दोहा सप्तक
दोहा सप्तक

दोहा सप्तक

( Doha Saptak )

 

एक भयावह दौर से,गुजर रहा संसार।
इक दूजे की मदद से,होगा बेड़ा पार।

मानवता की सेवा में,तत्पर हैं जो लोग।
दुआ कीजिए वे सदा,हरदम रहें निरोग।

बेशक अवसर ढूंढिए,है यह विपदा काल।
सौदा मगर ज़मीर का,करें नहीं हर हाल।

सॉंसों के व्यापार में,जो हैं दोषी सिद्ध।
पायें फॉंसी की सजा,ऐसे सारे गिद्ध।

फीकी-फीकी सी लगे,आन,बान,सम्मान।
सबकी चिंता एक है,बची रहे बस जान।

पता नहीं क्यों है कुपित,हमसे कुदरत आज।
गॉंव-गॉंव को खा रहा,कोरोना वनराज।

नहीं भरोसा तंत्र पर,अब भगवन पर आस।
कोरोना के खौफ से,लोग करें अरदास।

✍️

कवि बिनोद बेगाना

जमशेदपुर, झारखंड

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