मकर संक्रान्ति पर्व पर

ओज पुंज सूर्यदेव भगवान,
सहर्ष उत्तरायन शुभागमन ।
धरा गगन उत्संग शुभता,
रज रज पावनता रमन ।
देवलोक जागरण बेला,
आनंद जीवन अंकुर नर्व पर।
पुण्यों का श्री वंदन,मकर संक्रान्ति पर्व पर।।

जप तप अर्पण तर्पण ,
अद्भुत अनुपम संयोग ।
मंगलता अथाह संचरण,
परमानंद अनुभूत योग।
नूतनता उत्सविक श्रृंगार,
कर्म धर्म पट अर्थव कर ।
पुण्यों का श्री वंदन,मकर संक्रान्ति पर्व पर ।।

सुशोभित संस्कृति संस्कार,
मान सम्मान आदर भाव ।
नमन वरिष्ठजन चरण प्रभा,
अनुज सानिध्य आशीष छांव ।
परम्परा मर्यादा निर्वहन संग,
संबंध अभिव्यंजन स्नेहिल गर्व कर ।
पुण्यों का श्री वंदन,मकर संक्रांति पर्व पर ।।

धनु सह मकर राशि परिध,
सूर्य देवता अति हर्षित ।
पुत्र शनि मुद्रा असीम प्रसन्न ,
सिंहासन भाल स्नेह दर्शित ।
परम पद कर्म धर्म आस्था,
नैतिकता आविर्भाव जन कर्व पर ।
पुण्यों का श्री वंदन,मकर संक्रान्ति पर्व पर ।।

 

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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