![jang जंग लगी हो गर लोहे में तो ताले नहीं बनाते](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2021/04/jang-696x435.jpg)
जंग लगी हो गर लोहे में तो ताले नहीं बनाते
( Jang Lagi Ho Gar Lohe Mein To Tale Nahin Banate )
जंग लगी हो गर लोहे में तो ताले नहीं बनाते
गरीब गर गरीब है तो लोग रिश्ते नहीं बनाते
जर्जर हो गर बुनियाद तो मीनारें रूठ जाती हैं
सुखे हो गर वृक्ष तो परिंदे घोसले नहीं बनाते,
नदिया रूठ जाए तो समंदर तन्हा सूख जाता हैं
फूल गर मुरझा जाए तो माली माला नहीं बनाते
इश्क का कत्ल करके बैठे जिस्म के तलबगार हैं
एतबार रूठ जाए तो घायल दिल रिश्ते नहीं बनाते।
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218