साफ सुथरा शहर को बनाया करो | Safai par Kavita
साफ सुथरा शहर को बनाया करो
( Saaf suthra shahar ko banaya karo )
साफ सुथरा शहर को, बनाया करो।
आज प्रॉमिस डे में हमसे, वादा करो।।
छोड़िए न सड़क पर, आवारा इन्हें
अपने पशुओं को घर में ही पाला करो।।
पूजते हो जिसे मां के जैसा ही तुम ,
गंदगी कर नदी को मत नाला करो।।
गीला कचरा हरे डिब्बे में डालिये
सूखा कचरा तो नीले में, डाला करो।।
ना बहे व्यर्थ में जल कभी भी कहीं
अपने नल में तो टोंटी, लगाया करो।
स्वच्छता अपनी “चंचल”, पहचान हो
कचरा गाड़ी में कचरे को डाला करो।।
कवि : भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई, छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )
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