ज़िन्दगी कविता
( Zindagi Kavita )
महज सांसों का खेल ही नही जिंदगी
महज जीने का नाम ही नहीं जिंदगी
जिंदगी तो एक वृहद विस्तार है सृष्टि का
महज सीमित दृष्टि का ही नाम नही जिंदगी
जिंदगी आकाश है तो पताल भी है जिंदगी
किसी के दायरे मे कभी कैद नही जिंदगी
मौसम की तरह ही बदलती है रंग जिंदगी
तब भी किसी उद्देश्य से बंधी है जिंदगी
कर कुछ ऐसा की खत्म ही न हो जिंदगी
देह जाने के बाद भी तो फलती है जिंदगी
हम आज भी हैं ,और कल भी रहेंगे
इसी विश्वास का नाम तो है जिंदगी
( मुंबई )