आओ राम के आदर्शो को अब आचरण में उतारें!
करीब सात सौ साल गुलामी के बाद हमारा देश 15 अगस्त,1947 ईसवी को आजाद हुआ तब से अयोध्या का बहुप्रतिक्षित राममंदिर प्रधान मंत्री के शुभ हाथों रामलला का प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होने के बाद अपनी समरसता की ओर अग्रसर हो चुका है यह देश-दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था।
जैसा कि सभी को मालूम है राम सभी के थे, सभी के हैं और समग्र समाज के लिए वो जिए भी। राम का जीवन एक खुली किताब जैसा है। राम को बांटकर देखना सही नहीं है।
राम का अर्थ ही है प्रकाश और दूसरा अर्थ ब्रह्मा, विष्णु और रूद्र यानी जो रोम-रोम में व्याप्त हो। राम जीवन का मंत्र है, मृत्यु का नहीं। राम गति का नाम है ठहराव का नहीं।
ठहराव-बिखराव,भ्रम-भटकाव,मद और मोह के समापन का नाम ही, राम है। रोम -रोम में बसने वाले, कण-कण में व्याप्त विष्णु भगवान के अवतार के रूप में 7560 ईसा पूर्व अर्थात 9500 वर्ष पूर्व भारत के अयोध्या में राम ने अवतार लिया जिसका सम्बन्ध एशिया महाद्वीप के इंडोनेशिया, मलेशिया, कंबोडिया आदि देशों से भी था।
उस अयोध्या की नगरी में आज भी 5000 मंदिर कायम हैं। मात्र राम का नाम लेने अथवा जपने से इस कलियुग में मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। राम के गुणों का बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता,बस महसूस किया जा सकता है।
इस तरह राम की अयोध्या मोक्षदायिनी है। गंगा-जमुनी तहजीब की एक मिसाल है। समानता, स्वतंत्रता, सहिष्णुता,भाईचारा, विश्व बंधुत्व का सन्देश देती है।
प्रातः स्मरणीय रघुकुल शिरोमणि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम आदर्श राजा के रूप में आज भी पूजे और याद किये जाते हैं।
भाई-भाई का संबंध, पिता-पुत्र का संबंध,माँ -पुत्र का संबंध, देवर-भाभी का संबंध,राजा -प्रजा का संबंध आदि संबंधों का एक आदर्श रूप राम की शासन व्यवस्था में देखने को मिलता है।
उसी आदर्श शासन व्यवस्था को रामराज्य की संकल्पना के साथ आज की आम जनता उसे मूर्त रूप में देखना और सिद्दत से जीना चाहती है। पूरी दुनिया ऐसी लोकतान्त्रिक व्यवस्था की कायल होगी और कालान्तर में वह अपने नागरिकों को (रामराज्य ) जैसी शासन व्यवस्था को लागू कर गौरवान्वित भी होगी।
हमें अपने देश पर गर्व होना चाहिए। विश्व-गुरु भारत की जितनी प्रशंसा की जाय, कम है। करोड़ों लोगों का सपना अब साकार होगा। राम के रंग में नर, क्या नारी,बूढ़े क्या बच्चे, हिन्दू क्या मुस्लिम,सभी रंग चुके हैं। यह रंग मरणोंपरांत भी नहीं उतरेगा।
अयोध्या का सीधा अर्थ है जहाँ युद्ध न हो लेकिन अब तक जो वहां घटा, इसके पीछे की सच्चाई है कि हमें बाहर के लोगों ने लड़वाया। राम,सीता हरण के बाद खुद लंका पर चढ़ाई करके रावण को उसके किये की सजा दिये पर अयोध्या में किसी तरह का ख़ूनी संघर्ष नहीं हुआ।
साक्ष्य के आधार पर कहा जाता है कि उस रामराज्य में दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से आम जनता दूर थी। सभी नीरोगी और सुखी थे। किसी तरह का भय व्याप्त नहीं था। सभी धन-धान्य से सपन्न थे। परस्पर प्रेम से लोग रहते थे। धर्म का सभी पालन करते थे।
स्वप्न में भी पाप नहीं होता था। सभी स्त्री-पुरुष सुन्दर थे। मूर्ख और आचरणहीन कोई नहीं था। अब उस रामराज्य का और राम का अनुशरण करते हुए इसे हमें अपने आचरण में उतारने की नितांत आवश्यकता है।
इससे फायदा ये होगा कि राममंदिर के लिए जिन -जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी, उन सभी आत्माओं को शान्ति मिलेगी और उनके त्याग- बलिदान का लाभ इस देश के साथ विश्व को भी मिलेगा।
अब धीरे-धीरे इस तरह का पवित्र आचरण और व्यवहार जन-जन के आचरण में आ जाने से विश्व की बहुत-सी पीड़ाएँ जैसे युद्ध,सीमा अतिक्रमण, खून-खराबा, अशांति, धर्मान्तरण, नारी उत्पीड़न, पर्यावरण – प्रदूषण, मन -प्रदूषण जैसे वीभत्स्य परिदृश्य बदल जायेंगे।
राम के आचरण को सभी अपने में उतारकर इस कलियुग में त्रेतायुगीन जीवनवृत्ति को महसूस करेंगे। इस बदलाव के तहत हमारे देश में दबंगों,माफियाओं,भू – माफियाओं,भ्रष्टाचारिओं का धीरे – धीरे सफाया होगा।
राजनेताओं के मन में अब राम उतर आयंगे और बिना रिश्वत, बिना घोटाला के सभी तरह के राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय वे कार्य करेंगे। महिलायें निर्भय होकर अपने जॉब पर जाएंगी और उनके देर रात लौटने को लेकर पतियों की चिंताएं स्वतः ख़त्म होंगी।
स्कूल, कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली छात्राएँ बिना किसी डर -भय के अपने घरों में लौट आएँगी। किसी तरह की छीना -झपटी की दुश्वारियाँ अब नहीं आयेंगी। अब दूर -दराज गांव खेड़े की लड़कियाँ भी अपनी पढ़ाई बीच में नहीं छोड़ेंगी।
विनय-भंग, अश्लीलता, शील भंग,अनाचार, दुराचार ( रेप ) जैसे कुकृत्य अब नहीं होंगे। अब लाचारी के चलते किसी भी महिला को अपने तन का सौदा नहीं करना पड़ेगा।
सभी नगर-वधुयें चरणबद्ध तरीके से राष्ट्र के विकास की मुख्य धारा से जोड़ दी जायँगी। भय मुक्त समाज होगा और लड़कियाँ दहेज़ की बलि वेदी पर अब नहीं चढ़ेंगी। नौजवान बिना किसी भेदभाव और रिश्वत के नौकरी पाने में सफल होंगे।
अब बैंकों को कोई चुना लगाकर रातोंरात विदेश नहीं उड़ जाएगा। स्विस बैंक के लॉकर की चाबी लेने में कोई भारतीय रूचि नहीं दिखायेगा। सारा का सारा काला धन देश में चरणबद्ध तरीके से आ जाएगा। सरकारी उपक्रम के प्रतिष्ठान या सरकारी जमीन औने- पौने दाम पर ठेके या लीज पर नहीं दी जाएगी।
गांवों के किसानों, मज़दूरों, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के साथ रामराज्य के आधार पर जीने का सुनहला अवसर दिया जाएगा। शहर और गांव में आबादी के मुताबिक बड़े – बड़े हॉस्पिटल खोले जायेंगे जहाँ अमीर – गरीब, सभी का समान ईलाज होगा।
राजा -रंक जैसी बात नहीं होगी। कोई भी गरीब महिला प्रसव के दौरान हॉस्पिटल के बाहर अब दम नहीं तोड़ेगी। कितना सुन्दर भारत होगा। अब सभी को स्वच्छ पानी पीने को मिलेगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को घर मिल ही रहा है। जातिवाद, भाई भतीजावाद, क्षेत्रीयता, ऊँची – नीच की भावना सदा के लिए दफ़न हो जाएगी। शेर और बकरी एक घाट पर पानी पिएंगे। पुलिस अब अपनी वर्दी का दुरूपयोग नहीं करेगी।
रिश्वत लेने के दिन अब लद जायेंगे। पुलिस स्टेशन में ईमानदारी की अब गंगा बहेगी। ऊपर के आला अफसर हफ्ता नहीं मांगेंगे। मीडिया वाले अब भ्रष्टाचार, फिरौती, डकैती, लूटपाट, हेराफेरी, कबूतरबाजी, किसी तरह की कमीशनखोरी, अनाचार, दुराचार, रेप आदि का समाचार कम से कम दिखाकर, देश के महापुरुषों के कृतित्व, व्यक्तित्व के बारे में ज्यादा न्यूज़ दिखाएंगे।
एक तरफ जहाँ अच्छे न्यूज़ बुराई का खात्मा करेंगे वहीं दूसरी तरफ नैतिक मूल्यों से लोग रूबरू होंगे, इसका फायदा देश को मिलेगा ही, मिलेगा। बनने वाली सड़कें और पुल मानसूनी बारिश से नहीं बहेंगे।
अतिवृष्टि तथा अनावृष्टि के समय मिलने वाले सरकारी फण्ड पर मुलाजिम हाथ नहीं फेरेंगे। सरकारी गोदामों से गरीबों को मिलने वाले सस्ते अनाज की हेराफेरी अब नहीं होगी। स्कूल – कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी में अब आसानी से दाखिले मिलेंगे।
फर्जी डिग्रियां लोग नहीं बेच पाएंगे। अब देश के सभी मंदिरों के चढ़ावे के पैसे जन- कल्याण के काम में जैसे आसपास की सड़कें, पेय जल, हॉस्पिटल, स्कूल -कॉलेज, वृद्धाश्रम, मजलूमों के हितार्थ कहीं अधिक खर्च होंगे।
अब दूसरों के लूटे पैसे से भगवान को चढ़ावे चढ़ाने की पद्धति में बदलाव देखने को मिलेगा क्योंकि किसी के लूटे पैसे से चढ़ावा चढ़ाने वाले को न मिलकर ईमानदारी से कमाए गए पैसे के मालिक के हक़ में पुण्य जाता है।
सही और गलत में अंतर करने की सद्बुद्धि अब सभी के दिलो-दिमाग़ में आ जाएगी। इस नये युग के आरम्भ से धरती स्वर्ग जैसी हो जाएगी। अब अंगूठा छाप कोई नहीं रहेगा। सभी निरोगी और सुन्दर होंगे। आपस में बिना भेदभाव के हर कोई मिलकर रहेंगे।
कितना सुन्दर हमारा देश होगा और कितनी सुन्दर अब की कायनात होगी। मौत का सामान बना चुकी धीरे – धीरे ये दुनिया रामराज्य में तब्दील हो जाएगी।
रामराज्य के आदर्शों को हर कोई अपने आचरण में उतारने का संकल्प ले चुका है। अब त्याग पर आधारित सभी को जीवन जीना होगा। सभी को अपने -अपने अंदर रामराज्य की सादगी दिखानी होगी।
अगर इस तरह के आचरण लोगों के अंदर नहीं झलके तो दुनिया वाले ये समझेंगे कि बस राममंदिर बनाने तक ही लिप्सा थी। इससे घोर अपमान होगा। कलियुग में त्रेतायुगीन जीवन शैली निजी जीवन में उतारना कोई दुष्कर कार्य नहीं होना चाहिए क्योंकि हमने राम की सौगंध जो खाई है उनके रामराज्य के आदर्शों पर चलने की।
बस सच को सच कहना होगा और झूठ को झूठ। पिता के बचनों का पालन करने हेतु राम राज्याभिषेक छोड़कर 14 वर्ष के लिए वन चले गए तो हम सच को सच क्यों नहीं कह सकते?