रहनुमा | मार्गदर्शक | Kavita
रहनुमा ( मार्गदर्शक )
( Rahnuma )
रहनुमा कोई मिल जाए
राह मेरी आसां हो जाए
मेरी मंजिल का ठिकाना
मुझको भी नसीब हो जाए
मार्गदर्शक बता दे रस्ता
कोई खता न मुझसे हो जाए
भटक रहा हूं बियावान में
हाथ पकड़ कोई राह दिखाये
अंधकार का अंत नहीं है
रहनुमा का कोई पंथ नहीं है
धर्म के ठेकेदार बने जो
सन्मार्ग बताएं संत वही है
शिक्षा की जो जोत जलाये
घट घट में उजियारा लाए
बहा प्रेम की पावन गंगा
देश प्रेम का भाव बढ़ाएं
वंदनीय वो पथ प्रदर्शक
जिंदगी बना दे आकर्षक
उनका एक इशारा होता
जीवन में उजियारा होता
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )