![Pari Aasman ki Pari Aasman ki](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2024/02/Pari-Aasman-ki-696x464.jpg)
परी आसमान की
( Pari aasman ki )
जब बात चल रही थी वहाँ आन-बान की
लोगों ने दी मिसाल मेरे खानदान की
मैं हूँ ज़मीन का वो परी आसमान की
कैसे मिटेगी दूरी भला दर्मियान की
देखूं मैं उसके नखरे या माँ बाप की तरफ़
सर पर खड़ी हुई है बला इम्तिहान की
कैसे यक़ीं दिलाऊं उसे अपनी बात का
धज्जी उड़ा दी उसने मेरे हर बयान की
बोते हैं वो बबूल तलब आम की करें
आफ़त में जान आ गई अब बाग़बान की
परवाह अपनी ख़ुद की करें भूलकर मुझे
मुझको कमी नहीं है यहांँ क़द्रदान की
साग़र मैं उठ के जाऊं तो जाऊं भी किस तरह
रोके हुए नज़र है मुझे मेज़बान की