
जय श्रीराम
निर्जन से दशरथ के महल में, आज पधारे राम।
पावन हो गयी भारत भूमि,धन्य है कोशल धाम।
क्षीरसागर को छोड़ नारायण, आए है इस बार,
मर्यादा के रक्षक बनकर, आए है राजा राम।
बली बली हारी है महतारी, हर्षित नयनभिराम।
सुर्यवंश में चन्द्र खिला है, मेघवर्ण जस श्याम।
आर्याव्रत के खण्ड खण्ड में, सोहर गावत नार,
शुक्ल पक्ष की नौमी तिथि को,जन्मे है श्रीराम।
शशि ललाट मुख चन्द्र चन्द्रिका,नयनन कमल समान।
रूप मोहिनी जस धर ली है, दशरध की बन संतान।
रामनाम से मुकि मिले है, मिट जाए हर पाप,
शेर लिखे हुंकार भरों सब, बोलो जय श्रीराम।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )