आओ बेवजह बातें करें
( Aao Bewajah Baat Karen )
आओ बैठो बेवजह बातें करते हैं।
जीवन में कुछ सुनहरे रंग भरते हैं।
मुस्कुराता चेहरा चमक सा जाए।
हंस हंसकर हल्का दिल करते हैं।
थोड़ा तुम कहो थोड़ी सुन लो हमारी।
दर्द की दास्तान कह दो पीड़ाएं सारी।
अफसाने हमारे ना तुमको रुला पाए।
अजब यह कहानी पीर पर्वत से भारी।
आने दो जुबान पर दिल की वो बातें।
दुनिया के जलवे मुश्किलों भरी रातें।
राज कहीं दिल में दफन हो ना जाए।
आओ इक दूजे को देखो हम सुनाते।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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