दोहा सप्तक | Doha Saptak
दोहा सप्तक
( Doha Saptak )
( Doha Saptak )
अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं ( Apni khushiyon ko pankh lagaate hain ) चलो अपनी खुशियों को जरा पंख लगाते हैं।?️ फिर से दोस्तों की गलियों में छुप जाते हैं।? फिर वही अल्हड़ पन? अपनाते हैं। कुछ पल के लिए अपनी जिम्मेदारियों से जी चुराते हैं।? फिर वही बचपना अपनी आंखों में लाते…
सब बदल रहा है ( Sab badal raha hai ) राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस देख रहे है आज सभी यह आधुनिक कलाकृति, इसके साथ बिगड़ रही है प्रदूषण से यह प्रकृति। भूल रहे है रीति-रिवाज एवं अपनो की ये स्मृति, जिससे सभी में बढ़ रहीं है हिंसा की यह प्रवृति।। धूल धूंआ एवं बढ़ रहा…
कौन किसका ( Kon Kiska ) रिश्तों का अर्थ देखो कैसे लोग भूल गये है। होते क्या थे रिश्तें क्या समझाए अब उनको। कितनी आत्मीयता होती थी सभी के दिलों में। मिलने जुलने की तो छोड़ों आँखें मिलाने से डरते है।। कौन किस का क्या है किसको सोचने का वक्त है। मैं बीबी बच्चें बस…
चलो आज आजादी को हम घर ले आए ( Chalo aaj azadi ko hum ghar le aaye ) चलो आज आजादी को हम घर ले आयें !! उसको भावों के चन्दन अक्षत से पूजें स्नेहों के पुष्प माल पहनाएँ !! चलो आज आजादी को हम घर ले आयें !! गत सात दशक से आजादी…
बुलंद हुंकार ( Buland hunkar ) मझधार में डूबी नैया अब पार होनी चाहिए कवियों की भी संगठित सरकार होनी चाहिए सत्ता को संभाले कविता लेखनी की धार बन मंचों से गूंज उठे वो बुलंद हूंकार होनी चाहिए मातृभूमि को शीश चढ़ाते अमर सपूत सरहद पे महासमर में योद्धाओं की ललकार होनी…
आपस में रखें भाईचारा ( Aapas me rakhe bhaichara ) उत्तम यही है विचार धारा बेबस बेकशों का सहारा सदियों से यही हमारी रीति हमें चाहिए सबकी प्रीति इसी ध्येय ने दिया था- वासुधैव कुटुंबकम् का नारा विश्व एक परिवार था हमारा है और रहेगा भी विश्वास है इतना ज्यादा! इन चंद हवा के…