Renewable energy
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निबंध : भविष्य के लिए अक्षय ऊर्जा विकास और चुनौतियां

(Renewable energy development and challenges for the future: Hindi Essay)

 

प्रस्तावना :

भारत में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या के भरण पोषण और सुख सुविधाओं के लिए संसाधनों का तेजी से खपत हो रहा है।

इससे पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर समस्याएं जन्म ले रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि बढ़ती जनसंख्या और ऊर्जा आपूर्ति के बीच संतुलन कैसे लाया जाए।

पर्यावरण और भविष्य की पीढ़ी को ध्यान में रखकर भारत को आगे की रणनीति बेहतर ढंग से बनानी होगी साथ ही इस बात पर भी विचार करने की जरूरत है कि वर्तमान समय में भारत की किन स्रोतों पर कितनी निर्भरता है और इसे कैसे बदला जा सकता है।

इसलिए भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण फैलाने वाले कोयल ऊपर अपनी निर्भरता कम कर के नवीनीकरण ऊर्जा स्त्रोत जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा क्षमता को बेहतरीन निदान के तौर पर देख सकता है।

भारत मे अक्षय ऊर्जा का विकास ( Development of Renewable Energy in India in Hindi ) :-

भारत सरकार ने साल 2022 तक के लिए हाइड्रो पावर से 60 गीगाटन, सौर ऊर्जा से 100 गीगाटन, पवन ऊर्जा से 60 गीगाटन, ऊर्जा बायोमास 10 गीगाटन और छोटे पनबिजली परियोजनाओं 5 गीगा वाट बिजली उत्पादित करने का लक्ष्य रखा है।

इसके लिए शुरू में तेजी से काम किया गया था। लेकिन बाद में इस क्षेत्र में गति धीमी हो गई हालांकि सही ढंग से प्रयास किया जाए तो इतना लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता।

अक्षय ऊर्जा की समस्या ( Problem of renewable energy ) :-

सौर ऊर्जा की अपनी समस्याएं हैं। हमारे देश में हर जगह वायुमंडल में धूल बिखरी है। सौर ऊर्जा को यह कम करने और सोलर पैनल पर जमा हो जाने पर बाधित हो जाती है।

इन सभी कारणों से अक्षय ऊर्जा उपयोग की क्षमता कम हो जाती है। धूल हटाने के लिए इन्हें धोना पड़ता है और हर जगह इतना पानी उपलब्ध नहीं होता है।

पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी चुनौतियां है। नए शोध से यह पता चला है कि भारत में हवा की रफ्तार कम हो रही है। साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि भारत में मानसून से संबंधित हवाई बसंत और ग्रीष्म काल में अधिक प्रभावी होती हैं।

इस दौरान साल भर के बिजली उत्पादन के 63% से अधिक बिजली का उत्पादन हो जाता है। तापमान वृद्धि की वजह से हिंद महासागर का तापमान बढ़ रहा है जिसके प्रभाव से देश में मानसून हवाएं कम हो जाती है।

इन कमियों के कारण अक्षय ऊर्जा उपयोग की सुविधा के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। इसके बावजूद हर साल अक्षय ऊर्जा द्वारा हमारी ऊर्जा जरूरतों की मांगों का एक बड़ा हिस्सा पूरा हो रहा है।

भारत में अक्षय ऊर्जा की स्थिति ( Status of renewable energy in India ) :-

जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित हमारी योगदान और एक स्वच्छ ग्रह के प्रति हमारी जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए भारत ने संकल्प लिया है कि वर्ष 2030 तक वह अपने बिजली उत्पादन कर 40 फ़ीसदी हिस्सा अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करेगा।

वर्तमान समय में भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और सौर ऊर्जा के लिहाज से विश्व में पांचवें स्थान पर है। वहीं पवन ऊर्जा के क्षेत्र में चौथे स्थान पर है। इस क्षेत्र में तकनीकी विकास से काफी विकास किया जा सकता है।

लेखिका : अर्चना  यादव

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