राखी का त्यौहार निराला | Rakhi ka Tyohar Nirala
राखी का त्यौहार निराला
( Rakhi ka Tyohar Nirala )
राखी का त्यौहार निराला ,जाने ये संसार।
सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।।
माथे तिलक लगाकर भाई ,बहना चूमे माथ।
बाँध कलाई रक्षा बंधन,पाती उसका साथ।।
रक्षा बंधन सूत्र नेह का ,पावन होती डोर।
वचन भ्रातृ रक्षा का देता ,होकर भाव विभोर।
रंग बिरंगी राखी न्यारी , लाती प्रेम अपार।
सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।।
मनभावन ये रक्षा बंधन ,होता है अनमोल।
रिश्तों की ये डोर हमेशा ,मिश्री देती घोल।।
भाई सदा प्रतिज्ञा लेता , बचे बहिन की लाज।
प्यारी बहना करे सदा ही ,सबके हिय पर राज।।
सलिला बहिन प्रेम की होती ,निर्मल हृदय उदार।
सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।।
लक्ष्मी राजा बलि को बाँधी ,बचे विष्णु भगवान।
रक्षा के इस बंधन की सुन ,महिमा बड़ी महान।।
कर्मवती रानी की राखी ,देती थी संदेश।
बहना माने उसे हुमायूँ, रक्षा करते देश ।।
शचि ने बाँधा देवराज को ,रक्षा को भरतार।
सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।।
सीमा पर प्रहरी भाई है ,बहना बड़ी उदास।
वापस घर कब आयेगा वो ,रखे मिलन की आस।।
दीपक नेह जलाकर बहिना ,तकती रहती राह।
सावन में आ जाये भैया ,उर रखती यह चाह।।
रेशम डोरी हाथ थाम कर ,बहन खड़ी है द्वार।
सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।।
विश्वासों की डोरी ये तो,संबंधों के प्राण।
भाई को आशीष सदा दे ,बहन करे कल्याण।।
भगिनी की रक्षा करता है ,भ्राता बनकर श्याम।
नित मंगल की करे कामना ,बहना है सुख धाम।।
गरल सरीखी है यह दुनिया ,बहन सुधा -रसधार।
सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।।
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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