राम नवमी: भगवान राम के जन्मोत्सव का पावन पर्व?

पूरे देश में नवरात्रि का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह नौ दिनों का उत्सव है, जिसमें माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। बहुत से लोग सात दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं वहीं, आठवें दिन छोटी कन्याओं को भोजन कराकर अपना उपवास खोलते है।

साथ ही कई लोग आठ दिनों तक व्रत रखने के बाद नौवे दिन उपवास को खोलते हैं। यही नहीं, लोग तो राम नवमी के शुभ दिन ब्राहमणों को भी भोजन करवाते हैं।

बता दें कि नौवे दिन को ही राम नवमी कहा जाता है। हमारे हिन्दु धर्म के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम ने पृथ्वी पर जन्म लिया था। श्री राम जो हैं वह भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। जान लें कि इस त्योहार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है।

राम नवमी क्यों मनाया जाता है?

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन बीवीयां थी – कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। राजा की शादी को काफी दिन हो गए थे और घर में किसी बालक की किलकारी तक नहीं गूंजी थी। ऐसे में ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी जैसे महान यज्ञ को कराने की सलाह दी।

राजा दशरथ ने बिना देर किए इस महान यज्ञ को महर्षि रुशया शरुंगा द्वारा करने की विन्नती की। महर्षी ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान, महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खीर प्रदान की। रानियों ने प्रसाद स्वीकार कर हर्षपूर्वक ग्रहण किया। कुछ ही दिनों बाद, तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

चैत्र मास में नौ महीने बाद राजा दशरथ की महारानी कौशल्या ने श्री राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चों, लक्ष्मण और शत्रुघ्न, को जन्म दिया। बता दें कि भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया था ताकि वह दुष्ट प्राणियों का खात्मा कर सकें।

क्या आप जानते हैं कि राम नवमी जो है वह भारत में मनाया जाने वाला बहुत ही प्राचीन त्योहार है। यह केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में रह रहें भारतीयों द्वारा भी काफी हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। कहते हैं कि जब भारत में छोटी जातियों को कुछ भी समझा नहीं जाता था, तब रामनवमी ही ऐसी त्योहार थी जिसे शुद्र जैसी जातियां भी सबके साथ मिलकर मनाया करती थी।

राम नवमी का महत्व

यह खास त्योहार हिन्दु धर्म से जुड़े लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस त्योहार के साथ ही मां दुर्गा के नवरात्री महोत्सव का भी समापन होता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने युद्ध के समय मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे उन्हें विजय की प्राप्ति हुई थी। बता दें कि इन दोनों पर्व का एक साथ मनाए जाना ही इन त्योहारों की महत्ता को और बढ़ा देता है।

यह सत्य है कि राम नवमी का व्रत जो भी इंसान सच्चे मन के साथ करता है वह व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है और साथ ही उसे शुभ फल भी प्रदान होता है।

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