साथ जिनके | Ghazal Saath Jinke
साथ जिनके
( Saath Jinke )
हाँ वही खुशनसीब होते हैं
साथ जिनके हबीब होते हैं
अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको
हम से पैदा गरीब होते हैं
तुमने देखा न ढंग से शायद
किस तरह बदनसीब होते हैं
पास जिनके हो रूप की दौलत
उनके लाखों रक़ीब होते हैं
प्यार जिनको हुआ नहीं दिल से
वो कहाँ फिर करीब होते हैं
जो न करते यकीं वफ़ा पे अब
बस वही बदनसीब होते हैं
पास ख़ुद ही ख़ुशी चली आती
जिनके अच्छे नसीब होते हैं
दिल से कैसे अमीर वो होगें
जिनके ऐसे मुज़ीब होते हैं
तू नहीं सोचना प्रखर अब कुछ
दिल के रिश्ते अजीब होते है
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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