मां के संस्कार रोक देते हैं।

6.

 कहते हैं दाल में कुछ काला है

देखा जो गौर से तो पूरी दाल काली है

वो कहती हैं दाल में कुछ काला नहीं

कैसे एतबार करूं मैं कि दाल में कुछ काला नहीं।

7.

वो आसमां में हवाओं का पुल बांधते रहे

हम सहारे में ज़मीं पर खम्भे लगाते रहे।

वो सत्य की आड़ में खेलते रहे,

हम सत्य से आईना दिखाते रहे।

8.

   इस्तेफाक इक पल मुलाकात क्या हुई,

नजर से नजर को कर खबर दिल चुरा ले गई।

9.

इश्क मोहब्बत दिल के पिंजरे में कैद इक परिंदा है,

  जब तलक विश्वास भरा दाना मिला वो पास है,

जरा सी  गुस्ताखी हुई

वो उड़ने की तलाश में है।

10.

    जिन आशियानों में है उजाला

वो  समझते जुगनू को कहां,

जो समझते हैं जुगनू को

उन आशियानों में अंधेरा कहां।

11.

अब तलक जिनसे मिले

हर दिल एहसास हूं,

कुछ से सीख लिए

तो कुछ को सिखा दिए।

 

?

Dheerendra

लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा

(ग्राम -जवई,  पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )

उत्तर प्रदेश : Pin-212218

यह भी पढ़ें : 

यही सच्चाई है जिंदगी की

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *