साग़र के दोहे

साग़र के दोहे

साग़र के दोहे


1.
सर्दी के आवेग से ,निकली सबकी हाय ।
ऐसे में सब ने कहा ,हो जाये अब चाय ।।
2.
सर्दी में सूझा यही ,सबको एक उपाय।
गरम गरम पिलवाइये ,साहब हमको चाय।।
3.
ठन्डा ,वन्डा रख दिया ,सबने आज उठाय ।
सबके मन को भा रही , गरम गरम ही चाय ।।
4.
सर्दी में क्या पूछना , क्या है किस की राय ।
अदरक तुलसी डाल कर ,पिलवा दो बस चाय ।।
5.
बेगम तेरे हाथ की ,मस्त मस्त है चाय ।
इसके आगे दूसरी ,चीज़ नहीं कुछ भाय ।।
6.
बिस्तर में ही आ गई, पत्नी लेकर चाय।
सर्दी फिर करने लगी , धीरे धीरे बाय ।।
7.
गरम पकौड़ी ,पापड़ी , और बनाओ चाय।
इस मौसम में डार्लिंग , मन को यही सुहाय।।

Vinay

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003

यह भी पढ़ें:-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *