सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही
( Sach kahe pyar se zindagi loot rahi )
सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही
नफ़रतों में अपनी है ख़ुशी लुट रही
बेवफ़ा के ख़ंजर मेरे है प्यार में
देखो मेरे दिल की आशिक़ी लुट रही
दुश्मनी के चले तीर है रात दिन
उम्रभर के लिए दोस्ती लुट रही
कलियां कैसे चमन में जवां होगी फ़िर
की गुलिस्तां में कच्ची कली लुट रही
हार कैसे बनेगी गले का किसी
फूलों की देखिए ताज़गी लुट रही
दें गया दर्द कोई ऐसे प्यार में
मेरे होठों के आज़म हंसी लुट रही