साधक शारदे का

( Sadhak sharde ka )

 

जो भी लिख लेता हूं आप छाप देते हो।
शब्दों का गहरा जादू आप भांप लेते हो।
मोती पिरोए माला में शब्द मधुर चुन के।
कलम की रफ्तार को आप नाप लेते हो।

गीतों के तरानों में रसधार बहा देते हो।
मेरे अल्फाजों को तुम हार बना देते हो।
खुशबू फैलाई है चंदन सी हर कोने में।
रूठे हैं मुझसे तो दिलदार बना देते हो।

साहित्य मंच पावन साधक शारदे का।
कलम पुजारी सृजन का उपहार दे मां।
हंसवाहिनी वरदायिनी हूं मैं शरण तेरी।
वरदहस्त रख सर पे मुझे वरदान दे मां।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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