राखी का पर्व

( Rakhi ka parv ) 

 

आया है आज राखी का त्योहार
उमड़ रहा है भाई बहन का प्यार
खुशियों संग झूम रही रिश्ते की डोर
भाई बहन की नोंक झोंक है चहुंओर

बहाना बांधे राखी भाई के हांथ
बदले मांगे जीवन भर का साथ
बहना के खातिर भाई है शेर के जैसा
उसकी रक्षा मे खड़ा समशेर के जैसा

बहाना केवल एक ही नही भाई की
हर बहना के खातिर भाई भाई ही है
दुष्ट दरिंदें चाहे जिस रूप मे आना चाहें
भाई हर बहना के खातिर कसाई ही है

यह बंधन महज नही है कच्चे धागों का
विश्वास भरा यह बंधन है रिश्तों का
सुख से सोती बहना ,धर भाई का हांथ
हर बहना के सर रहे भाई का साथ

धन्य धन्य भारत की यह रीत पुरानी
कृष्ण द्रोपदी की है अमर कहानी
भरी सभा मे लाज बचाई है आकर
ऐसे रिश्तों के हर बूंद मे लहराता सागर

 

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

पराजय | Parajay

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here