जय श्रीराम
( Jai Shri Ram )
( 1 )
सदियों से श्रापित भूमि का, आज हुआ उद्धार।
मन्दिर का निर्माण हुआ जहाँ,राम ने लिया अवतार।
धन धन भाग्य हमारे नयना, तृप्त हो गये आज,
अवधपुरी मे सज रहा फिर से,भव्य राम दरबार।
पुलकित है हर हिन्दू का मन, छलकत नयन हमार।
बाँधन चाहत मन बाँध न पाये, हर्षित है हुँकार।
मन्दिर तो संतुष्टी हृदय का, निश्छल मन का भाव,
राम सिया तो कण कण मे है, मन से तनिक निहार।
पाँच सदी से ज्यादा हो गये, सिया राम वनवास।
तम्बू से कब बाहर आए, इतनी थी बस आस।
ऐसा भवन बना राघव का, जिससा ना कही निर्माण,
स्वर्ण जडिंत हर द्वार देखकर, तृप्त हुआ हर आस।
( 2 )
निर्जन से दशरथ के महल में, आज पधारे राम।
पावन हो गयी भारत भूमि,धन्य है कोशल धाम।
क्षीरसागर को छोड़ नारायण, आए है इस बार,
मर्यादा के रक्षक बनकर, आए है राजा राम।
बली बली हारी है महतारी, हर्षित नयनभिराम।
सुर्यवंश में चन्द्र खिला है, मेघवर्ण जस श्याम।
आर्याव्रत के खण्ड खण्ड में, सोहर गावत नार,
शुक्ल पक्ष की नौमी तिथि को,जन्मे है श्रीराम।
शशि ललाट मुख चन्द्र चन्द्रिका,नयनन कमल समान।
रूप मोहिनी जस धर ली है, दशरध की बन संतान।
रामनाम से मुकि मिले है, मिट जाए हर पाप,
शेर लिखे हुंकार भरों सब, बोलो जय श्रीराम।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )