राष्ट्रगान लिखने वाले रविंद्र नाथ टैगोर

रविंद्र नाथ टैगोर पर निबंध | Essay in Hindi on Rabindranath Tagore

रविंद्र नाथ टैगोर पर निबंध

( Essay in Hindi on Rabindranath Tagore )

 

भूमिका (Introduction) :

रविंद्र नाथ टैगोर को गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर के नाम से भी जाना जाता है। पूरी दुनिया में रविंद्र नाथ टैगोर एक कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारत के लिए  साहित्य का पहला नोबेल पुरस्कार जीतने वाले विजेता के रूप में जाने जाते हैं।

इन्हें बांग्ला साहित्य के जरिए भारतीय जनमानस की चेतना में एक नई जान फूंकने वाले युग दृष्टा के तौर पर भी जाना जाता है। रविन्द्र नाथ टैगोर एशिया के पहले व्यक्ति थे जिन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

इन्होंने ही भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ लिखा था इसके अलावा उन्होंने बंगाल बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी लिखा था।

रवीना टैगोर ने अपने जीवन काल में करीब 2230 गीतों की रचना की है। रविंद्र संगीत रविंद्र नाथ टैगोर की ही देन है जिसे बांग्ला संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अभिन्न हिस्सा माना जाता है। इस तरह से रविंद्र नाथ टैगोर एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने दुनिया के 2 देशों का राष्ट्रगान लिखा है।

रवीना टैगोर को बचपन से ही लेखन में रुचि थी महज 8 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी और जब वे मात्र 16 साल के थे तब उनका पहला लघु ग्रंथ प्रकाशित हुआ था। इन्हें बंगाली भाषा के संस्कृति की उत्पत्ति का भी श्रेय दिया जाता है। इन्होंने इतिहास, भाषा विज्ञान और आध्यात्मिकता से जुड़े कई सारी किताबें लिखी हैं।

जन्म स्थान ( Birth place of Rabindranath Tagore in Hindi ) :-

रविन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के ठाकुरबाड़ी में हुआ था। इसके बाद 1878 में ये पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए थे क्योंकि पहले वह बैरिस्टर बनना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी लिया था लेकिन कुछ वजह से वह 1980 में बिना डिग्री लिए भारत वापस आ गए। रवीना टैगोर जब बहुत छोटे थे तभी इनकी मां का देहांत हो गया था।

इनके पिता को यात्रा करने का शौक था इसलिए इनका पालन-पोषण नौकरो द्वारा किया और घर पर ही संगीत की शिक्षा के लिए एक अध्यापक को नियुक्त कर दिया गया था। रविंद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई द्विजेन्द्र नाथ टैगोर एक दार्शनिक और कवि थे।

रविंद्र नाथ टैगोर के  एक और बड़े भाई थे  सुरेंद्र नाथ टैगोर पहले भारतीय व्यक्ति थे जो यूरोपी सिविल सेवा के लिए चुने गए थे। इनकी बहन स्वर्णकुमारी एक उपन्यासकार थी।

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महज 11 साल की उम्र में ही रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने पिता के साथ कई जगह की यात्रा कर ली थी और कई तरीके की किताबें पढ़कर काफी जानकारी अर्जित कर लिया था। इन्हें अपने जीवन के अंतिम दिनों के दौरान चित्रकारी का भी शौक हो गया था।

राजनीतिक जीवन ( Political life of Rabindranath Tagore in Hindi ) :-

रविन्द्र नाथ टैगोर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बीच  राष्ट्रीयता और मानवता को लेकर हमेशा ही वैचारिक मतभेद देखा गया है। एक तरफ जहां महात्मा गांधी राष्ट्रवाद को प्रमुखता देते थे तो रवीना टैगोर मानवता को प्राथमिकता देते थे लेकिन इसके बावजूद दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते थे।

महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि देने वाले रविंद्र नाथ टैगोर ही हैं। बताया जाता है कि एक बार सब शांति निकेतन आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा था तब महात्मा गांधी ने 60 हजार देकर मदद की थी। रविंद्र नाथ टैगोर ने आज के ही दिन 7 अगस्त 1948 को इस दुनिया को अलविदा कहा था।

महत्वपूर्ण रचना ( Significant composition of Rabindranath Tagore in Hindi ) :-

रवि नाटक की रचना ‘गीतांजलि’ है जिसके लिए उन्हें साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने

पूरर्व प्रवाहिनी,

शिशु भोलानाथ,

महुआ,

वनवाणी,

परिशेष,

पुनश्च,

वीथिका शेषलेखा,

चोखेरबाला,

कणिका

जैसे विशाल संग्रह लिखे है।

उपसंहार (Conclusion) :-

वो एक महान साहित्यकारों में से एक के साथ महान शिक्षाविद् भी थे, उन्होंने शांति निकेतन यूनिवर्सिटी की स्थापना की। वो चाहते थे की भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार हो, समाज में सुधार हो। उनका प्रत्येक कार्य देश और देशवासियो के लिए ही समर्पित था। भारत की स्वतंत्रता को देखे बिना ही रबीन्द्रनाथ टैगोर 7 अगस्त 1941 को दुनिया से चल बसे।

 

 

लेखिका : अर्चना  यादव

 

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