सैनिक देश का अभिमान

( Sainik desh ka abhiman )

 

देश का सैनिक होता है अपने देश का अभिमान,
करना देश के वासियों तुम उसका मान-सम्मान।
लुटा देते है वतन के खातिर जो अपनी यह जान,
करना उन पर गर्व साथियों होता देश की शान।।

धन्य है वह माॅं-बाप जिन्होंने जन्मी ऐसी सन्तान,
जान से प्यारे बेटों को कर देते हवाले हिंदुस्तान।
प्रचंड-धूप या कठिन डगर चाहें माह हो यह जून,
हिमालय की चट्टान से रहते खड़े जो रेगिस्तान।।

अत्याचार-अनाचार न करतें ये किसे भी परेशान,
श्रेष्ठ चरित्र की पूंजी है इनमें जैसे श्रेष्ठ-संविधान।
वतन के खातिर अपना जीवन कर देते बलिदान,
हंस कर फर्ज निभातें है जो सेना का है विधान।।

एक पते की बात बताएं ये सब रहते भाई समान,
मां भारती मज़हब है इनका और तिरंगा है शान।
न थकते गुणगान करते सब देते सलामी सम्मान,
स्थिति चाहें कठिन क्यों न हो कर-देते आसान।।

अपनें दम पर राह बनाते यह स्वाभिमानी जवान,
वर्दी का गौरव पाकर ये मुख पर रखते मुस्कान।
लिख रहें है ये कविता आज के.रि.पु.बल दीवान,
रहते है जो ऐसी जगहा जो है बिलकुल वीरान।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

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