लगता है ए सनम जो चेहरा गुलाब तेरा
लगता है ए सनम जो चेहरा गुलाब तेरा

लगता है ए सनम जो चेहरा गुलाब तेरा

( Lagta hai ye sanam jo chehra gulab tera )

 

 

लगता है ए सनम जो चेहरा गुलाब तेरा
दीवाना कर गया है दिल ये शबाब तेरा

 

दीदार हो जाये दिल को क़रार आ जाये
देखूँ  मैं  रास्ता हर पल  ही ज़नाब तेरा

 

लग जायेगी बुरी नज़रें हुस्न को तेरे ही
उड़ न जाये हवा में देखो हिजाब तेरा

 

जैसे उतर आया हो वो चाँद इस जमीं पे
की हुस्न लगता है ऐसा आफ़ताब तेरा

 

फ़िर क्यों न हो नशा तेरे हुस्न का पाने को
है  आफ़ताब  मुखड़ा  लब  है  शराब  तेरा

 

भेजा था ख़त मुहब्बत का कल तुझे जो मैंनें
बेताब  आज़म  सुनने  को  वो  ज़वाब  तेरा

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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