रिश्ता प्यार का जोड़ना चाहता हूँ

Ghazal | रिश्ता प्यार का जोड़ना चाहता हूँ

रिश्ता प्यार का जोड़ना चाहता हूँ

( Rishta Pyar Ka Jodna Chahta Hoon )

 

रिश्ता प्यार का  जोड़ना चाहता हूँ!

दीवारें नफ़रतें  तोड़ना चाहता हूँ

 

मिली है किसी दर से ही बेदिली है

अब यें शहर मैं छोड़ना चाहता हूँ

 

ख़फ़ा होते है लोग मुझसे यहां कुछ

यहां सच जब भी बोलना चाहता हूँ

 

सितम सह लिये ग़मों के बहुत से

सकूं जिंदगी का ढूंढ़ना चाहता हूँ

 

ग़मों के देते आंसू जो आंखों मैं ही

नहीं ख़्वाब वो मैं देखना चाहता हूँ

 

की है बेवफ़ाई जिसनें वफ़ा में बड़ी सी

उसका  सर  मगर फोड़ना चाहता हूँ

 

मुहब्बत की देकर रवानी ए आज़म

यहां  नफ़रतें  रोकना  चाहता  हूँ

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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