Sandeep Kumar Hindi Poetry

संदीप कुमार की कविताएं | Sandeep Kumar Hindi Poetry

विषय सूची

अब समझ में

अब समझ में आया
जित या हार क्या होती है
छोटे ही समय की सही
इंतजार क्या होती है

संबंध खून की
दिल का पुकार क्या होती है
आंख से गिरते मोती देखा तो
जाना प्यार क्या होती है

घड़ी दो घड़ी पहर दो पहर
दिल पर वार क्या होती है
तन्हाई में जिया तो जाना
ख्याल-बात क्या होती है

मुश्किल समय में बोला तो
देखा शब्दों पर बवाल क्या होती है
गलत फैमिनी में जीने वाले का
जीवन काल क्या होती है

आंखों से उतरी पानी
तो समझ आया चाल क्या होती है
हिम्मत हौसले साथी साथ छोड़ दें तो
समझ आता है साथ क्या होती है

अब समझ में

निराकार में आकार हूं

निराकार में आकार हूं सत्यमेव ओंकार हूं।
सत्य सनातन सदाचार सृष्टि शिल्पकार हूं।

आस्था श्रद्धा विश्वास दीपों में उजास हूं।
मन मंदिर का उजाला देवों में मैं खास हूं।

प्रलय हूं विनाश हूं उन्नति और विकास हूं।
काल महाकाल शिव कारण हूं समास हूं।

परिवर्तन का पांव हूं भूत वर्तमान काल हूं।
हरियाली भरा गांव हूं पार लगा दे नाव हूं।

खुशियों का खजाना हूं नूतन जमाना हूं।
गीतों का तराना हूं मैं कोई अफसाना हूं।

शब्द संगीत ताल हूं मैं बड़ा बेमिसाल हूं।
याद करके देखो जरा मिलता हर हाल हूं।

कर दूं मालामाल हूं जैसे कोई कमाल हूं।
हिला दूं सारी दुनिया कोई माया जाल हूं।

सभ्यता भी संस्कार हूं सहमति प्रतिकार हूं।
जीवन का आधार खुशियों भरा उपहार हूं।

सुलगती हुई तप्ती भट्टी पर हाथ रखकर

सुलगती हुई तप्ती भट्टी पर हाथ रखकर
हाथ जलाना है संदीप
आज अगर गलत कीए कल पकड़े गए तो
किस मुंह से मुंह दिखाना होगा संदीप
यह दरमियां है दुनिया की झुठी फ्रेब में चलने की
राहों पर हर वक्त सच बोल कर कितना आगे जाना है संदीप
सुलगती हुई तप्ती भट्टी ,,,,,,

एक जुबान पर कायम रहते हैं कम लोग
जुबान देकर जुबान से पीछे हटना है क्या संदीप
सांपों की तरह सपोले हो गए हैं लोग
इनकी फन से बच कर निकल जाना है संदीप
इतर बितर छिप-छिप कर वार करते हैं कुछ लोग
इनके निगाहों से बच कर निकल जाना है संदीप
जमाना पहले जैसा नहीं रहा बहुत बदल गया है
किसी के साथ चलने से पहले उसको जान लेना है संदीप
सुलगती हुई तप्ती भट्टी ,,,,,,

देखना है मुश्किल राहों कि निगाहों पर
जबरन कोई बोझ नहीं उठाना है संदीप
गिर गए तो कोई हाथ नहीं लगाएगा
सूझबूझ से हर काम लेना है संदीप
पांव खींचने वाले हैं कदम दर कदम
उनके छल से बच कर आगे जाना है संदीप
सुलगती हुई तप्ती भट्टी ,,,,,,

दुनिया बड़ी फरेबी है
हर आंखों को आंखों से पढ़ पाना आसान है संदीप
मुश्किल घड़ी में अक्सर साथ छोड़ देते हैं साथ चलने वाले
ऐसे में किससे हाथ मिलाना है संदीप
देख अपना रास्ता अपना मंजिल खुद तय करना है
इसलिए संभाल कर कदम चलना है संदीप
सुलगती हुई तप्ती भट्टी ,,,,,,

अकेला तन्हा गुजारा तो कर नहीं सकते
मंगल सेहरा सजाना है संदीप
लेकिन बिबि के कितने नखरे होते हैं
कैसे निभाना होगा संदीप
अडिग अटल निष्पक्ष भाव से
देख अपना घर को चलना है संदीप
सुलगती हुई तप्ती भट्टी ,,,,,,

मुकम्मल जिंदगी है गुजारनी हैं
बिन मस्तक को सजाएं न रहना है संदीप
झूठी आन बान शौकत को छोड़कर
असलियत की राह अपनाना है संदीप
सरमाओगे तो हाथ में आए हाथ भी छूठ जाएंगा
मोहब्बत की कश्ती को किनारा लगाना है संदीप

सुलगती हुई तप्ती भट्टी पर,,,,,,,

मुझे छोड़ दे अब

मुझे छोड़ दे अब
मेरे खस्ते हालात पर
तू जा और ऐस कर
बेहतर दीन रात पर

मैं जैसा भी होगा जी लूंगा
मृत्यु शैय्या के लाश पर
तु खुश रह सुख मय जी
दुआ है प्रभु से दिल के जज्बात पर

सह लूंगा हर दर्द मैं
इन्हें प्रभु मुझसे आजाद कर
सुख समृद्धि भी दें
विनती है अपने बुरे हालात से

छोड़ मुझे देख उन्हें
मोहब्बत की किताब पर
मत कर चर्चा अब आगे कोई
फिजुल है कहानी जित या हार पर

जिंदगी जी
किसी भी हालात पर
जानी उड़ान भर तु कामना है मेरी
जिंदा दिली है मेरा तेरी हाथ पर

नीचे कभी नहीं गिरने तू
रखना हिम्मत मेरी कहीं बात पर
तु जा मत देख पलट कर
गुजरा ख्याल है सौखिए मिजाज पर

मुझे छोड़ दे अब

तुम राजा बन जाना

तुम राजा बन जाना
मैं रानी बन जाऊंगा
जीवन का सुंदर
प्रेम कहानी बन जाऊंगा

खिलेंगें इतने सुंदर
उदाहरण राधा रानी का बन जाऊंगा
अपने प्रेम कहानी में
अनुपम मस्तानी बन जाऊंगा

हम बसेंगे तेरी आंखों में
तुम बसना मेरी आंखों में
बहुत अच्छी कहानी बन जाऊंगा
मधुर जीवन कि मधू लिए
फूल सी रात रानी बन जाऊंगा

जिसमें सिर्फ प्रेम बसेंगे
वह आंखों का मोती वह पानी बन जाऊंगा
अपने जीवन के मटर गश्ती में
एक अमिट कहानी बन जाऊंगा

भूल जाएंगे दुनियादारी
अपने दिलों से हिंदुस्तानी बन जाऊंगा
तेरी दर्द मेरी , मेरी दर्द तेरी
दो चेहरे एक जुबानी बन जाऊंगा

तुम राजा बन जाना ,,,,,

क्यों दिखाई थी तुम

क्यों दिखाई थी तुम
अपनी दुनिया, संसार की तरह
जब नहीं करना था तुम्हें
प्यार, प्यार की तरह

हम खो गए थे तुझमें
जैसे कोई खोई अंधकार की तरह
नजर तक नहीं आती हमें अपनी दुनिया
डूब गए हैं हम ऐसे पानी में एक पतवार की तरह

कहां है क्या कर रहे है कुछ खबर नहीं
मर गए हम किसान कि मार के तरह
संभालो दुनिया वालों
हम खुद हार गए हैं वृक्ष के टूटे डाल की तरह

खो गई है शुद्ध बुद्ध
जैसे प्रवृत्ति बदली हो प्रकृति के मार की तरह
कहां जाए हम
जब रास्ते ही नहीं दिखे किसी अंधे सरकार की तरह

ना बुनियाद हो चुका है सोच हमारा
जैसे आंखें बंद हो चुकी है एक सार की तरह
वैसे ही मुझे कुछ भी नहीं भाता
ठुकराएं हुए हैं एक किरदार की तरह

जाओ तुम हम जी लेंगे जिंदगी
कृष्ण की राधा की संसार की तरह
पांव कि बेड़ियां खुल चुकी है
मोतियों की माला के हार कि तरह

चित्र सजा है देख रहा हूं
जैसे एक बाजार की तरह
अब क्या होगा संभव संदीप
देखते हैं जीवन कलम कार की तरह

क्यों दिखाई थी तुम

थोड़े दिन ही चले हैं

थोड़े दिन ही चले हैं
साथ छूट रहा है
जिंदगी तुमसे अब
नाता टूट रहा है

कैसे रोके तुम्हें
छाती फूट रहा है
आंखों की सपना
शब्र से आंखें मूंद रहा है

पल भर की खुशियां देकर
पूरा संसार लूट रहा है
एक उम्मीदों का किरण
पूरब में डूब रहा है

कुछ कह नहीं सकते हैं
धीरज का बांध टूट रहा है
एक लड़ी जो जूड़ी थी
धीरे-धीरे टूट रहा है

मोती ख्वाब का
आंखों से दूर हो रहा है
छन भंगुर एक रिस्ता
कांच सा चूर-चूर हो रहा है

स्नेहिल दिल कह रही है
फुर्सत से कोई आंखें बंद हो रही है
कैसे रोके जाने वाली को
जो स्वेच्छा से दूर जा चुकी है

जबरदस्ती किसी को बांधा नहीं जा सकता
आंखें आंखों को मुंद रहा है
आत्मा से बंधा एक नाता
आत्मा से दूर हो रहा है

थोड़े दिन ही चले हैं

चेहरे पर मुस्कान है

चेहरे पर मुस्कान है
सिर्फ दिखाने के लिए
दिल में उतर कर देखो
घाव है कितने मलहम लगाने के लिए

कहर रही है आत्मा
तुमसे दो लफ्ज़ गुनगुनाने के लिए
आंसू बहाते हैं आंख
रुमाल है सच को छुपाने के लिए

दिल बोल रही है
सदी के राग दबाने के लिए
पत्थर राहों में आता है
ऊंचा छलांग लगाने के लिए

स्मृति मत भुलो संदीप
आलम आएगा दिखाने के लिए
दोस्त यार मित्र से हाथें मिलाओ
समय पर साथ आने के लिए

मसरूफ कभी हो जाओ
सच को जानकर भुलाने के लिए
तबीयत उछाल कर देखो
हिम्मत जुटाने के लिए

वह है अपने ही रूपरेखा में
सिलवट होता है असलियत छुपाने के लिए
जाने वाले को कौन रोक सकता है
कम बढ़ाओ बहुत कुछ होने के लिए

मौन है अंदाजे बयां कर रहा हूं
दर्द को मिटाने के लिए
हवा चलती है तो पंछी भी उड़ जाते हैं
विपरीत समय होता है समय बताने के लिए

चेहरे पर मुस्कान है

बेहद खुशियां

बेहद खुशियां
बेहद प्यारें हैं
आंखों में एक
नयनचुंबी सितारें हैं

जिसके लिए
यह दिल तक हारें हैं
जिन्हें
यह नश्वर शरीर पुकारें हैं
बेहद खुशियां ,,,,,,,,

उन्हें कैसे भूलाउं
जो लगते आंखों के तारे हैं
वह लजीज चेहरा
बहुत प्यारें हैं
बेहद खुशियां ,,,,,,,,

उसे चाहता हूं
उसमें चाहत के गुण सारे हैं
क्या कहें
वह सितम के सितारे हैं
बेहद खुशियां ,,,,,,,,

कभी नहीं
उसके याद बुलाए हैं
कहीं भी रहूं
आते याद उसके न्यारे – न्यारे हैं
बेहद खुशियां ,,,,,,,,

दिल जहान तक मैं हार चुका हूं
वह इतने प्यारे हैं
सामने होता हूं उसका कुछ बोल न पाता हूं
वह अखियों के ऐसे तारे हैं
बेहद खुशियां ,,,,,,,,

आप सबों को बताऊं
वह हमारे हृदय के सितारे हैं
नैनों में बसने वाले
उसकी मुस्कान बहुत प्यारे हैं

बेहद खुशियां, बेहद प्यारें हैं,,,,,

समझ नहीं आती है

समझ नहीं आती है
क्या रखी है उसकी बातों में
जो नींद नहीं आती है
सारी की सारी रातों में

मन नहीं लगता है
पढ़ूं कुछ किताबों में
आंख खुली की खुली रह जाती है
देखती उनकी ख्वाबों में

यूं ही कट जाती हैं
रात ख्यालातों की बातों में
बस एक चाह रह जाती है
कहीं नजर आए किसी राहों में

दिन भर निकल जाता है
आशाओं की मुलाकातों में
प्रिय कहीं दिल से लगा ले
दिल की दुआओं में

आंखें बोलती है
निर्झर उपवन के साथों में
कितने दिल को झुलसाओ गे
अपनी प्यारी की यादों में

कविता लिखता हूं
उसकी राहें मुलाकातों में
जीवन मस्त गुजर जाए
दुआ और ख्यालातों में

बस यूं ही

बस यूं ही
तु दिल की प्यारी हो गई
ख्यालातो ख्वाबों की
दुनिया सारी हो गई
बस यूं ही ,,,,,

चाहा तो कम ही था
लेकिन आंखों कि खुद्दारी हो गई
हें sweet heart
तु दिल की सबसे न्यारी हो गई
बस यूं ही ,,,,,

देखते रहे हम
यह उपन(शरीर) तेरी सारी हो गई
खिलकर गुलाब
इस प्रकृति(मन) की क्यारी हो गई
बस यूं ही ,,,,,

मुझे समझ नहीं आया
कैसे यह सब बयान जारी हो गई
बस यूं ही देखा
तु दिल की तलब प्यारी हो गई
बस यूं ही ,,,,,

चारों तरफ (नस-नस, रोम-रोम)
बातें तेरी सारी हो गई
मुझे कुछ भी नहीं खबर
कैसे यह सितम(मैं) तुम्हारी हो गई
बस यूं ही ,,,,,

दिल के बस्ती में हूं

तुम्हें मनाने को
तेरी अर्जी में हूं
चाहत की लौ लीए
खुदगर्जी में हूं

स्वप्न के गान लिए
जिंदगी के पर्ची में हूं
हसीन ख्वाबों की वादियों में
डुबें भीसन सर्दी में हूं

कुछ समझ नहीं आता क्या करूं
मन कि मर्जी में हूं
तेरी ख्यालों की दुनिया के
सुंदर सी पर्ची में हूं

उड़ रहा हूं सफर में
मय कदों की हस्ती में हूं
धड़क रहा है दिल जानी
दिल के बस्ती में हूं

कैसे बताऊं तुम्हें
स्वप्न की महफिल में हूं
पास नहीं तेरी
लेकिन तेरी जीवन शैली में हूं

दिल धड़कता हैं

दिल धड़कता हैं
याद हैं तुम
आंखें कहती हैं
क्या बात हैं तुम

तुम्हें देखूं देखता रहूं
हसीन ख्वाब हैं तुम
चांद सी चमकती
दिखती लाजवाब हैं तुम

तेरी बंदगी करूं
खिलती गुलाब हैं तुम
आ पास बैठ मेरे
दिल की महताब है तुम

हर वक्त याद तुम्हारी सताती है
नशे की हालत है तुम
तन मन से तुम्हें जुजा कैसे करूं
मन कि नवाब है तुम

दिल कहती है
पानी की प्यास सी आप है तुम
प्रार्थना की मूरत
मोहब्बत की चिराग है तुम

तुम्हें धोर उदासी में भी देख लूं
तो खुशियों का अंबार हैं तुम
सबसे ज्यादा मिलने वाली
इस चक्र कि प्यार है तुम

झूठी वादे कसमे भुला
दिलों की विश्वास है तुम
कुछ भी कहों मगर
पुरी कि पुरी कायनात हैं तुम

दिल धड़कता हैं

हमारी एक चुक से

हमारी एक चुक से
हो सकती है कितनी नुकसान
आओ देखते हैं बच्चों
लगा कर जरा अपना ध्यान

सड़क दुर्घटना आज हमारी
निज मन को त्राहि कर देता है
इसमें न जाने
कौन क्या-क्या खो देता है

कोई भाई कोई बंधु
कोई विचलित इससे हो जाता है
देश की बड़ी समस्या है यह
जो सड़क दुर्घटना से पैदा होता है

न जाने क्यूं लोग
फिर भी मोटर वाहन स्पीड में चलाता है
जबकि इससे सबसे ज्यादा नुक्सान
उसी व्यक्ति को उठाना होता है

देश के लिए यह एक बड़ी छती है
जिसका भरपाई देश की कोस से न हो पता है
फिर भी न जाने क्यों लोग
ट्रैफिक नियम को तोड़कर चल देता है

सरकार इस पर ध्यान केंद्रित करें
क्योंकि यह एक बड़ा नुकसान को जन्म देता है
जिसका भरपाई कोई अपना मंगलसूत्र से तो
कोई अपना भाई बंधु को खो के चुकाता है

तुमसे मिलकर

तुमसे मिलकर
कब लौट कर जाना चाहता हूं
दिल बैठ जाती
जब भी तेरी ख्यालों से निकालना चाहता हूं

रुखसत कुछ भी नजर नहीं आती
दिल कहता है तुझ पर मरना चाहता हूं
एक बार फिर से तुम देख ले
मैं तेरी आंखों में सबरना चाहता हूं

दिल थाम के बैठा हूं
सूरज आ तुमसे मिलना चाहता हूं
अब अंधेरे से बाहर निकाल कर
जुगनू बनाकर विचलन करना चाहता हूं

अकेलेपन खलती है
तेरी सांसों के संग जीना चाहता हूं
ओ मेरे हमसफर आवाज दें
तुमसे मिलना चाहता हूं

बड़ी दर्द होती है तुमसे दूर रहकर
झील सी आंखों में तेरी डूबना चाहता हूं
समंदर सी गहरी तेरी आत्मा में
मैं निश्चल भाव से रहना चाहता हूं

फूलों की सेज है तुम
दिल जानी तेरी जुल्फों से खेलना चाहता हूं
तू नैन लड़ा
तेरी नैनों में बहना चाहता हूं

तुमसे मिलकर

द्रवित मन से मैं

द्रवित मन से मैं
अपने दिल के दर्द को रखता हूं
तनिक भी इसमें झूठ नहीं है
सच बयान शब्दों में गढ़ता हूं

क्या हूं कैसा हूं कितना हूं
सारी बातें पटल पर रखता हूं
आंख बंद कर चलने से अच्छा
सच के दीपक बन जलता हूं

छल की बातें सोचना भी दूर
आंखों की पर्दा हटाता हूं
अपने लिए कविता लिख रहा हूं
किसी के चक्कर में नहीं पड़ता हूं

धर्म हमारा हिंदू है पंथ हमारा कोइरी(कुशवाहा)
नीचे कर्तव्यों को दिनभर गढ़ता हूं
दौलत शोहरत चंद चूटकी भर है
गुरुर में कभी नहीं जीता हूं

यह दिल के निकले शब्द है
आत्मा से सबका सम्मान करता हूं
अगर किसी का दिल दुखाया हूं तो
एक शब्दों में छमा गान करता हूं

मुझे खबर नहीं
मैं कैसा हूं
पर एक बात कहूं
किसी को अपनी वाणी से चोट पहुंचाया तो अपना बाणी वापस लेता हूं

मेरे संबंध बस मुझसे है
मैं किसी के अधिकार में दखल अंदाजी नहीं करता हूं
समय कम है इसीलिए
बहूं तों को बहुत कम समय दे पाता हूं

द्रवित मन से मैं

दिल ही दिल

दिल ही दिल
किसी के इंतजार में हूं
खोया खोया
किसी के प्यार में हूं

राहे देख रहा हूं
दिन के अंधकार में हूं
कोई हैं जिसकी
इंतजार में हूं

भीगी है आंखें
दिल की पुकार में हूं
पूरी दुनिया समाईं हुई
एक आंखों के संसार में हूं

हर कुछ वही लगती है
गुरबत ए दिनार में हूं
मय कसी मय में डूबी
दिल के दरबार में हूं

नाम नहीं लिखती उसकी
उसकी बिछाईं जाल में हूं
स्वप्न कि मोती के आंखों में
भीगे भीगे लिए संसार में हूं

दिल ही दिल

ए मंजिल

ए मंजिल
आ दूरियां घटा दें
बेताबियों को दिल से
जरा सा मिटा दें

बड़ी दर्द देती है
रुख हवा का बता दें
नैन से जरा सी
नशे प्यार का पिला दें

सबनबी आंखें देखें नहीं
एक बार दिखा दें
धड़कन कि गति को
राहत कि सांस दिला दें

धुआ धुआ हो रही है मन
अपनी खबर सुना दें
रश्के कमर पर हाथ रख
जरा चलना सिखा दें

ए मंजिल

तेरी यादें चढ़ी

तेरी यादें चढ़ी
सबरती चली गई
नींद आंखों से
उतरती चली गई

देखती रही राहें मन इंतजार
इंतजार कि लड़ी बढ़ती चली गई
धड़कन की वेदना
अधर से धड़कती चली गई

रोम रोम की आशाओं की दीपक
मचली और खिलती चली गई
उत्साहित मन
प्यार में निखरती चली गई

रोज आईने देखता रहा
दिल धक-धक करती चली गई
ख्वाइश में तपिश की आग
बढ़ती चली गई

पुकारता रहा तन मन
जिगर तुझ पर मरती चली गई
आंखें राहों में तेरी
गड़ती चली गई

उम्मीदों का किरण
पर्वत सि मचलती चली गई
मिलन की आश तुम्हारी
आस्थाओं से ऊपर उठती चली गई

तेरी यादें चढ़ी,,,,,

दिल ही दिल याद करता हूं

अकेले-अकेले बैठे-बैठे
अपनेसे फरियाद करता हूं
कहीं उनकी कुछ बातों को
दिल ही दिल याद करता हूं

सोचता हूं उन्हें फिर मुस्कुराता हूं
दुआओं में उसकी बात करता हूं
कितनी भोली कितनी प्यारी है वह
उन्हें दिल ही दिल प्यार करता हूं

ऊंचे आसमान छू सकते हैं कहीं थी वह
उसकी नजरिए को दाद देता हूं
इस अच्छे उम्मीदौं के लिए उन्हें
भरपूर प्यार और आशीर्वाद देता हूं

मिलकर सुकून मिलती हैं
तबियत खुश करने की इरादा ए पाक कहता हूं
इसारे इसरों में दबी शब्द कहने को
तहें दिल से उन्हें धन्यवाद देता हूं

छूऊंगा ऊंचाई को
मैं भी किस्मत से दो-दो हाथ करता हूं
आप सामान्य सी बातों में बुरा न माने
आपको अपना ही जान के कुछ बात कहता हूं

किनारे से देखने वाले का

किनारे से देखने वाले का
हुजुम जग में सारा था
नदी में जिस वक्त डूब रहें थे
उस वक्त बस एक तिनके का सहारा था
किनारे से देखने ,,,,,

बाकी सब थे मौन खडे़ दर पर
सुशोभित चेहरा सब का प्यारा था
गर्दन पर चाकू पड़े थे
मुख बधिर बनकर सब देख रहे यारा था
नदी में जिस,,,,,,,

उम्मीद की किरण डूब रही थी
छाया घनघोर घटा यारा था
चोच में चोच मिलाकर मीठी शब्द बोलने वाले
देखा कितना दिलदार यारा था
नदी में जिस,,,,,,,

समय का पहिया नाच रही थी
उम्मीदों का किरण छोड़कर हारा था
जिस जीस को पुकारे थे वही वही पीछे हटे
अपने बल ही अपने समय पर न्यारा था
नदी में जिस,,,,,,,

वह हमसफ़र नहीं

वह हमसफ़र नहीं
हमसफर सी लगती है
गैर होकर भी
अपनी धर्म सी लगती है

चाहते हैं उन्हें हद से ज्यादा
वह दिल कि दर्द सी लगती है
प्यारी कली वह
अपनी महल सी लगती है

जी करता है उन्हें अपने साए में रख लूं
वह बिन बंधे बंधन सी लगती है
छु कर निकल जाती है वह रुह को
आत्मा की वह धड़कन सी लगती है

देखता हूं उन्हें तो देखते रह जाता हूं
वटवृक्ष कि वह जड़ सी लगती है
फुलौं कि सेज समझूं उन्हें
कंधे कि मजबूत बेस सि लगती हैं

दिल कहती हैं उसकी अभिनंदन करूं
रोम रोम की उससे तालमेल सी लगती है
भूल कर भी कैसे भूलाउं उन्हें
जो चंदन पुष्प अमृत बेल सी लगती है

आंखें थक सी गई है

आंखें थक सी गई है
दिल तेरा कब तक दिलदार करूं
कुछ बोल तो जा
राहों पर तेरी कब तक इंतजार करूं
आंखें थक,,,,,

रूह पुकार रही है तुम्हें
वेदना में कब तक तेरी चीत्कार करूं
धड़कन, घड़ से कह रही
अधर पर रह कब तक तुमसे इजहार करूं
कुछ बोल तो जा,,,,,

मन भाग रही है
बाहें फैला कर कब तक तेरी दस्तार करूं
झूठा आश्वासन देकर
आत्मा को कब तक अपनी बेदार करूं
कुछ बोल तो जा,,,,,

नयन चुंबी नयन को चूम रही है
नैनो को नैनो से कब तक बाधित हर बार करूं
जान जानी जरा जान से कह दो न
सामने होकर तेरी कैसे न तुमसे दिलदार करूं
कुछ बोल तो जा,,,,,

अंग अंग रोम रोम कह रही हैं
कैसे तुमसे मिलकर दूर खुद को हर बार करूं
पत्थर बनकर तेरे पास से चलें जाऊं
यह हद और कब तक स्वीकार करूं
कुछ बोल तो जा,,,,,

मोम से दिल को
कठोर तपस्या से कैसे संघार करूं
दिल कि टुकड़ा अजीज प्रेमी
तुम बता कब तक तेरी मौन व्रत कि इंतजार करूं
कुछ बोल तो जा,,,,,

आंखों आंखों से

आंखों आंखों से कई बात हुआ है
रिमझिम बूंदाबूंदी दिल पर बरसात हुआ है
छूकर उसकी दिल के अरमानों को
अपना दिल खिल कर गुलाब हुआ है

चढ़ी है सुरूर दिल की कसक में
मरा हुआ अरमान जागकर आबाद हुआ है
स्वांसों की ध्वनि में समाईं है जब से वह लड़की
तब से दिल खिल कर अपना गुलाब हुआ है

थकन सारी दूर हुई जैसे आसमान बाज छुआ है
उमड़ती हुई जज्बातों कि किरण देख आकाश साफ हुआ है

मिली है वह लड़की जब से
तब से दिल खिल कर गुलाब हुआ है

छुअन कि एहसासों को समेट कर रखा हूं
अनुभव की अनुभूति हवा -हवा हुआ है
लड़ी है आंखें जब से उसकी मुझसे
तबसे दिल खिल कर गुलाब हुआ है

इंतजार की पल समाप्त हुई
लहराती बेलों कि रूसवाई धमाल हुआ है
इस कोरे कागज पर लिखे गए जब से नाम उसकी
तब से दिल खिल कर गुलाब हुआ है

धड़कन धड़कने से थिर नहीं लेती
यह आंसू भी ऐसे जैसे शराब हुआ है
मोहब्बत की इनायत देखी करते जबसे दुआओं में
तब से दिल खिलकर गुलाब हुआ है

बाहें फैला कर इंतजार कर रहा हूं उसकी
बेइंतहा प्यार का उसपर बरसात हुआ है
उम्मीद की किरण तारे आकाश गिन रही है फिर भी प्यार में उसकी
दिल खिलकर गुलाब हुआ है

मन कहीं रुकती नहीं
नयन, नयनचुंबी को बेकरार हुआ है
नैनो को नैनो से कैसे रोके
नैन तो नैनों को देखकर ही खिल कर गुलाब हुआ है

रोम रोम पुकार रही है उसको
दिल दीदार को बेकरार हुआ है
हमरूह आ पास दिल तुम्हें पुकारती है
तेरे आने की यादों से ही अपना दिल खिल कर गुलाब हुआ है

तारीफ क्या करूं मैं उसकी

तारीफ क्या करूं मैं उसकी
वह लाजवाब सी दिखती है
ऐसे जैसे तरासे हुए
फूल गुलाब सी दिखती है

देखता हूं उन्हें देखते रह जाता हूं
क्या वह मेहताब सी लगती है
इस सफर कि वह लड़की
फूल गुलाब सी दिखती है

उन्हें मन करता है बाहों में जकड़ लूं
वह स्वप्न कि ख्वाब सी दिखती है
चांद सूरज भी उसकी आगे फीकी है
वह ऐसे फूल गुलाब सी दिखती है

चाहत की नदियों में
वह महताब सी दिखती है
परियों की शहजादी वह
फूल गुलाब सी दिखती है

उन्हें संजो कर रखा हूं यादों में
वह मंजिल की इंतजार सी दिखती है
देखकर उन्हें देखता रह जाता हूं
वह ऐसी फूल गुलाब सी दिखती है

उनसे नयन कहती है नयन न हटाऊं
नयन कि वह त्रास सी दिखती है
दिल पर खिलें बागबा
वह फूल गुलाब सी दिखती है

तुम थोड़ी सी मुस्कुरा देती हो तो

तुम थोड़ी सी मुस्कुरा देती हो तो
दिल बाग बाग हो जाता है
ऐसे जैसे मुरझाए हुए फूल
खिल कर गुलाब हो जाता है

निखर आता है चेहरा
रौनक ए ख्वाब सज जाता है
धर होता है जमीन पर
मन आसमान में उड़ जाता है

सपना हकीकत को छोड़ कर
ख्वाब में डूब जाता है
तेरी यादें ऐसी लगती
जैसे निर्झर झरना सा बहता है

फुर्सत न होने पर भी
तेरे लिए बहुत फुर्सत निकल आता है
तु आवाज लगाओ
तेरे पास खोने का दिल करता है

तेरी सुर्ख आंखों में बस कर
बादल बन जाने का जी करता है
प्यार की तुम खुबसूरत अनुभूति हो
तेरे साथ जीने मरने का दिल करता है

धड़कन थाम कर हूं
खत तुझपर लिखने का मन करता है
तु आंखों की नयाब चेहरा हो
तेरे साथ जनम जनम बंधने का मन करता है

तुम खिड़की से देखी थी

तुम खिड़की से देखी थी
और मैं दर से देखा था
सीमाओं में रहकर
चाहत के समंदर देखा था

नहीं थी मुकाम कोई
लेकिन एक नजर से देखा था
एक दूजे को हम
दिल के अंदर से देखा था

वह दिन भी क्या दिन थी
अपना-अपना मुकद्दर देखा था
छोटी सी मुलाकात से
स्वप्न का घर देखा था

आंखों पर हाथ लिए
दीवानगी के नजर से देखा था
किसी नहीं पता कौन कहां से हैं
लेकिन एक दुजे को मर के देखा था

वह यादें आज तरो ताजा हो गई
जब मुकाम बदल के देखा था
हमने खिड़की से देख
और आपने सफर से देखा था

हाय बाय आंखें कह रही थी
नजर से नजर में देखा था
कुछ पास होकर बोल भी न पाए
क्या हमने सफर में देखा था

दिल की उमड़ती हुई भाव बोली
हमने जीवन के डगर से देखा था
प्रिय मिलन की बिंदु के सफर में
एक दूजे दिल की गुर्बत से देखा था

तुम खिड़की से देखी थी,,,,,,

मैं कहीं तो हूं

अपनी दुर्ग छलती आंखों से देखों मैं कहीं तो हूं
मन के दर्पण में झांक कर देखों मैं कहीं तो हूं
गया नहीं तुम्हें छोड़कर अभी कहीं
तू अपने सितम के घर में देखों मैं कहीं तो हूं

मचलती हुई आगाध स्नेह के बांधों में देखों मैं कहीं तो हूं
चलती हुई नदियों के धारों में देखो मैं कहीं तो हूं
तुम्हें छोड़कर कहां जाऊंगा तुम्ही हमारी दुनिया हो
तू स्याह भरी आंखों के दर्पण में देखों मैं कहीं तो हूं

साथ तेरी आती जाती समर्पित आंखों में देखों मैं कहीं तो हूं
बांह फैला कर हाथ बढ़ा कर तिक्ष्ण नजरों से देखों मैं कहीं तो हूं
तुम्हें भूलकर भी नहीं भूला पाऊंगा
तुम धड़कती हुई धड़कन में देखों मैं कहीं तो हूं

दर्द दया कन-कन में विराजे मैं कहीं तो हूं
भूले बिरछे यादों की स्वप्न के ख्वाबों में मैं कहीं तो हूं
तुम भूल जा मैं याद दिलाऊंगा बीते दिनों की ख्वाबों में देखों मैं कहीं तो हूं

चांद सितारे बदन के रूह के अंगारों में देखों मैं कहीं तो हूं
भूले बिरछे यादों की ख्वाबों में देखों मैं कहीं तो हूं
तुम्हें क्या लगा भूल जाऊंगा बस कुछ ही दिनों में
तुम अपनी परछाई देखों उस परछाई में मैं कहीं तो हूं

दिन बदल लूंगा

गम छठ जाए
तो हंस लूंगा
मौसम की तरह
दिन बदल लूंगा

राहें उल्फत कि रही
तो सरल रहूंगा
मोहब्बत आपसे है
तो किससे सरन लूंगा

छटी इंतजार की घड़ी
अब दम लूंगा
जान जानी जान
इक्के से बेगम बदल लूंगा

खेल शुरू हूंआ है
अश्वमेध घोड़े को पकड़ लूंगा
हासीए पर जान हैं
तांगे पर सफर करुंगा

तुम धड़कन हो
तेरी धड़कन में रह लूंगा
मायूस क्यूं हो तु
स्थिति निपट लूंगा

हिम्मत रख
हौसले से काम लूंगा
सामो सितम किसके रहे हैं
जो चाहूंगा कर लूंगा

बस साथ दे तु
चक्रव्यूह रच दूंगा
देखने वाले देखते रह जाएंगे
परिणाम बदल दूंगा

तुम्हें देखकर देखता

आंखें तुम्हारी प्यारी है
सब रंगे तुझ पर भारी है
तुम्हें देखकर देखता रहा
तू किस कुल की फूल कुमारी है

तेरी यादें बिसरती नहीं
अजीब तु दिल की कसक हमारी है
तुम्हें कैसे भुलाऊं
तुम परियों की शहजादी है

चंचल मन कहती है
तुम देवलोक की नारी है
माथा चुमकर निगाहें रूक जाती
तुम वंदन की अधिकारी है

तुम्हें पुकार कर पुकारता रहा
तुझ पर दिल मैंने हारी है
जगमग करती लौ जैसी
तुझमें चमक की गून सारी है

तू जोहरी की सबसे खूबसूरत बनावट
रूपों कि दुश्वारी है
हृदय में विराज तुम हो चुकी हो
बोल लगती तेरी कितनी प्यारी है

तू चंचल मन चपल चतुर
श्याम कुंवर सि राज दुलारी है
तुम्हें कैसे तिलक सा सजाऊं
तुम ख्वाबों की फुलवारी है

तुम्हें देखकर देखता,,,,

आंखों में तेरी

आंखों में तेरी रंग
दिलों में तेरी धूप है
तु दिखती कितनी
सुंदर मधुप है

तुम्हें चांद सा चाहा
तू फूल सि खिलती अनूप है
अरमानों में बसने वाली
तू पायल की झंकार खूब है

तुम्हें नैनों में उतार लूं
तुम दिल की महबूब हैं
तुम्हें धड़कन में बसा लू
तु हिरे सि चमकती कोहिनूर है

तुम्हें ले चलूं मन कि आंगन में
तु परियों कि स्वरूप है
तेरा क्या मिसाल दूं
तु दिखती क्या खूब है

तुम्हें बिंदिया सा धारन करूं
तेरी हिरनी जैसी रूप है
तुम्हें दिल में बसा कर रखूं
तु जीवन साथी महबूब है

मैं उड़ता था

मैं उड़ता था
पर बाज नहीं था
कविता लिखने का
मुझे अंदाज नहीं था

मिली वह तो जानी
हसीन ख्वाब नहीं था
आंखों में बसने वाली
स्वप्न साथी, साथ नहीं था

कोई माने या न माने
मेरी रात, रात नहीं था
सुंदर सी खिलती हुई
हंसी का अंदाज नहीं था

देखा उन्हें तो जाना
दिल पर घात किसी का था
पूर्णमासी चांद सी
खिलती हुई अंदाज किसी का था

जुगनू की तरह जगमगाती हुईं
फूलों में ताजगी का राज किसी का था
रग रग में बसने वाली
मिलन का आस किसी से था

तमस भरी अंधेरा में
मुलाकात किसी का था
गुजर चुकी बातों का
किताब किसी का था

चलते रहे अभी तक
आंखें चार करने का एतबार किसी से था
उस लड़की कि
रुदन करती हुई ख्वाब कहीं था

चाहतों की शिकस्त में
मुलाकात किसी का था
नजर के सामने आई हुई
जिगर कायनात किसी का था

बोले नहीं उसे अभी तक
सच में प्यार का बात उसी का था
दिल में 24 घंटे घंटी बजाने वाली
आशिकि का जज्बात उसी का था

ख्वाब टूटते टूटते

ख्वाब टूटते टूटते
अहम टूटनें लगा हैं
ठीक हुआ है कि
घमंड टूटनें लगा हैं

गुरु पाल रखे थे
दर्पण टूटनें लगा हैं
मुट्ठी से रेत फिसला
तो वहम टूटनें लगा है

किसका करूं गुरुर
सवाल रूखसत करने लगा हैं
आंख के तारे आंख दिखा रहे है
जीवन नर्क लगने लगा हैं

किससे सवाल करूं किसका उत्तर ढू
अपना, अपने को बेदखल करने लगा हैं
आसमान से खबर पूछ रहा हूं
ऐसे घर चल रहा है

मचल रहे थे जिस बात पर
अब उस बात से संभल कर चल रहा हूं
पाबंदी नहीं है किसी कि फिर भी
दो कदम चलने के लिए साथी ढूंढ रहा हूं

जीत की जुबान ने

जीत की जुबान ने
जुबानी लिख दीं
कलम उतरी और
कहानी लिख दीं

शब्द को जोड़ कर नयन ने
दीवानी को दीवानी लिख दीं
धड़कन के धड़ में बसने वाली
आंखों कि पानी लिख दीं

बेताज बादशाह बन बैठे थे जो
उन्हें रंगों में आसमानी लिख दीं
फुर्सत से उकेर कर उस परि को
रातों की रानी लिख दीं

हया के बादल चढ़े
तो पानी को पानी लिख दी
चाहा बहुत कुछ था लेकिन
सच में उन्हें जिंदगानी लिख दीं

गजल गित कविता लिखी
फिर उन्हें खानदानी लिख दीं
बेवजह बदनाम न हो जाए वह
उन्हें हवाओं की कहानी लिख दी

दिल को सहेज कर रखा
गलती पर उसकी शैतानी लिख दी
उड़ रही थी वह आसमान में
तो मौसम की मियाज का मनमानी लिख दीं

जीत की जुबान ने,,,,,

बार-बार गिरते हो

बार-बार गिरते हो
संभलना नहीं है क्या
रुक क्यों गए हो
चलना नहीं है क्या

कदम बढ़ाओ
पत्थरों को कुचलना नहीं है क्या
समस्याएं आएगी
आसमान छूना नहीं है क्या

फूल बने रहोगे
कांटों से भिड़ना नहीं है क्या
मासूम चेहरा बनाओ
दिल में उतरना नहीं है क्या

दिन निकल आई
बाहर कदम रखना नहीं है क्या
कब तक जूझते इन सब बातों से
हिम्मत करके लड़ना नहीं है क्या

पांव बेडियो में जकड़ी रहेगी
बोझ से बाहर निकलना नहीं है क्या
आंखें थक सी गई है तेरी इंतजार में
प्यारी गुड़िया इधर आना नहीं है क्या

दिन हिंन से हो गए हैं
मुखड़ा तुम्हें दिखाना नहीं है क्या
और कितना इंतजार कराओगी
दिल के दर्द को सहलाना नहीं है क्या

सबके सेहरे सज रहे हैं
मुझे दूल्हा बनाना नहीं है क्या
जिंदगी खूबसूरत खिल उठेगी
साथ मेरा तुम्हें निभाना नहीं है क्या

बार-बार गिरते हो,,,,,

एक अजीब दास्तां

एक अजीब दास्तां
एक अजीब कहानी है
न संगम फिर भी
बिछड़न कि रवानी है

मेरे दोस्त देखों
किसके आंखों में पानी है
जिधर देखो उधर
अपनी-अपनी जुबानी है

हैरान कि बात नहीं
सिलसिला वही पुरानी है
फर्क बस इतना है
ताबीर बदली तालिम पुरनी हैं

हाथों की लकीरों से न
हौसले की कहानी है
मंजिल पा या ठहर जा
ताकत कि निगेहबानी है

बदल गया चश्मा का नंबर
दिल की दस्तूर कि कहानी है
मतलबी संसार में
मतलबी जुबानी है

मुंह न लगा किसी से
बदतमीजी की निशानी है
अफ़वाह के बाजार में
सच पर झुठ कि बानी है

एक अजीब दास्तां ,,,,

सोच कर निकाला

सोच कर निकाला था
पर किधर जाऊं
तुम अपनी दर पर हो नहीं
तो ठहर जाऊं

कुछ बोलोगी कुछ
या चल जाऊं
मौन खड़ा चुपचाप देखती हो
कैसे सबर जाऊं

शीशे का दिल है मेरा
पत्थरों के शहर में मड़ जाऊं
दिल के किसी कोने में रख ले तुम मुझे
मैं तेरे घर जाऊं

रंग तेरी उतरती नहीं है
ओठों पर तेरी ठहर जाऊंगा
तुम हवा हो मचलती जाओगी
बेखबर मैं किधर को जाऊं

सामने घोर अनायास है
मैं क्या कर जाऊं
प्यारी मोहन तुम तो उड़ती पतंगे हो
मैं किस शहर को जाऊं

रूप नशीला तेरी
देखने तुम्हें किस दर पर आऊं
दिल से तुम जाती नहीं तो
बोलो मैं मर जाऊं

सुहानी मौसम है
हसरत छोड़ निकल जाऊं
तड़प रहा हूं मछली की तरह
दम तोड़ मर जाऊं

सोच कर निकाला,,,,,

मेरा मन मैना

मेरा मन मैना
दिल चैना का नूर है
तुम मैड इन इंडियन
शक्ति में भरपूर है

तुम्हें देखकर फिसल गया मैं
तुम जन्नत कि हुर है
तुम मिल सक्ती हो क्या मुझे
तु बेशकीमती कोहिनूर है

मैं कमजोर धरा का सिपाही
तु मजबूत आधार की गुरूर है
हे ठोस संबल शक्तिशाली
तेरी आंखें नशे की सुरूर है

जब भी देखा तुम्हें मैं मर गया
तुम ऐसी दस्तूर है
तेरी बातों का प्रहार सह सकूं मैं
नहीं ऐसी प्राण कि मेरी शक्ति भरपूर है

तुझसे मिलकर लौट आऊं मैं
हें चांद, ऐसी टेक्नोलॉजी से मैं दूर है
तू भारतीय है कुछ भी कर सकती हो
तुम्हें अपनी शक्ति पर भरोसा कि गुरूर है

मेरा मन मैना,,,,,

गुजर गई दिन पर याद हूं मैं

गुजर गई दिन
पर याद हूं मैं
तेरी आंखों में ठहरने वाली
दिल की बात हूं मैं

चका चौंध भरी दुनिया को देख
दिल कि क्या हालात हूं मैं
कहीं खुलकर बोल न पाओगी
आत्मा का वह आवाज हूं मैं

घुल जाउंगी स्वांसों में तस्तरी कि तरह
जहन में उतरने वाली कायनात हूं मैं
नींदों को खो कर रात भर जगाने वाली
चाहत की वह चाह हूं मैं

प्यारी सूर्यमुखी सुहानी चांदनी
रिमझिम बरसने वाली बादलों की बरसात हूं मैं
शांत और चुप रह कर
बहुत कुछ बोलने वाला बात हूं मैं

जी कर देख ले जिंदगी
दिल में रोज लगाने वाली आग हूं मैं
जुबान से उतरकर बोल में ठहरने वाली
न बोल पाने वाली बात हूं मैं

मधुर भाषी अखियां प्यारी
धीरे धीरे रूह में उतरने वाली घोल हूं मैं
अब भी समय है सोच ले
दुनिया उजाड़ने वाली ख्वाब हूं मैं

गुजर गई दिन पर याद हूं मैं ,,,

शौख ऐ

शौख ऐ फिजाओं में हर कुछ बदला
लेकिन तेरा दीदार न बदला
रास्ता बदला मंजिल बदला दोस्त बदला
लेकिन तेरी इंतजार न बदला
शौख ऐ ,,,,,,

रफ्ता रफ्ता चलते रहे दुनिया कि भिड़ में
लेकिन तेरा प्यार न बदला
पलट पलट कर हम देखते रहे तेरी तरफ
लेकिन तेरी प्रित प्रभाव न बदला
शौख ऐ ,,,,,,

अटल निर्णय कर तुम थमी सी हो
यह तुमने कैसा अहंकार नहीं है बदला
जबकि मैंने तेरे लिए अपनी
पसंद ना पसंद किरदार तक है बदला
शौख ऐ ,,,,,,

छोड़ दिए वह हर ओ चीज
जिससे तेरी स्वरूप की धार है बदला
तुम न बदली तुम न बदली तुम न बदली
तेरे लिए मैने अपना विचार तक है बदला
शौख ऐ ,,,,,,

देख रहे हैं अब भी राहे
लेकिन तुमने अपना रफ्तार नहीं बदला
हमने तो सब कुछ तेरे लिए बदल दी
तुम बताओ मेरे लिए क्या बदला
शौख ऐ ,,,,,,

कट गए पतंग जब

कट गए पतंग जब
दोस्ती के बंदगी से
शिकायत क्या करें तब
जरा जरा सी बात की जिंदगी से

चेहरे पर चेहरा ओढ़ा है
लिवास चढ़े हैं सादगी के
छल कर रहे हैं अब भी
नियत नियती के

हंस रही हैं वह
रुला कर दिल के दिल्लगी से
खो गया है सबुर मेरा
ख्वाब ऐ कस्तूरी से

चुर चुर हो गए हैं
सिसा नूरी के
खाली प्यादा बच गया है
भरे हुए कोहिनूरी के

क्या पाया है देखे
शिवा एक मजदूर, मजदूरी के
तरस नहीं आती है तुम्हें क्या
मोहब्बत में मजबूरी के

चाहत है तुमसे
सफर है लंबी दूरी के
अमीर बाप कि बेटी हो तुम
देख जरा इस फकीरी के

ऐसे हर कोई सुंदर है

ऐसे हर कोई सुंदर है
लेकिन तेरी बात कुछ और है
देखें सभी को लेकिन
तेरी दिल पर आघात कुछ और है

चाहत दीवानगी ऐतवार
तेरी आवाज कि पुकार कुछ और है
देख कर देखता रहा तुम्हें
तेरी अखियों की बात कुछ और है

जमाना भुला दिया
तेरी सितम कि यादगार लम्हें कुछ और है
लहराती हुई तेरी जुल्फे
तेरी मिसाल ए कायनात कुछ और है

तेरी मुस्कुराहट की बातें क्या करूं
तेरी मुस्कान का ताज कुछ और है
तेरी केसुए कि क्या बोले
गजब कि शौकीए राज है

पुकार रही हो तुम ऐसा लगता
तेरी पुकार की बात ही कुछ और है
तेरी सेहरा तेरी नाज
तु दुल्हन बनी तो तेरी बात होनी कुछ और है

ऐसे हर कोई सुंदर है,,,,,,

प्यार किए दर्द मिला

प्यार किए दर्द मिला
दर्द का न दवाई दिया
दिन भर काम किए बाबूजी
फिर भी GST काट के कमाई दिया

सबको लौक रहें हैं
अच्छा एक माह में कमाई किया
लेकिन कौन देखने आएं
किस हाल में हमने पहाड़ पर चढ़ाई किया

आंख से उतरें नींद नहीं
और मालिक ने कारवाई पर कारवाई किया
देखा नहीं कोई आंख मेरा
कितना मैंने उनसे मोहब्बत का नुमाई किया

घर से दूर रह के
प्रदेश का घर जमाई बन गया
किस हाल में और कैसे
एक छोटा सा दर्द काअंगड़ाई लिया

शुध बुध खो गया
नशे में तुम्हें और तेरा अच्छाई लिया
तेरे खातिर खुद का
वेदना में पांव अपना बढ़ाई दिया

दुनिया कुछ न समझें
हमने कैसे आपसे मोहब्बत निभाई दिया
न चीत देखा न पट देखा
दिल में आपको बसाई लिया

किधर जाए कैसे जीवन बिताए
आपके लिए तो जीवन गाथा भुला दिया
सर पर पगड़ी बांध चले हैं
आपके आंखों में जो घर अपना बना दिया

दर्द सुमार हैं फिर भी
बोरी के बोरी पीठ पर उठा लिया
देखें कौन ऐ कुमार को
दिन किस हाल में बिता दिया

प्यार किए दर्द मिला ,,,,

दिल ही दिल बहुत

दिल ही दिल बहुत कुछ कहता हूं मैं
तेरी ख्वाबों कि बिस्तर पर रहता हूं मैं
दिखी हो जब से तुम रेशमी साड़ी में
तब से अचेतन मन से सीहिर गया हूं मैं

कुछ कदम उठाता हूं फिर रुक जाता हूं मैं
बांध कर ढ़ाढस फिर टूट जाता हूं मैं
सिंगार करूं कैसे करूं कुछ समझ नहीं आता
विद्यांचल पर्वत सा रुक जाता हूं मैं

दुनियादारी हिस्सेदारी भूल गया हूं मैं
आंखों में लिए ख्वाब तेरी धूल गया हूं मैं
क्या होती है मोहब्बत आज समझ में आई
खुद से खुद को परखना भूल गया हूं मैं

बड़ी संघर्ष खड़ी है विपदाओं में झूल गया हूं मैं
हाथों की लकीरों को पढ़ना भूल गया हूं मैं
तेरी हसीन जवानी शौख मस्तानी चढ़ी है जब से
तब से अपने आप को भूल गया हूं मैं

साहस के पूरोधे थे बड़े आज मस्तक से सुन्न हो गया हूं मैं
भूल कर खुद को कहां गुम हो गया हूं मैं
अब कुछ समझ नहीं आती कैसे पुकारू तुम्हें
जबकि तेरी रंगों में घुल गया हूं मैं

दिल ही दिल बहुत,,,,,

तुम जुड़ा

तुम जुड़ा बांध के आना
मैं फुल गुलाब ले कर आऊंगा
तेरे के-सुए में जड़ कर
तेरा रूप सजाऊंगा
तुम जुड़ा ,,,,,,

बिन हाथ लगाए दूर से ही
तेरे रोम रोम को महकाऊंगा
प्यार का नए तोफा दे कर
तेरी झील सी आंखों को झिलमिला ऊंगा
तुम जुड़ा ,,,,,,

खामोश मौसम कि एक
अनोखी अंदाज-ए-बया कर जाऊंगा
तेरी जहन में उतर कर
खुब हलचल मचाऊंगा
तुम जुड़ा ,,,,,,

गमगीन मौसम की
सदाबहार फूल खिलाऊंगा
तुम पुकारा चुपके से
और मैं हंसता-हंसता मुस्कुराऊंगा
तुम जुड़ा ,,,,,,

बेताबी दिल की धड़कन का
आसमा ऊंचा उठाऊंगा
दिलजानी इस बार
दिल की फाटक खोल कर आऊंगा
तुम जुड़ा ,,,,,,

सावन भादो आसीन कार्तिक बीत गया
पौष मास का आनंद दिलाऊंगा
तुम तैयार हो जाना
तुम्हें शिमला पेरिस का टूर कराऊंगा
तुम जुड़ा ,,,,,,

अखियों की अंधियारों को दूर कर
तुम्हें पंछी आकाश उड़ाऊंगा
देख प्यारे चांद हमारे
तुम्हें खुशियों का सौगात दें जाऊंगा
तुम जुड़ा ,,,,,,

हर्ष उल्लास से तुम झूम उठोंगी
वह जीवन की अनोखी उपहार बताऊंगा
जाओ घर जाओ समय है
बेबी स्विटु तुम्हें फिर आवाज लगाऊंगा
तुम जुड़ा ,,,,,,

ऐसी हालत

ऐसी हालत में हूं
कि कुछ बताया नहीं जा सकता
चेहरे पर मुस्कान है
लेकिन मुस्कुराया नहीं जा सकता
ऐसी हालत,,,,,,

गम के बादल छाए हुए हैं
दर्द दिल का दिखाया नहीं जा सकता
अरमान जो थी दिल की
उसे अब महकाया नहीं जा सकता
ऐसी हालत,,,,,,

देख कर रह जाता हूं उसे
हाथ लगाया नहीं जा सकता
आंखों में नींद है बहुत
लेकिन समय नहीं है सो के खोया नहीं जा सकता
ऐसी हालत,,,,,,

देख कर चुप रहता बुराई
बाझ से पंजाब लड़ाया नहीं जा सकता
आंखों की धोखा है यह दुनिया
दुनिया के अनुसार दुनिया बनाया नहीं जा सकता
ऐसी हालत,,,,,,

आसमां तक है ऊंचाई नहीं
तो जमीन से पांव हटाया नहीं जा सकता
आंख बंद कर देखना मजबूरी है
सच के साथ हर वक्त सफाई दिया नहीं जा सकता
ऐसी हालत,,,,,,

आलम है बेवकूफो का तो
ज्ञान की बातें बताया नहीं जा सकता
जूबान लड़ाने कि हद होती है
आंधी में कपड़े सुखा या नहीं जा सकता
ऐसी हालत,,,,,,

तेरी होठों पर

तेरी होठों पर हंसी दिल में जज्बात छाएगा
तुम सजोगी जब भी तब तब मेरा याद आएगा
तुम रखना खुद को संभाल कर गोरी
तेरी सपनों में तेरा राजा नहीं हकीकत में तेरा राजा तेरे साथ आएगा
तेरी होठों पर,,,,,

छाएगा मन मंडप में मेरी तस्वीर आंखें भर कर पुकार लगाएगा
बेताबियां उमड़ कर मस्तक को चुम कर बाहर सजाएगा
तुम रखना खुद को,,,,,,

खुशियों भरे खजाने उपवन का महक साथ लाएगा
मिटाएगा संतरा जीवन में दीप जलाएगा
तुम रखना खुद को,,,,,,

अब तो मैखाने

अब तो मैखाने भी मैखाने नहीं लगते हैं
सोने के ढ़ेर भी सुहाने नहीं लगते हैं
तुम दूर हो मुझसे इसलिए
अपने घर में कोई खजाने नहीं लगते हैं
अब तो मैखाने ,,,,,,

छत दीवार आशियाने,आशियने नहीं लगते हैं
प्लंग बिस्तर मखमली चादर वीरेन से लगते हैं
यह मधुर मधुर गीत गानों में तराने नहीं लगते हैं
तुम नहीं हो न तो यह धर सुहाने नहीं लगते हैं
अब तो मैखाने ,,,,,,

तख्तों ताज पर रखी फूलों की बेड़ियां आने नहीं लगते हैं
पंखुड़ियां का दीक्षित रंग रूप के दीवाने नहीं लगते हैं
बेघर हो चुका हूं मैं ऐसा लगता है मुझे
तेरी कमी से राजमहल महल फीकी सान पुराने से लगते हैं
अब तो मैखाने ,,,,,,

शुध बुध खो चुका हूं कहीं हमें ठिकाने नहीं लगते हैं
छत पर की पंछी उड़ गई है अपने भी अपनाए नहीं लगते हैं
जब से तुम दूर हो गई हो
बेस्ट से बेस्ट चिज़ हमें नुमाए नहीं लगते है
अब तो मैखाने ,,,,,,

दिल का दिल से एक

दिल का दिल से एक
कनेक्शन खास रखा हूं
वह पास नहीं है तो क्या
उनकी रिश्ते का अहसास रखा हूं

दुनिया जमाना को भूल कर
दिल्लगी उनके साथ रखा हूं
उसी चाहत कि समंदर में
अपनी चाहत का हाथ रखा हूं

दूर खड़ी आकाशों में देखता हूं
टूटते हुए तारे का हिसाब रखा हूं
तुम्हें सजा कर चांद सा मस्तक पर
पगड़ी के साथ रखा हूं

देखता हूं फिर शांत धरा सा बैठ जाता हूं
तुम्हें अपने दिल के साथ रखा हूं
तुम मस्त मगन हंस्ती खेलती रहो
तुम्हें बंधन के साए के एहसास में रखा हूं

जीवन धारा डोर लिए
तुम्हें परिहास में रखा हूं
तुम्हें अपने दिल के दरवाजे में बंद किए
उड़ता पंछी आकाश रखा हूं

हर वक्त तेरी तस्वीरों को निहारता हूं
तुमसे जुड़ाव बहुत खास रखा हूं
तुम मैं एक ही हूं लग रहा है
ऐसे कुछ पल जीवन के साथ रखा हूं

कभी अकेली काटने लगती है दिन
तुम्हें कंठ का त्रास सा रखा हूं
तुम भूलकर जीवन न जी पाऊंगा
तुम्हें जीवन का अपना कंठ हार समझ रखा हूं

दिल का दिल से एक ,,,,,,,,

तकलीफ होती है

तकलीफ होती है
तुम हंस कर आया कर
इस चमन को
खुशियों से महाकाय कर

रोशन होगी सितारे
गांव की हवा में जाया कर
शहर की मिट्टी को छोड़
दादा दादी के पास बैठ जाया कर

मनुहाल बसे हैं ऐसा लगता है
कभी तो कुछ फरमाया कर
जानूं जानी जान
प्यार से दो आवाज लगाया कर

दिल के सुनते हैं
फिर भी तुम सताया कर
आंखों से नहीं
आवाज लगा कर बुलाया कर

मधु रस पीना है
हैरानी में न जिया कर
जीवन जिंदगी मानती हो
तो दिल में बसाया कर

सितम सुहानी लगती है
अपनी आंचल में छुपाया कर
प्यार की पोटली
मेरी हाथ बढ़ाया कर

आंखों को पढ़
नागमे गाया कर
बीते हुए लम्हों को याद कर
न दिल को तड़पाया कर

किचड़ में कमल खिले हैं
देख लुफ्त उठाया कर
बारिश होती है तो
भिज जाया कर

आंगन महकेगी मेरी
तु आ भी जाया कर
बुलाने की आस क्यों
अपने से आ जाया कर

प्यारे ओ प्यारे
सुधीर रस पिलाया कर
मीठे मीठे सुहाने सुहाने धूप निकले हैं
चल लुफ्त उठाया कर

तकलीफ होती है

मोर मुकुट पंख

मोर मुकुट पंख फैलाने वाली
नयन नीर खोती क्यूं हो
रात में आज तक तुम ठीक से
सोती क्यूं नहीं हो

आंख धस गई है माथे पर सिकन है
इतनी तुम सोचती क्यूं हो
खबर है
रूम पर तुम रोती क्यूं हो

हंसकर मचलने वाली
गम में डूबी क्यों हो
दर्द असहज सहती हो
जुवान खोलती क्यूं नहीं हो

मन मंदिर में बसी है मूरत
तो उढ़ेलती क्यों नहीं हो
शिखा खोलकर चल रही हो
असल बात क्या है बोलती क्यों नहीं हो

प्यारेजान, जान हथेली पर है
चंदा को चांद से तौलती क्यूं हो
तुम भी ना
प्यार से कभी कुछ बोलती क्यूं नहीं हो

मन की दर्पण खोलकर
दिल की भाषा बोलती क्यूं नहीं हो
जानना है या समझना है
बात इतनी सी करती क्यों नहीं हो

राहें पत्थर फूल बनगें
जीवन गित सुनती क्यूं नहीं हो
आपस की बातें हैं कर लेंगे
दिल की सुनती क्यों नहीं हो

पहाड़ लगती है मौन तेरी
उपवन कि मोती खंधोलती क्यूं नहीं हो
जरीए(रास्ते) बहुत सारे हैं
उस रास्ते से कुछ बोलती क्यों नहीं हो

हंसकर चलना आता है
चेहरे पर उकेरती क्यों हो
चलो जाने दो पुरानी बातें भूल जाओ
तकल्लुफ आगे कि जारी करती यूं नहीं हो

मोर मुकुट पंख,,,,,,,

आंखों में डूबी हुई है

आंखों में डूबी हुई है
ख्यालात उस लड़की की
दिल पर छाई हुई है
किए बात उस लड़की की

तोड़कर खुद को शिसा देखा
भीगी हूं बरसात में उस लड़की की
हाथों में हाथ नहीं है चिराग क्या देखूं
क्या बात कहूं उस लड़की की

मीठी शक्कर फीकी लगती है
क्या मिठास कहूं उस लड़की की
यार बोली नहीं जाता है
क्या एहसास कहूं उस लड़की की

दिल दुबक कर बैठ गया है
सांसों पर आघात कहूं उस लड़की की
सबसे सुंदर तस्वीर दिखती उसी की
क्या बात कहूं उस लड़की की

जीवन त्रास लिए बैठा है
बहुत कुछ खास है क्या खास कहूं उस लड़की की
बोलना तो चाहा बोल भी रहा हूं
उदास बैठा हूं लिए आस उस लड़की की

छोटी सी दरिया भी समंदर लगते
दिल की घाट क्या कहूं उस लड़की की
जिना मुहाल हो चुका है
सांसों की आस का प्यास क्या कहूं उस लड़की की

आंखों में डूबी हुई है,,,,,

ऊंचे पल

ऊंचे पल ऊंचे आसमान लिखूंगा
आज गम का सामान लिखूंगा
कैसे दिल देकर तोड़ दी है वह लड़की
आज उस लड़की कि प्यार का बयान लिखूंगा
ऊंचे पल,,,,,,

नींद आती नहीं रात जाता नहीं
सुबह को शाम लिखूंगा
उस प्यारी सी नारी को
दिल का गुबान लिखूंगा
ऊंचे पल,,,,,,

सुनहरी धूप सुनहरी छाव मिलती नहीं
हाथ की लकीरों को सुनसान लिखूंगा
कुछ गाने के लिए पास नहीं मेरे सिवा उसके
उसे नगमे तमाम लिखूंगा
ऊंचे पल,,,,,,

पास आकर बैठी उसकी दो पल
प्यार की सहेली का उसे एतराम लिखूंगा
क्या खोया क्या पाया जीवन में
उसे चेहरे की मुस्कान लिखूंगा
ऊंचे पल,,,,,,

समीप वह होती है तो दिन में तारा लगता है
उसे चांद का पैगाम लिखूंगा
दिल में प्यार के बीच बोकर न सिंचने वाली
तुम्हें उम्र सितारा लिखूंगा
ऊंचे पल,,,,,,

यह घर यह दीवार यह फर्श इस दिल में
सिवा तेरी और किसी का न नाम लिखूंगा
चलो तुम्हें जीगर के टुकड़े लिख दूं हर हिंदुस्तान के तरफ से
दिल का तुम्हें हिंदुस्तान लिखूंगा
ऊंचे पल,,,,,,

फिर मिलते हैं कह कर जाते हुए
आपको राम-राम लिखूंगा
हर तिर आकर आंखों की लगती दिल पर
आपको धनुष का अचेत बान लिखूंगा
ऊंचे पल,,,,,,

प्रेम प्राण आपमें

प्रेम प्राण आपमें
ऐसे लगते बसते हैं
आपके एक झलक देखने को
नैन जैसे तरसते हैं

मुझसे दिल मेरे
कटू कटू शब्द कहते हैं
सावन की तरफ फुहार बनकर
जजबातें आकर आपके बरसते हैं

क्या कहूं किससे कहूं
यह दिल आपके लिए धड़कते हैं
यह स्वास सिर्फ और सिर्फ
आपके लिए चलते हैं

बेइंतेहा प्यार आपसे
अंग अंग रोम रोम करते हैं
दिल आपको फुलझड़ी सा
प्यार के प्यादे कहते हैं

नैन तस्वीर लिए अरमानों में
आपके उमड़े उमड़े चलते हैं
धड़कन धड़ धड़ करते
अनुबंधों में आपके रहते हैं

जीवनदीप जलाकर
अरमानों की हवा आप को देते हैं
मस्त मगन आप रहती
और हम धुआं धुआं जलते हैं

आंखों के काजल से
आपको हम दिल में उतारे रहते हैं
अब और क्या कहूं
बेइंतहा मोहब्बत आपसे करते हैं

जुबान आपकी बोली बोले
तरुण पाव आपके लिए बढ़ते हैं
हिचकियों में अक्सर आपकी
यादें भर भर कर रहते हैं

अच्छी सुहानी मौसम
आपसे मिलने आते हैं
रंग गुलेल लिए
गुलशन किए चलते हैं

चंदा सूरज जुगनू
बाहें आपके सजाते हैं
हिरनी मोरनी जैसी आप
खूबसूरत दिल मेरी आपके दिल में रहते हैं

प्रेम प्राण आपमें ,,,,,,,

आंखोें कि पानी

आंखों कि पानी को भी प्यास होता है
टूटी हुई उम्मीदोें में भी आस होता है
लगन, मेहनत, इच्छा शक्ति, पाने कि ललक हो तो
कहां दिन कहां रात होती है
आंखोें कि पानी,,,,

दिल कि कहें दिल कि सुनें तो
आनंद की बरसात होती है
प्यार मोहब्बत में
लंबा-लंबा फेंकने को ढ़ेरो बात होती है
यार टूट चुके इंसान दिल पर पत्थर लिए जब चलते हैं
तो जिंदगी में उसकी जीवन की तलाश होती है
आंखोें कि पानी,,,,

निहार कर देखा उसे
फिर मिलने की उससे एक आस होती है
सिलसिले ए शीला कि यही
मोहब्बत की पर्याय होती है
वह खास है हमारे लिए हम खास है उसके लिए
जिंदगी इसमें जिंदाबाद होती है
आंखोें कि पानी,,,,

निछावर कर दिए दिल जिसपर
उसकी स्वप्न में तलाश होती है
मोहब्बत में सच कहते हैं
फूलों से खिले चेहरे भी उदास होती है
नजरे डरती है उससे कहां उससे बात होती है
जिसकी हर वक्त तलाश होती है
आंखोें कि पानी,,,,

लहजे आंखों से

लहजे आंखों से सजे मिलें हैं
इंसान,इंसान के दुश्मन बने मिलें हैं
देख नहीं पा रहे मानव मानवता को
भेदभाव में इतने व्यस्त हो चले हैं

बट गए हैं इतने किस्तों में
शुर धुल से घुले मिले हैं
कुछ किया नहीं फिर भी
हाथ अंगारों में सने मिले हैं

सन्नाटा छाई है बस्ती में
यौवन रण में खड़े मिले हैं
सीमा इतनी बांध दी हैं हैवानो ने
कि,मानव मानवता से कटे मिले हैं

हुंकार की असर नहीं पड़ती
लोग संप्रदाय में इतने बटे मिले हैं
एक,एक-दूसरे की दुश्मन बन बैठे हैं
शत्रुता की खनक चलें है

लहजे आंखों से ,,,,,,,

बेटीयां रानी

बेटीयां रानी तुम शक्त हो जाओं
नहीं तो तुम्हें नरभक्षी खा जाएगा
प्रबुद्ध लोग कैंडल मार्च निकालकर
बस गुहार लगाते रह जाएगा
बेटीयां रानी,,,,,

कैंडल मार्च सोशल मीडिया या न्यायालय
नहीं तेरा आदर सत्कार साम्मान बचा पाएगा
बेटी, तुम शस्त्र उठा लो
नहीं आता ताहि तुम्हें उठा ले जाएगा
बेटीयां रानी,,,,,

आंदोलन में सिर्फ तेरा
अस्मत लुटाया जाएगा
जहां तक जिसको मौका मिलेगा
वहां तक तेरा स्वरूप लुटाया जाएगा
बेटी, तुम शस्त्र उठा लो
नहीं तुम्हें काल कोठी में धकेला जाएगा
बेटीयां रानी,,,,,

कृष्ण नहीं है इस युग में
तुम्हें कोई नहीं वस्त्र बढ़ा पाएगा
तेरे नाम पर बस सोच शराब होते रह जाएगा
बेटी, तुम शस्त्र उठा लो
नहीं तो तुम्हें जिंदा आग में जलाया जाएगा
बेटीयां रानी,,,,,

युग पुरुष का युग नहीं है
ध्येय साध कर लोग देखता रह जाएगा
राक्षस जैसे सोच रखने वाले
तेरा बोटी बोटी नोच कर खाएगा
बेटी, तुम शस्त्र उठा लो
नहीं तो तुम्हें संदूक में काटकर भर दिया जाएगा
बेटीयां रानी,,,,,

भेड़िया कुकुर पैदा हुए हैं बहुत
जो तेरी पीछा करते-करते तुझको मार खाएगा
द्रवित आंखें होना चाहिए जिसका
वह तेरी रंग रूप जात धर्म समुदाय पर सवाल उठेगा
बेटी, तुम शस्त्र उठा लो
नहीं तुम कहीं नहीं सुरक्षित रह पाएगा
बेटीयां रानी,,,,,

न धर्म न शास्त्र न जाति न पंथ न समुदाय
न तेरे पास कोई दौड़ कर आएगा
बेटी, तुम शस्त्र उठा लो
नहीं तो हर युग में तेरी चीर हरण होता रह जाएगा
बेटीयां रानी,,,,,

चाहत की

चाहत की मंडी में चाहत की मोल नहीं
झूठी तस्वीरें उड़ रही है सच की तोल नहीं
आवारा जानवर सा घूमता है कुछ लफंगे
जिसका जीवन से कोई नापतोल नहीं
चाहत की,,,,,

किलो के भाव में बिक रहा रंग रूप
सफेद पोस्ट की कोई डोर नहीं
चंद खनकती सिक्के कर देते उस काम को
जिसकी कोई तोड़ नहीं
चाहत की,,,,,

संसार माया नगरी है
आंखों की पानी पर शोर नहीं
आंख बंद कर लिए हैं आंख खोलने वाले
सच की रही अब दौड़ नहीं
चाहत की,,,,,

हर तरफ सिर्फ शोर शराबा है
काम का कोई ठोर नहीं
झांसो पर झांसे दे रहे हैं एक दूजे
सच की कोई मोल नहीं
चाहत की,,,,,

बिक जाते हैं ऊंची से ऊंची अटारी कटारी
पैसों के सामने चलता किसी का बोल नहीं
जबकि चार दिन की जिंदगी है चार लम्हों की सांसें
फिर भी सच के साथ चलता डोर नहीं
चाहत की,,,,,

ख्यालों ख्वाबों

ख्यालों ख्वाबों की बात छोड़ो
घर में अंधेरी रात रहने दो
सूरज जब तक निकल न आए
प्रियश्री अपनी हाथों में मेरी हाथ रहने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

कहो कुछ जुवानी
उम्र के तकाजे कि बात को बात रहने दो
तोड़ने दो शीशे की कप है
ग्लास को ग्लास रहने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

बेपनाह मोहब्बत की मेरी
राज को राज रहने दों
छुपा कर रखो दिलों में हर जज्बातों को
चेहरे पर खुशियों से भरी अट्टहास रहने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,,,

दिल की कहो कुछ दबा कर रखों
नदियों में कागज की नाव रहने दो
मुकम्मल मिल गए तो खत्म हो जाएगी मोहब्बत
इसलिए दिलों में प्यार कि घात रहने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

मत करो बत जवानी कली
एक आस को आस रहने दो
खूबसूरत दुनिया होती है प्यार कि
प्यार में निर्झर बरसात होने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

बहुत कुछ मांगेगी यह जीवन
दिलों की प्यास को प्यास रहने दो
आशाओं की दीपक जल रही है तो चलाओ
निरंतर बढ़ने कि एक आस रहने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

दुनियादारी की बातें भूलो
खूबसूरत रात को रात रहने दो
मुकद्दर बदलेगी एक दिन देखना
कदम की जारी कदम चाल रहने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

गढ़ों कुछ तुम गढ़ेंगे कुछ हम
झिलमिल यादों की बरसात रहने दो
उजड़े से संसार उजड़े से घर में हम तुम
अपने इस परिवार को खूबसूरत परिवार रहने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

मत करो चाहत ऊंचे मकानों की
छोटी सी अपनी इस कुटिया की अगाध प्यार रहने दो
सुंदर दिखते हैं अपने घर उस घर से
अपने घर की सोंधि मिट्टी का हवा बतास रहने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

अमिर बनोगी तो बिखर जाओगी
गरीबी में हर कुछ साथ साथ खाने दो
अमिरों की बात मत करो
हम सबों(परिवार) को एक साथ उठने बैठने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

अकेले अकेले नहीं चलेंगे मेले बाजार
सबों के साथ चलने दो
एक साथ रहते हैं तो आनंद आता है
इस गरीबी का यह हरसो उल्लश रहने दो
ख्यालों ख्वाबों,,,,

फूल को खार न आए

फूल को खार न आए
जवानी में प्यार का बुखार न आए
ऐसा हो नहीं सकता है भाई साहब
दिल हो और किसी से दिलदार न हो पाए
फूल को खार,,,,,

छुपाएं छुपे आंखों में हो तो इंतजार न आए
दिल बाग बा सा हंसे और रात में जल्दी से निंद आ जाए
ऐसा हो नहीं सकता है भाई साहब
चढ़े जवानी और किसी से प्यार न सजाए
फूल को खार,,,,,

इंतजार की राह में पुष्पित कली की
सोने चांदी या अंगूठी की हार न बनाएं
ऐसा हो नहीं सकता है भाई साहब
खुद को बचाने के लिए किसी और का परिहार न बनाएं
फूल को खार,,,,,

देखे आंखें और छुपाए समुद्र सा गहरा संसार
एक दूजे से मिलने के लिए प्रेमी जोड़े किस हद तक न जाए
ऐसा हो नहीं सकता है भाई साहब
इस उम्र के लड़के लड़कियां प्यार का बिगुल न बजाए
फूल को खार,,,,,

भीगी आंखें भीगी

भीगी आंखें भीगी पलके
भीगी चेहरे संसार रखते हैं
दिल में रखते जिसे हम
वही हमें बाजार में रखते हैं

पैसों को पुजते है लोग यहां
दो पैसे कहां विचार में रखते हैं
लात मार देते अक्सर वह लोग
जिसकी पांव माथे से लगा के रखते हैं

हाथ फैलाने से चंद सिक्के मिलते
कहां गरीबों को सहानुभूति के काम मिलते हैं
अंशुओं के होते हैं व्यापार यहां
स्नेह नहीं गरीब परिवार को मिलते हैं

सिर्फ कहने की है रिश्ता यारी
समय के अनुसार हम चाल रखते हैं
देखते नहीं सामने किसी को
हर स्थिति में अव्वल अपने व्यापार को रखते हैं

कुछ सिक्कों के लिए बेच देते अपने जमीर को
नहीं किसी को भरोसे में यार रखते हैं
दुनिया विचित्र हो चली है
खुद को बड़े बताने के लिए दूसरे के सर पर हाथ रखते हैं

चित पठ देखे अपने
नहीं घरों में अब रोशनदान /सोच रखते हैं
हो फायदा जिस काम में अपना
तालुका ऐसे काम से रखते हैं

संघर्ष बढ़ चली है पांव के बेड़ियों में
तमाम हिसाब किताब हम जवान में रखते हैं
अनुबंधों की तुरपाई टूट चुकी है
भगवान से ज्यादा शक्ति आज इंसान रखते हैं

भीगी आंखें भीगी,,,,,,

अभी चलना

अभी चलना शुरू किया हूं
पांव पर खड़ा नहीं हुआं हूं मैं
किसी को राहे दिखा सकूं
उतना बड़ा नहीं हुआं हूं मैं
अभी चलना ,,,,

हिचक-हिचक कर बोल रहा हूं
हुंकार नहीं भरा हूं मैं
सब कहते हैं बड़े हो गए
अभी बड़ा नहीं हुआं हूं मैं
अभी चलना ,,,,

लड़खड़ा रहे हैं पांव जमीं पर
आसमान में नहीं उड़ा हूं मैं
डोर काट दोगे पतंग हूं क्या
मित्र बना हूं किसी से लड़ा नहीं हूं मैं
अभी चलना ,,,,

आस लीए तलाश किए विश्वास किए
हिम्मत के बल सीढ़ी चढ़ा हूं मैं
अभी तो कुछ ही कदम चले हैं
सारा जहां के लिए हुंकार भरा हूं मैं
अभी चलना ,,,,

बहुत कुछ सोचकर
घर से निकाला हूं मैं
ऐसों आराम की शौक नहीं
इसलिए तन जाला हूं मैं
अभी चलना ,,,,

पाना है दुनिया को देखना है
कई इच्छा को कुचला हूं मैं
उम्मीद बड़ी है
इसीलिए घडी(समय) से उड़ान भरा हूं मैं
अभी चलना ,,,,

नफरत को गले लगाकर
वेदना को पढ़ा हूं मैं
कुछ करने के लिए
बहुत कुछ छोड़कर चला हूं मैं
अभी चलना ,,,,

अहंकार को एक तरफ रखकर
झूठी तारीफ भी सुना हूं मैं
क्या कहूं कई बार मंजिल पाते-पाते
चंद लम्हे से चुका हूं मैं
अभी चलना ,,,,

एंडी चोटी का दम लगाया
अभी कहां थका नहीं हूं मैं
जितना परीक्षा लेना है भगवान ले-ले
अपनी हिम्मत से नहीं हरा हूं मैं
अभी चलना ,,,,

अधूरी सपने

अधूरी सपने के पूरे ख्वाब से हैं
थोड़ा सा नहीं हम पूरे आपके हैं
आप चाहे जैसे वैसे नचाएं
जिंदगी हवाले मोहतरमा आपके हैं
अधूरी सपने,,,,,

जमी को छूकर हवा चल रही
दर्द का मरहम आपसे है
आप चाहे तो सवार दें या बिखेर दें
जीवन जिंदगी नव नित सवेरा आपसे हैं
अधूरी सपने,,,,,

नुतन कहानी नूतन समा नूतन जग
आपके बिना यह सब खाख से हैं
पुष्प बिखेरती दुनिया भर कि खुशबू
पल्लवित संसार आपसे हैं
अधूरी सपने,,,,,

धरा गगन समय बोल रहा
जुगनू भी जगमगाते आपसे हैं
आप क्या है आपको खुद ही नहीं खबर
मैं बताऊं आप सावन के रिमझिम बूंदें बरसात से हैं
अधूरी सपने,,,,,

शौख हवा ए इश्क में
आप उड़ाते रंग गुलाल से है
आपके बिना यह घर ,धर नहीं
लगते हम किराए दार से हैं
अधूरी सपने,,,,,

एक पोखर की तरह मेरी सोच
हम पानी बर्बाद से हैं
आप शुद्ध पवित्र झील की नगरी
बरसात व विशाल आकाश से हैं
अधूरी सपने,,,,,

मृदुल भासी प्यारी बोली
आप सहद की मिठास से हैं
आपको देखने निगाहें तरसते
आप हजारों सितारों के बीच एक हीरा नायाब से है
अधूरी सपने,,,,,

प्रभा की किरण जैसे दिखें
चमकते सूरज आप से हैं
आप प्रिय, प्रिया श्री
जीवन में सतरंगी रंग साफ(सफेद) से हैं
अधूरी सपने,,,,,

चमकती आंखें आपकी
आप तिमिर रोशनी प्रकाश से हैं
आपको पाने कि पागलपन
नस में दौड़ते रक्त ख्वाब से है
अधूरी सपने,,,,,

मासूम चेहरे दिखते कितने
प्यारी मुखड़े क्या आपके चांद से हैं
रोज इल्तिज़ा रहती है आपकी
आप नदि और नाव से हैं
अधूरी सपने,,,,,

आप पारसमणी पत्थर
हम मकड़ जाल से है
हृदय में बस्ती धड़कन आपकी
यह श्वास चलती आप से है
अधूरी सपने,,,,,

आप जीवन रेखा आप जिंदगी
कंठ में आप प्यास से है
पतझड़ फागुन बसंत बहार
हर मौसम का आनंद आपसे है
अधूरी सपने,,,,,

आप सामान्य नहीं
महल, कुटिया की रानी,घर की साज से हैं
भावुक चेहरे पढ़ति दुनिया
आप, अद्वितीय एहसास(कमाल) से हैं
अधूरी सपने,,,,,

चंद लम्हे आपके लिए लिखूं
लेकिन आप एक किताब से हैं
मेरे पास शब्द नहीं है
आप शब्द जाल से हैं
अधूरी सपने,,,,,

तुम्हें चाहा

तुम्हें चाहा ,तुम्हारा दिदार किया
टूट कर तुमसे जानी, प्यार किया
देखा तक नहीं किसी को नज़रें उठा कर, आंखें कर ली
ऐसे तुमसे यार किया
तुम्हें चाहा ,तुम्हारा,,,,,,

आह! निकलती रही दिल से
मर्यादा में रहा कहीं नहीं तुम्हें तंग यार किया
अपने को संयम में रखा और सुनता आपका पुकार गया
ऐसे तुमसे जानी टुट कर प्यार किया
तुम्हें चाहा ,तुम्हारा,,,,,,

खो दिया मुस्कान
किस वक्त तक नहीं तेरा इंतजार किया
जिंदगी जीवनदीप जलेगी यह सोच कर, दुनियादारी को दरकिनार किया
तुम्हारी प्रेम प्रतिक्षा को इस हद तक स्वीकार किया
तुम्हें चाहा ,तुम्हारा,,,,,,

आत्मा रो रही है धड़कन पुकार रहा है
नजरे तेरी आरती के लिए तैयार किया
तुम दिखी नहीं रफ्ता – रफ्ता रास्ता देखता रहा आंखें
जानी दिल हार कर तेरा पुकार किया
तुम्हें चाहा ,तुम्हारा,,,,,,

शब्द साया बन गई तुम
तुम्हें मंजिल समझ कर आंखें चार किया
जब से देखा एक नजर तुम्हें
तब से तेरा तलबगार हुआ
तुम्हें चाहा ,तुम्हारा,,,,,,

कहीं कुछ दिखता नहीं
तुम्हे हृदय कि गहराई से स्वीकार किया
कैसे बताऊं तुम्हें धड़कन
ओह! किस हद तक तुमसे प्यार किया
तुम्हें चाहा ,तुम्हारा,,,,,,

हालत जो भी हो

हालात जो भी हो, टूटने नहीं देता है जीद
हौसले की बुलंदी को, रूठने नहीं देता है जीद
उम्मीद का किरण हर वक्त जगमगाता है
पांव को कभी, थकने नहीं देता है जीद
हालत जो भी हो,,,,,,

मुश्किल से मुश्किल हालात से भी लड़ जाते हैं, झुकने नहीं देता है जीद
अंदरूनी शक्ति साहस भरती है, रूकने नहीं देता है जिद
छु शक्ते हैं गगन छा सकते हैं आसमा में जब से सोचा हूं
तब से अंतर्मन बैठने नहीं देता है जीत
हालत जो भी हो,,,,,,

रास्ता निकल आते हैं डगर-डगर से ठोकरे रुकने नहीं देता है जीद
कठिन से कठिन मार्ग पर चल देते हैं ,मुड़ने नहीं देता हैं जीद
इच्छा शक्ति ,लगनशक्ति, ललक ऐसी चीज है
लक्ष्य से पहले रुकने नहीं देता है जीद
हालत जो भी हो,,,,,,

घबराते मन भले ही ऊंचाई को देखकर , हिम्मत टूटनेे नहीं देता है जिद
शोहरत की कामना मनोबल में इस प्रकार बैठ गई है कि
पीछे हटने नहीं देता है जीद
हर वक्त दिव्य किरण सा जगमगाने का जी करता है
पापा की उम्मीद टूट जाए कभी रुकने नहीं देता है जीत
हालत जो भी हो,,,,,,

गुंजते रहता है मन में सिर्फ मंजिल ,ख्वाब रूकने नहीं देता है जीद
जख्मी दिल जख्म लेकर भी हरा भरा है किसी भी हालात में मुड़ने नहीं देता है जिद
कर लिया है फैसला अंतर मन किसी भी हाल में बैठना नहीं है संदीप
यही कामना कभी भी रुकने नहीं देता है जीद
हालत जो भी हो,,,,,,

लक्ष्य अभेद बनाए है, पीछे देखने नहीं देता है जीद
मंजिल कदम चूमेंगी यह बात बैठने नहीं देता है जीद
आराम अपने भाग्य में है ही नहीं बस मेहनत ही मेहनत है
यह बात कभी रुकने नहीं देता है जीद
हालत जो भी हो,,,,,,

छाने की ललक

छाने की कुछ ललक इतनी है
कि बहुत कुछ खोना स्वीकार लिए
दर्द और वेदना में
हंस कर जीना स्वीकार लिए

पथ प्रदर्शक बनाकर रहना
नहीं, संघर्ष से लड़ना स्वीकार लिए
आभाओं में घुट-घुट कर दम तोड़ने से अच्छा
संबलता से चलना स्वीकार लिए

पत्थर से टकराए
फूलों से महकना सीख लिए
जीवन की कणिकाओं से
बुलबुल सा नाचना गाना सीख लिए

दर्द किसे कहते हैं
दर्द मिला तो दर्द देना भूल गए
आंशू पीएं,जब से उदासी का
तब से जबरन किसी का हक मारना भूल गए

ऊंचाई पर चढ़े तो उंचाई किसे कहते हैं
खुद से खुद में गुरुर करना भूल गए
ठोकरें मिली इतनी की
किसी का दिल तोड़ना भूल गया

सूख गया आंख का पानी
किसी के यादों में रोना भूल गए
हाथ में आए अतरंगी कई
लेकिन उसके लिए सबको देखना भूल गया

मगरूर जिंदगी में थे इतनी कि
सामने के अंधियारे को देखना भूल गए
हंसी हंसते रहे पागल की तरह
किसी की वेदना को समझना भूल गए

जब चले दर्बिया रफ्ता -रफ्ता
तो आंखों को मलना भुल गए
फटे कपड़े फटे शर्ट देख जब किसी पिता को
तो दहेज का मांग करना भूल गए

चुपचाप चुप्पी साध लिए
आंखों का पानी बहाना भूल गए
बंधुवर बंधु जिंदगी किसे कहते हैं
कमाने लगे तो जीना भूल गए

सुंदरता सुंदर खूबसूरती पर मरते थे
किसे कहते हैं यह सब सोचना भूल गए
पेट में दाने के लाले पड़ने लगे तो
दूसरे पर गलत कमेंट करना भूल गए

एक रंग चढ़ा

एक रंग चढ़ा था जीवन में
जो हौले-हौले छाते गया
सुनहरा फुल सा
मौसमे बहार खिलाते गया
एक रंग चढ़ा,,,,

आने वाले तूफानों से
लड़ने का हौसला पाते गया
रंग बिखर कर दिशा में
जीवन पुष्पित पाते गया
एक रंग चढ़ा,,,,

अंकुरण सा पौधा से
विशाल वृक्ष होते गया
एक सीखा एक सीढ़ी
कदम-कदम बढ़ाते गया
एक रंग चढ़ा,,,,

चार चांद हौसलों में
इस दरबियां लगाते गया
पुष्पित जीवन रस
उपवन सा सजाते गया
एक रंग चढ़ा,,,,

कर्म पूजा, निष्ठा वानी
झलंकृत राग पाते गया
नित नई ऊंचाई को छूने
हौसला आगे बढ़ते गया
एक रंग चढ़ा,,,,

सूरज सी आभा लिए
नीत समय चलते गया
रोज एक उंचाई
दिनकर पाते गया
एक रंग चढ़ा,,,,

मंद-मंद हंसते मुस्कुराते
तरुण जीवन खिलाते गया
लोग नए आते गए
काफिला बढ़ाते गया
एक रंग चढ़ा,,,,

जिंदगी के पन्नों पर

जिंदगी के पन्नों पर हबीब/रब मिलेंगे
खुले दरवाजे खुले ताले खिले नसीब मिलेंगे
छोड़कर जब माया भरी दुनिया को इंसानियत से नाता जोड़ोगे
तो जातियों में बटे लोग नहीं इंसान ही इंसान मिलेगा

हंसते खेलते गाते बढ़ते जाते जाओ
जिंदगी में आराम मिलेगा
तोड़ दोे बंधन माया नगरी से
तो भगवान मिलेगा

तुम सजक हो जाओ गद्दारों से तो
गद्दारों का बंद दुकान मिलेगा
हे इंसान, इंसानी बोल बोलना शुरू करो
तो हर घर में अल्लाह ,ईश्वर,राम मिलेगा

खुशहाली से भरा हुआ
हर इंसान का जवान मिलेगा
दिखेगा एक समान दुनिया
रोता कोई नहीं प्राण मिलेगा

इंसानियत के लिए जिया जो
उसका भगवान भी सम्मान करेगा
झुकोगा सर उनके चरणों में
जिनके चरणों में ज्ञान मिलेगा

अंकारी, अहंकार में डुबें हथकंडे अपनाए बेईमान मिलेगा
विपदा के समय काम आओ किसी के
उनका दुआ हमेशा काम करेगा

छोड़कर भजन भक्ति अगर लगोगे दुनिया के ताम-झाम में
तो कभी नहीं तुम्हें आराम मिलेगा
इस धारा से उस धरा तक
कर्म के अनुसार ही फल तमाम मिलेगा

राजयोगिनी उषा दीदी

परमविदुषी, परमयोगिनी
परमयाद में रहती हो
राजयोगिनी उषा दीदी
आध्यात्म जगत की सरिता हो
धर्मशास्त्र में तुम पारंगत
धाराप्रवाह सदा बोलती
ओम शांति बीज मंत्र से
सबके मन को लुभा लेती
श्रीमद्भागवत, रामायण
बाईबल और कुरान भी
सबकी व्याख्या कर देती
परमात्म एक सिद्ध करती
चेहरे पर है तेज तुम्हारे
ज्ञान गंगा तुम कहलाती
राहभटके राहगीरों को
परमात्म राह बता देती।

भूल न जाओ

भूल न जाओ राहे मुकद्दर
चलो दर पर आते हैं
उन्हें याद दिलाने हे कश्ती
उनके घर पर आते हैं
भूल न जाओ,,,,,

खिले फूल, सिंचे बाग, महके मधुबन
चोटी पर उसकी फूल सजाते हैं
बहुत दिन बीत गया
चलो, उनसे मिलकर यादें ताजा कर आते हैं
भूल न जाओ,,,,,

मधुर मुस्कान लिए
खुशियों का अंबार लगाते हैं
दिल के गुरबत की बेचैनी को
दफ्न कर धड़कन को राहत कि स्वांस दिलाते हैं
भूल न जाओ,,,,,

यहां, वहां भटकने से अच्छा
सीधे उसकी दहलीज पर कदम रख आते हैं
उनसे दो शब्द बोल कर ,थोड़ी जवान लड़ा कर
तमन्ना ए सैख पूरा कर आते हैं
भूल न जाओ,,,,,

कब मिलेंगे ,जल्द मिलेंगे , कितना सोचें
राह ए मार्ग पर कदम बढ़ाते हैं
संदीप लौट कर आ जाते हो वहां से
लेकिन इस बार हिम्मत कर उसके पास आते हैं
भूल न जाओ,,,,,

अपनी कुछ कह कर, उनकी कुछ सुनकर
दुविधा सारे मार्ग से हटाते हैं
न सताते हुए सीधे-सीधे
अपनी हेलीकॉप्टर उनके हेलीपैड पर उतारते हैं
भूल न जाओ,,,,,

लाख टके अनमोल वचन
साख बचा कर सब काम कर आते हैं
प्रेम तपस्या है किसी ने कहा था
इस तपस्या को चलो दिल से निभाते हैं
भूल न जाओ,,,,,

धन, धान ,धन्य कमाते हैं कमाते रहेंगे
जीवन पथ में कुछ अनोखा कर दिखाते हैं
ध्यान रहे कुछ अनोखा करने में किसी की आत्मा कुचला न जाए
इस बात पर अपनी तीखी नजर गडा़ते हैं
भूल न जाओ,,,,,

मसरूफ गलियों में उसकी
बार-बार आते जाते हैं
धन्य है यह धारा और यह मिट्टी
जो प्यार कि चमन को सीचने का मौका देते है
भूल न जाओ,,,,,

समुद्री के लहरों कि हवा कि तरह
पुरवाई गांव में सुमन किरण खिलाते हैं
तब जाकर हें संदीप
उमस भरी गर्मी से राहत पाते हैं
भूल न जाओ,,,,,

एक तीर से दो निशाने
क्या आज कल हम कबूतर उड़ाते हैं
हाय रब्बा क्या कहें
अपने काम से आते और दूसरा काम भी कर जाते हैं
भूल न जाओ,,,,,

जीवन जंग जिंदगी
बहुत रंग लेती,बहुत रंग सजाते हैं
लेकिन प्यार एक महल है
जो किसी-किसी के नसीब में आते हैं
भूल न जाओ,,,,,

खिलते गुल और खुद खिल जाते हैं
मिलने वाले किस्मत से मिल जाते हैं
लेकिन कुछ चीज है जिसे पाने के लिए
झपट्टा मार अर्थात लड़ने पड़ते हैं
भूल न जाओ,,,,,

हिम्मत जब परवान चढ़ते
बाज सा आसमान हौसले नाप आते हैं
मुकद्दर की छोड़
अब चलो पंजा लड़ाते हैं
भूल न जाओ,,,,,

हौसले पंख और दिव्या दृष्टि से
दुनिया घूम कर आते हैं
कुछ पाने की लगन शक्ति और इच्छा
हो तो किचड़ में भी कमल उग लेते हैं
भूल न जाओ,,,,,

हवाओं की दिशा को बदलकर
हिम्मत कि कारवां दुनिया पाते हैं
जुनून सर पर चढ़ जाए तो
कोई भी कुछ भी पा लेते हैं
भूल न जाओ,,,,,

अन्नदाता

दुर्बल से दुर्बल मिट्टी को सिंचकर
जिसने सोना उगाया
खुरपी कुदाली के बल पर
जिसने दुनिया भर को अन्न खिलाया
वह खुद नहीं दो वक्त कि रोटी सही समय से खा पाता है
वह कृषक वह अन्नदाता (भाग्य विधाता)
न जाने कैसे झोपड़ी में समय बिताता है -२

धूप गर्मी ओलावृष्टि
जिसकी किस्मत में भर-भर कर आता है
जिसके बच्चे आज भी
उच्च कोटि का विद्यालय नहीं पहुंच पाता है
जिसके दम पर देश की धुरी
वह धुर्त (बेवकूफ) बनकर रह जाता है
देश कि अर्थव्यवस्था में चांद लगा कर
जो चार पैसे के लिए तरसते रह जाता है
दुनिया की भूख मिटाने वाले
वह खुद नहीं दो,,,,,

सिर्फ रातों में ख्वाब देखकर
जो ख्वाब, ख्वाब में ही रह जाता है
अच्छे अस्पताल अच्छे भोजन अच्छे वस्त्र
जो आज भी नहीं पहन पाता है
चांद पर पहुंचने की बात करें
जो चांद सा दर्पण खरीद नहीं पाता है
जिसके नसीब में सिर्फ और सिर्फ दुर्बलता आता है
क्या कहें उस भाग्य विधाता कि
वह खुद नहीं दो,,,,,

दुनिया भर के लोग महंगे से महंगे गाड़ी में घूमता है
लग्जरी से लग्जरी महल बनता है
करोड़ रूपों का शौक
बस पल भर में उड़ा देता है
लेकिन आज भी हमारे किसान मोटर गाड़ी से वंचित रह जाता हैे
लंबी से लंबी दूरी साइकिल बैलगाड़ी से चल देता है
उसके भाग्य में कहां सोना
वह तो सिर्फ शौक पालता है
वह खुद नहीं दो,,,,,

प्रिय साथी सूर्य प्रकाश निकलने से पहले
वह दिन भर का 50% काम कर लेता है
थक हार कर फिर वह
अगले पल के लिए आराम करने लग जाता है
वह खून जला कर
सब का खून खींचता है
तभी तो ऐसी रूम में जीवन व्यतीत करने वाले
आराम से वक्त वक्त भोजन कर पता है
वह खुद नहीं दो,,,,,

उपयोग करने वाले इसको
महल अटारी कटारी नवजीवन नव प्रकाश पाता है
इस पर सरकार कि भी नजर नहीं पड़ता है
यह दुखड़ा रोते-रोते
जमीन दोस हो जाता है
इसके दर्द को समझे कौन
इसे तो कब बुद्धि काम अकलमंद समझते हैं
जबकि कृषि को मूल आधार बता कर
देश को कृषि प्रधान कहते हैं
बड़ी विडंबना है हमारे इस प्रधान कि
जीवन जिंदगी देते
खुद जिंदगी नहीं पाते हैं
झूठी वादें झूठी बोलियां
तरह-तरह का प्रलोभन देकर इनसे वोट लेकर सरकार सत्ता में बैठ जाते है
फिर इसका याद कहां वोट आने से पहले आते हैं
सारी दुनिया को भोजन कराने वाले
वह खुद नहीं दो,,,,,

चंद पैसे देकर इनसे
उमश भरी गर्मी में भी काम करवाते है
इसका कुछ नहीं बिगाड़ता
यह राहे पत्थर को भी सीचकर फूल बनाते है
मेहनत का कमाई पाकर यह गौरवान्वित हो जाते है
इस पर दुनिया नाज करने के बजाय
धुर्त काम चोर तरह-तरह का लांछन लगाते हैं
दुनिया के भूख मिटाने वाले
वह खुद नहीं दो,,,,,

दिल इनके शीतल, दर्पण इनके चेहरे
यह कभी नहीं कहीं पीछे हटते है
साहस इसमें कूट-कूट कर भरे
यह पहाड़ को भी काट कर रास्ता बना देते है
इसकी जावाज फौलादी शक्ति
लोहे को भी पिघलाकर मोम बना देते हैं
इसकी सर हमेशा राष्ट्र के लिए ऊंचे उठाते
दुष्ट के लिए इनकि तलवारे खड़क से निकल आते हैं
सत्य और निष्ठा के लिए
इन्हें हमेशा याद किए जाते हैं
ऐसे शूरवीर सिपाही देश के
जो सबको भोजन देते है
वह खुद नहीं दो,,,,,

मजदूरी के अन्न यह
चार बटोर कर घर ले आते है
ऊंची-ऊंची महल बनाकर
यह सयन कक्ष में सो जाते है
इनके अरमानों पर अक्सर दाल दरर कर
इन्हें मूर्ख बनाए जाते हैं
जो तपिश झेल कर पूरे संसार को अन्न खिलाते
वह खुद नहीं दो,,,,,

जब हंसती हो

जब हंसती हो
कितनी भोली कितनी प्यारी लगती हो तुम
सचमुच, सच कहूं
राजदुलारी लगती हो तुम
जब हंसती हो,,,,

तुझ में दो नैनै अटके
जीवन की हरियाली लगती हो तुम
सुबह सवेरे किरनों की
मधुमास से प्यारी लगाती हो तुम
जब हंसती हो,,,,,

तुमको चंदा तुमको सूरज तुमको जुगनू कहूं
शीतल छांव सा जग हारी लगती हो तुम
कितनी सुंदर कितती प्यारी कितनी अद्भुत
गोरी राजदुलारी लगती हो तुम
जब हंसती हो,,,,,

दुनिया भर लोग तुम्हें देखें
परियों की शहजादी लगती हो तुम
तपिश भरी गर्मी में छांव देने वाली
घर के छत सी प्यारी लगाती हो तुम
जब हंसती हो,,,,,

बहती हवा बहती पवन
नटखट बालक की सिंगारी लगती हो तुम
नैन मटक्का करने वाली
संसार से ज्यादा प्यारी लगती हो तुम
जब हंसती हो,,,,,

तुमको ढूंढूं मैं कहां
दिल के अंदर बसी पुजारी लगती हो तुम
हवा महल सी अनोखी
लज्जा में सजे प्यारी लगती हो तुम
जब हंसती हो,,,,,

तुझको क्या कहूं
तुम सबसे अलग सबसे न्यारी लगती हो तुम
शरीर के रोम रोम में बसने वाली
रुधिर की नाली लगती हो तुम
जब हंसती हो,,,,,

पंछी सी दुनिया दर्शन कराने वाली
मर्द से भारी लगती हो तुम
रंगीन आंखें रंगीन दुनिया
सजाने वाली नारी लगती हो तुम
जब हंसती हो,,,,,

सूर्य करेगा अगवानी

सूर्य करेगा अगवानी चाँद नज़र उतारेगा
जब कोई जिंदगी देश के लिए खपाएगा
तब उसके आह्वान पर जवान क्या बच्चा क्या बुढ़ा भी उमड़ कर आएगा
जब शब्द में सच्चाई और शक्ति स्पष्ट नजर आएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

महफिल सजेगा सजाएगा
जन सैलाबों के बीच जब तुम शेर की तरह दहाड़ लगाएगा
आवाजों में जब तेरा विश्वास और अंगार होगा
तब सर उठाने वाले तेरे सामने सर झुका आएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

जो न सोचा वह भी तुम्हें मिल जाएगा
जीवन पुष्प सी तेरा खील जाएगा
देश कि आन बान के लिए जब तेरा
बिना डगमगा चलने लग जाएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

नेता के भरोसे छोड़ दिए धारा को तो
वह मुर्दे का कफन भी बेच खाएगा
बोटी बोटी देह नोचेंगे गिद्ध उनके
अगर जनता जागृत होकर सत्ता से सवाल नहीं कर पाएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

मिट्टी सोना उगलेगी धरा गगन चूमेगा
हरियाली देश की शान में चार चांद लगाएगा
गौरवान्वित सत्ता जब दुष्टों के हाथ से निकल जाएगा
तब हमारा रॉकेट चांद क्या सूरज क्या हर ग्रह पर उतर जाएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

तब कोई कल्पना कोई राकेश
तिरंगा के शान के लिए तत्पर होकर उठ खड़ा होजाएगा
जब प्रिय(बच्चे) हमारा हमारे से ज्यादा
देश का अभिमान के लिए जिने लग जाएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

सुखी धरती उड़ता बादल
दुनिया का सारा कष्ट दूर हो जाएगा
जब विपदा कि घड़ी में
मानवता पल्लवित होगा और जाती पाती पांव के नीचे रगड़ा जाएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

अंबर से लेकर भू लोक तक
सारे सुख समृद्धि हमारे धरा पर मिलने लग जाएगा
जब मेहनत करने वाले मेहनतकश
कर्म निष्ठा के साथ आगे बढ़ जाएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

स्वच्छ सुंदर सुहाना मौसम
इस गगन में मिल जाएगा
अमेरिका, अमेरिका का बाप भी
मेरा देश बन जाएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

बच्चा बच्चा में जुनून और रक्त ज्वाला
जब धधक कर आ जाएगा
तब देश सर्वोपरि स्वार्थ नीचे स्वेंग हो जाएगा
तब हमारा तिरंगा आसमान में सच्चे अर्थों में लहराएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

मन को सुंदर स्वच्छ बना ले
अपना धरती सबसे ज्यादा सोना उगलेगा
कमी नहीं इस भू लोक में कुछ भी
यहां हर कुछ ईमानदारी से करें तो मिल जाएगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

नजरीए नहीं बदलें
तो नजार ऐसा ही मिल पाएगा
देश कल्याण की बातें छोड़ो
अपना भी स्थिति न सुधर पायेगा
सूर्य करेगा अगवानी,,,,,,

कभी मायूसी

कभी मायूसी तो कभी खुशियां होती है
जिंदगी जीने में बहुत सारी कठिनाइयां होती है
आज अच्छे तो कल बुरे
दिन-दिन(समय) की हस्तियां होती है
कभी मायूसी,,,,

रो लेते हैं कभी भिगोकर तकिये
तो कभी एहसास ए गलतियां होती है
साथियों बताने की बात नहीं है
अपनी महफिल में अपनी और दूसरों की महफिल में दूसरों कि शक्तियां होती है
कभी मायूसी,,,,

हम लाख जतन कर ले लेकिन
हमारी साथ छोड़ने वाली नहीं परछाइयां होती है
झूठ फुस मक्कारी गद्दारी कर के कितनों बच जाए
ऊपर वालों के पास इन सभी की चाबियां होती है
कभी मायूसी,,,,

एक-एक लॉकर खोल कर बैठे हैं वह
उनके आंखों में सब बराबर होती है
वह किसी के अपने नहीं न पराये
उनके राज धर्म में सब फूल कि एक समन क्यारियां होती है
कभी मायूसी,,,,

संभाल कर चलो यारों यहां
साथ नहीं जानी कुछ इमान की बरबादियां होती है
मसरूफ नजर गलती से भी गलत मत करो
नजर की अहमियत नारियां होती है
कभी मायूसी,,,,

बेबस वह बेचारि
उनके हाथ में कहां घड़ियां होती है
उन्हें तो भगवान ही 24 घंटे काम फरमाए हैं
तभी तो मां घर की देवियां होती है
कभी मायूसी,,,,

लांख कर लो जतन मंदिर में पूज लो चौखट
लेकिन मां की दुआओं से ना ज्यादा किसी की दुआओं में गहराइयां होती है
एक बार उठा कर सर पर हाथ रख दे मां तो
उनकी जिंदगी में सिर्फ और सिर्फ खुशियां ही खुशियां होती है
कभी मायूसी,,,,

जो समझ न

जो समझ न सका बेजुबानों को
वह क्या समझेंगे दिल के अरमानों को
फिजुल कि बातें करते हैं वह लोग
जिसे समझ नहीं है मुल्य दाने-दानों को
जो समझ न,,,,,

बुरा हाल है आज के डेट में
खेत में देखो खुरपी चलाते किसानों को
कैसे खुन पशीने एक करते हैं
छोटे से मकान बनाने को
जो समझ न,,,,,

मेहनत कहते हैं किसको
नापो झोपड़ी के पैमानों को
पांव के छाले उड़ जाते हैं
पसीने सुखा कर कमाने को
जो समझ न,,,,,

नहीं फिक्र होती है उन्हें
वह फिक्र करते है आबरू बचाने को
जिंदगी जी रहे हैं थम चुकी है सांसे
उल्टा बोलते हैं नेता अखबार में आने को
जो समझ न,,,,,

सच्चाई दूर तलक दरश नहीं देती
फेकुओं को दरबानो को
खबर रोज छपती हैं
भ्रमित सरकार बचाने को
जो समझ न,,,,,

हासीए पर गर्दन हैं
जुबान है शैतानों को
एक खबर रोज मिल जाती है
दहेज में सव जलाने को
जो समझ न,,,,,

बात करू किसकी संदीप
दोनों है अपने झगड़े सुलझाने को
फासला से पिछे हटती है आवाजें
चंद सिक्के पाने को
जो समझ न,,,,,

आग लगा देते हैं
जब हबस हो शोहरत पाने को
देखता है कौन झोपड़ी
सत्ता पा जाने को
जो समझ न,,,,,

मकबरा मंदिर गुरुद्वारा माथे टेकते कौन
जंग हो जब मैदानों को
आस लगाए बैठे रहते हैं कुकुर
गिदर भपकी में किसी को खाने को
जो समझ न,,,,,

अपने बचाएं रखें हैं
दिल दिए नहीं है किसी को जलाने को
मय में डुबें हुए है
नहीं बरगलाए है किसी अनजाने को
जो समझ न,,,,,

समय उलट पुलट कर चलती है
जीवन जिंदगी पाने को
सौंख सारे धुमील हो गए हैं
जबसे निकले कमाने को
जो समझ न,,,,,

दोस्त यार बनते नहीं हैं
चौराहे पर सिगरेट उड़ाने को
पैसा जब से निकलती नहीं है
दोस्त अब बनाने को
जो समझ न,,,,,

आंख भर आती है
बचपन कि किताबों को बेटे को पढ़ाने को
सोचते हैं पढ़ लिए होते तो रोते नहीं
देखें हैं जबसे जालीम जमाने को
जो समझ न,,,,,

एक झूठ कि किमत चुकानी पड़ती है
सच को दबाने को
खाख में मिल जाती है जमीर
एक घर को चलाने को
जो समझ न,,,,,

काफी कुछ है फेक दो कुछ भी
किसी को लड़ाने को
लड़ने के लिए तो सब बैठे हैं
दोनों हाथ लिए अंगारों को
जो समझ न,,,,,

तैयार कर दो यारों मेरे बच्चे को
उन्हें है स्कूल जाने को
ज्ञान खुल जाएगी उसकी
नहीं हाथ बढ़ेंगे वह किसी केे गर्दन दबाने को
जो समझ न,,,,,

बोलने को दर्द

बोलने को दर्द है बोलता नहीं हूं
शब्दों के मुखड़े को खोलता हूं खोलता नहीं हूं
जीवन जवानी चढ़ चुकी है चुप चाप देखता हूं
चुप्पी को कहीं तोड़ता नहीं हूं
बोलने को दर्द,,,,,,

वेदना से कहर रही है दरख्त दिल
गुरबत को कहीं छेड़ता नहीं हूं
घर में, पड़ोस में या रिश्तेदारों से
दिल में उमड़े भावों को बोलता नहीं हूं
बोलने को दर्द,,,,,,

संजोया हूं एक सुंदरी को ,मन की दर्पण में
इस दर्पण की शीला को पठ पर रखता नहीं हूं
चाहता हूं चाहत में डूबना मां
लेकिन प्रतिक्षा कि घड़ी लंबी है इस भावों को कहीं बोलता नहीं हूं
बोलने को दर्द,,,,,,

है अरमान चढ़े कई मंजिल
सिखा रूप धरता हूं छूता नहीं हूं
मन की बात मन में दबा कर रखा हूं
बंधुवर किसी से बोलता नहीं हूं
बोलने को दर्द,,,,,,

कोई मेरे दर्द को सुने , समझें
अपनी दर्द को कही उकेरता नहीं हूं
जीवन रस में जीता हूं कराहता हूं रसधारों में डूबता हूं
लेकिन किसी से कहता नहीं हूं
बोलने को दर्द,,,,,,

मन के झंकृत तारों से गुंजायमान कई शब्द हैं
इस खिड़की को खोलता हूं खोलता नहीं हूं
चाहता की समुद्र के लहरों पर चलता हूं श्रीमान
दिल की गुरबतो को पटल पर रखता नहीं हूं
बोलने को दर्द,,,,,,

बाबू जी मेरा गठबंधन करा दें
इतनी सी बात ,उनकी दरवान में सोचता नहीं हूं
आंखों से आंखें मिलाने कि बात तो दूर कि है
बाबूजी के सामने खड़ा रहता नहीं हूं
बोलने को दर्द,,,,,,

कैसे सुनाऊं वेदना दर्द कि पुकार
दुनिया देखता हूं निगाहों में भरता हूं चिखता हूं चिल्लाता हूं बोलता नहीं हूं
सौखीए फिजा में उड़ते हैं बहुत अर्मान
सौंख को दबाता हूं जीवन रस में घोलता नहीं हूं
बोलने को दर्द,,,,,,

प्यार करता हूं ,है एक प्यारी सी sweet heart
उसे इन सब कारणों से कुछ बोलता नहीं हूं
लिखता हूं खत देखें भाभी क्या बोलती है
अपना जवान किसी के सामने खोलता नहीं हूं
बोलने को दर्द,,,,,,

तुम हर बात

चेहरे को मायूस किया न करो
तुम हर बात दिल पर लेती हो लिया न करो
खुशी गम आते जाते हैं
इसमें नहाओ डुबकी लगाया ना करो
तुम हर बात,,,,

सितम गर है दुनिया वाले
उससे बात ज्यादा बतियाया न करो
जलवे हैं तुममें तो छाते रहेंगे
ज्यादा दिखावा किया न करो
तुम हर बात,,,,

सोखिए फिजा में होते रहते हैं बहुत कुछ
इसमें दिल को जलाया न करो
बिंदास जियो खुलकर जियो
तनाव में खुद को जलाया न करो
तुम हर बात,,,,

आते हैं बहुत कुछ दिल में
बोलो पर किसी को सुनाया ना करो
आशु आंख पर छलक जाती है
छिपा लो उसे दिखाया न करो
तुम हर बात,,,,

हंसते हुए चेहरे पर रौनके आ जाती है
मैफिल को दुश्मन बनाया न करो
उतार चढ़ाव यू चलती रहेगी जिंदगी में
ज्यादा तनहाई में आया न करो
तुम हर बात,,,,

बहुत कुछ होते रहते हैं दरबियां ए चलते -चलते
कुछ छुपाओ हर बात बताया न करो
पंख को ज्यादा फड़फड़ाना अच्छी बात नहीं
समय को देखकर हर मार्ग अपनाया करो
तुम हर बात,,,,

इक्श में जान लुटा चुके हैं बहुतो ने
तुम जान का बजी लगाया न करो
संदीप उंचाई मिलती है तो चढ़ते चलों
एक ही खुटे को पड़कर बैठ जाया न करो
तुम हर बात,,,,

मैफिले मिलती है तो उसमें जाओ
शोरगुल ज्यादा फैला या न करो
राही आते जाते रहते हैं पथ पर
हर किसी से हाथ मिलाया न करो
तुम हर बात,,,,

हांसीए पर हैं गर्दन
नुक्ता जरा सा भी कहीं छोड़कर आया न करो
तलाश है हर किसी को एक भूल की
ज्यादा दिखावे में न जाया करो
तुम हर बात,,,,

तन्हा तन्हा हो जाते हैं लोग यहां
अपनी कहानी ज्यादा सुनाया न करो
दिमाग खपाना ही है तो पुस्तक में खपाओ
उथल-पुथल में ज्यादा लगाया न करो
तुम हर बात,,,,

कुछ चीज होते हैं जिन्हें करना चाहिए
सब काम के पीछे जाया न करो
मंजिल और निगाहें एक होनी चाहिए
इधर-उधर ज्यादा भटकाया न करो
तुम हर बात,,,,

इंतजार में बैठे हुए हैं सभी कोई तुम्हारे गलती के
तुम ज्यादा बड़बड़ाया न करो
ज्ञानी बैठे हुए हैं धरा पर लाखों का लाखों
ज्यादा ज्ञान कि बातें सुनाया न करो
तुम हर बात,,,,

चंद खनकती सिक्कों

चंद खनकती सिक्कों के साथ
शराब खरीदें, पी कर देखूंगा
जाम ए मुहब्बत में दर्द देती है
तो दर्द में जी कर देखूंगा

आसान नहीं है उन्हें कुछ कहना
उन्हें कुछ कह कर देखूंगा
जिंदगी मस्त हवा जी रही हैं
आंख में उतरे थे उनकी अब दिल में उतर कर देखूंगा

चल रहे थे पता ही नहीं चल रहा था कहां जा रहे हैं
अब घर से तय कर निकल कर देखूंगा
सारे शहर की हवा को पहचान लिए
अब उनसे दिल की बात करके देखूंगा

छठ गई है सारे पुरवाई
सूरज बनकर निकल कर देखूंगा
कितने नजरीए बदल चुके हैं देखने के
लोगों से बात करके देखूंगा

मेहनत किए थे और करेंगे
और कुछ पाने के लिए चल कर देखूंगा
इम्तिहान लेती है जिंदगी कदम कदम पर
इम्तिहान में उतर कर देखूंगा

गोरी-गोरे मुखड़े वाली
शेर ओ शायरी में तुम्हें लिख कर देखूंगा
तुम कितनी रंग लाती हो
तुझ पर रंग जमा कर देखूंगा

तुम बचाती रहो
मैं पास तेरे आता रहूंगा
तुम्हें प्यार से दर पर
बुलाते थे बुलाता रहूंगा

सुन रही हो तुम
तेरे लिए अजर-अमर होकर रहूंगा
तुम प्यार से देख लो प्यारी
हमेशा तेरी खबर में रहूंगा

कभी खत कभी एहसास तो कभी तमन्ना
से तेरी दर्द में रहूंगा
तुम रहो जहां कहीं भी
तुम्हें दिल से अपनी घर में रखूंगा

देखकर अदावत होती है शर्माने की
यह भी तेरे लिए अपनाते रहूंगा
प्यार के गुल मिलकर नहीं तो सही
खत से ही तुम्हें रूबरू कराते रहूंगा

चिकनी चमेली
तुम्हें बिना आवाज दिए बुलाते रहूंगा
प्यासी तपिश भरी नैनो को
तेरी शबनमी आंखों का एतराम कराते रहूंगा

तुम्हें चाहता हूं दिलो जान से
तुम्हें चाहते रहूंगा
जलन की बू आ रही है कहीं-कहीं से
उन्हें अपने प्यार का एहसास करते रहूंगा

निभाऊंगा अंतिम सांस तक तुम्हें अपनी, अपना कर
तेरी हाथों में मेहंदी सजाते रहूंगा
तुम प्यार से बोलती रहो
और मैं तुम्हें प्यार से निहारते रहूंगा

हर बार हर मंच से
तेरी गीत महफिल को सुनाते रहूंगा
प्यार की मीठी तान प्रिये बोल तुम
तेरी खूबसूरती का एहसास दुनिया को कराते रहूंगा

अदावत बिजली हाय की बादल
समा ए पुरवाई से गिराते रहूंगा
जिंदगी है जब तक सांसे चलती हैं
तब तक तेरी प्यार में अपनी महफिल सजाते रहूंगा

अंखियों के नूर में तेरी
लय बद्ध धुन गाते रहूंगा
चाहो तुम सुनो या न सुनो
लेकिन तुम्हें गुनगुनाते रहूंगा

चंद खनकती सिक्कों,,,,,

दर्द की पीर

इधर भी दर्द की पीर है उधर भी दर्द की पीर है
एक तीर से घायल दो तस्वीर है
निगाहें देखती एक दूजे को
लेकिन कहने में दोनों रहती मजबूर सी है

छिपाती बातें अपनी-अपनी
मुहब्बत चीज ही ऐसी जागीर सी है
हया के मारे मर जाते हैं आशिक
प्रेम प्रेमी ऐसी फकीर सी है

छुपते छुपाते लटकते भटकते चलते
कह पाएं कुछ एक दूजे को कहां शक्ति ऐसी होती रुधिर में है
निगाहें देखती झुकाती नजरें एक दूसरे की
मुहब्बत की तकदीर की यही जमीर है

चाहते हैं दिल की बात कशिश से रख देना
लेकिन मजबूर दिल दिल्ली सी दूर है
प्रेमी प्रेम में होते हैं पागल
सच्चे प्रेमी मुश्किल में रहते हिर है

सबनमी आंखों को झुका देती है आंखें
उमंग इसमें होती भरपूर है
चाहत, चाहते तड़प-तड़प कर मरती है
दो दिल कि दास्तान मजबूर हैं

शौकीन फिजा की मस्ती भरे अंगारे
सौकिए यह अजीब सी नीर हैं
चूर-चूर हो जाते जिगर इसमें
जब सामने होकर भी मुहब्बत को लव कहने में अधिर सी हैं

जीवन कि क्या दस्तूर दें
कठिनाई इसमें भरपूर सी है
दिल की गुरब बोल रही
आंखें छलकती और मुंह से भाप न निकलता खामोश लव कि यह तस्वीर है

संदीप देख लिया न आज भी पास होकर उसके
तेरी शक्ति कितनी मजबूत शमशिर सी है
प्यार करते हो बड़ी तमन्ना से लेकिन
मुंह खोलने में कितनी सुदूर (बहुत दूर) सी है

आंखें चलती कहती बातें बड़ी तसल्ली से
जीवन इस पथ पर मगरूर सी है
चाहते कि दिल से दिल मिले
लेकिन यह कदम बड़ी मुश्किल फकीर (कष्ट दाईं) सी है

चुम कर रह जाते होंठ मेरे माथे की सिकन उसकी
दर्द ऐसी कुरुर सी है
आह निकलता लेकिन क्या करें अपनी हालत कुछ मजबूर सी है

हर सितम, हर तरीके अपना कर देख लिया
सामने हो तो वह अपने निगाहें चुराने की दस्तूर है
क्या होगा तुम्हार संदीप
जब तुम्हारी हालत इतनी मजबूर सी है

इधर भी दर्द की पीर है उधर भी दर्द की पीर है,,,,,,

उल्फत ऐ

उल्फत ऐ शहर में तुम
यु न धूम मचाया करो
दिल देकर दिल को
दिल ही दिल न तड़पाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

सीने में सुलगा कर आग
बेदर्दी दल को छलका या न करो
चलती हो तो खुल कर चलो
नकाब में चेहरा न छुपाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

रखों अपनी बात खुलकर
कभी यारी में कह दिया करो
दिलरुबा चंद्रमुखी
दिल देकर दिल को न दुखाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

हाय की बादल को
बेखब्र इंसान पर गिराया न करो
जानेमन जाने जा
चेहरे पर नाकाप चढ़ा कर न आया जाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

आंख देखने के लिए तरस जाती है तुम्हें
तुम काम छोड़कर कभी इधर आया करो
भीगी पलकों को लहजे में न छुपा कर
गोरी हद से ज्यादा शर्माया करो
उल्फत ऐ,,,,,

चांद सी प्यारी मुखड़ा तेरी
तुम बादल(चेहरा ढ़कना) में न छुप जाया करो
केशुएं तेरी लंबी लंबी
कभी इसे लहराया करो
उल्फत ऐ,,,,,

महल घर दीवार के कान होते हैं
ठीक से दिलदारी निभाया करो
किसी की नजर न लगे मेरी मुहब्बत पर
काली काली आंखों में तुम काला काला सुरमा लगाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

शाम पुरवाई हवा हर तरफ चल रही है
बचकर थोड़ी इधर-उधर आया जाया करो
कभी अपनी खबर बेखौफ होकर
मैसेज के माध्यम से बताया करो
उल्फत ऐ,,,,,

प्यार से सूरत अपनी
प्यारी, यारी में दिखाया करो
रास रसी रासलीला है
इस रास में उतरकर कभी डुबकी लगाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

जमी तुम्हें पुकार रही है
जमी दिल जमी से लगाया करो
जिंदगी फुल सी सज कर कदम चूमेंगी
महफिल ए इश्क में उतर जाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

राग मीठी प्यारी सुनेगी तेरी दुनिया
जीवन धरा को अमृत पिलाया करो
बात हर रोज करते रहती हो प्यार की
प्यार से प्यार को कभी गले लगाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

तेरी गोद में सिमट कर सो जाएंगे
तुम प्यारी प्यार से बुलाया करो
जीवन पुष्प अमृत खिल जाएगी
बेलियां ए चमेली सज धज कर आया करो
उल्फत ऐ,,,,,

जमीर मर चुकी है दुनिया वालों की
इससे भी अपने आप को बचाया करो
अंधेरी काल कोठरी में तड़प तड़प कर मरे हैं कितने
इनसे भी बचकर तिरछी नजर अपनी पंख फड़फड़ाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

बेसुमार इस रंग भरी दुनिया को
रंगीन बनाया करो
वीदियो ए गुलशन को
और जरा महाकाय करो
उल्फत ऐ,,,,,

पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण देख लिए
और न दिखाया करो
सूरत ए नाज देखने आया करते हैं तेरी पास
तुम छिपकर इधर-उधर न जाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

बिजली रानी घटा घनघोर बद्री बादल बनकर
आसमान की तरह मेरी आंखों पर छाया करो
प्यारे प्यारी शब्दों की माला
दिल को अमृत सा पिलाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

द्रवित विचलित मन की दुविधा को
सिंचित शुद्ध विचार से सजाया जाया करो
फिर वही बात कहेंगे हम
प्यारे मुखड़े को नकाब में न छुपाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

जीवन के संग्राम

जीवन के संग्राम में कई ऐसे पथ आते हैं
जो विचलित हमारी मनोदशा को पल भर में कर जाते हैं
न सोचने न समझने का कुछ समय देते हैं
छीनकर मेरी ही हस्ती को मुझे रुलाते हैं
जीवन के संग्राम,,,,

आईने रुपी इस कृति को न हम तीव्रता से भाप पाते हैं
देख मूर्छित हमारी आंखें बस सोचते समझते रह जाते हैं
आहट की इस खबरों को न हम मनोवृत्ति के साथ पढ़ पाते हैं
इनके हत्थे हम आसानी से चढ़ जाते हैं
जीवन के संग्राम,,,,

यह वट वृक्ष है जो हमारी शक्ति ऊर्जा को हमें बताने आते हैं
हमारी कुशलता सक्षमता योग्यता हमें दिखाने आते हैं
यह प्रहरी है जो सुरक्षा हमारी संबलता को देते हैं
हमको लड़ने भीड़ने और मजबूत होने की सोचने कि शक्ति प्रदान करते हैं
जीवन के संग्राम,,,,

है जो कुछ लोग इससे भाग जाते हैं
नहीं तो रास्ता बदल कर खुद हार जाते हैं
थके से निर्बल असहाय कुंठित एहसास करते हैं
अपने कर्मों को दोस दे कर आंसू बहाते हैं
जीवन के संग्राम,,,,

जबकि यही समय है हमारी योग्यता , कौशल को पहचानने की
यही समय है हमारी उड़ान को और दोगुनी करने कि
लेकिन हम यहां अक्सर मार खा जाते हैं
मुश्किल पथ चलते बढ़ने से पहले हम अपनी मनोदशा को
समर्थ शक्ति खो देते हैं
जीवन के संग्राम,,,,

हमें चाहिए कि नित नई नीति का निर्माण कर योग्य कुशल बन जाए
सक्षम जीवन की अनुभूति को साक्षात देख पाए
चाहे आए आंधी चाहे आए तूफान उनसे दोनों आंख दो-दो कर जाए
अपनी -अपनी योग्यता में क् समय-समय के साथ चार चांद लगाए
जीवन के संग्राम,,,,

गोरी तुम्हें पतझड़

गोरी तुम्हें पतझड़ लिखुं सावन लिखुं या बसंत बहार लिखूं
कल-कल बहने वाली नदियों की जल धार लिखूं
लिखुं तुम्हें मौसम या मौसम ऐ बाहर लिखूं
छांव से पल्लवित गुंजन विश्व संसार लिखूं
गोरी तुम्हें पतझड़ ,,,,,

मजे मजे में रहने वाली तुम
तुम्हें अलंकृत झनकार लिखूं
छोटे से दुनिया का
एक बड़ा संसार लिखूं
गोरी तुम्हें पतझड़ ,,,,,

तुम्हें फूल लिखूं कपुल लिखूं
या कोमल कपल संसार लिखूं
दुनिया कि दर्द अर्पित करने वाली
माता धरती कि पुकार लिखूं
गोरी तुम्हें पतझड़ ,,,,,

तुमसे पल्लवित पुष्पित यह
तुम्हें संभावना का संसार लिखूं
दिल कि गुब्बार से निकलने वाला
तुम्हें जीवन सिखा का आधार लिखूं
गोरी तुम्हें पतझड़ ,,,,,

तुम हो, जो भी हो
घर का रुतबा व प्यार लिखूं
प्रतिबिम्ब नाथ दया का
लौकर(ताला) का हार लिखूं
गोरी तुम्हें पतझड़ ,,,,,

तुम चाहो तो स्वांस लूं
तुम्हें भव कि नैया पार लिखूं
तुम सब कुछ हो
तुम्हें जीवन का आधार लिखूं
गोरी तुम्हें पतझड़ ,,,,,

फिजा में बहुत सारी मस्ती यां दिखीं

फिजा में बहुत सारी मस्ती यां दिखीं
रंगीन आंखों को देखा तो रंगीनियां दिखीं
हम यु चलते रहे
जब ख्वाब में डुबा तो जिंदगी यां दिखीं

आंख खोला धरा पर तो
करुणा मइ कहानियां दिखी
खून से सनी हुई (लथपथ)
धर्म जाति के लिए लड़ते हुए लाठियां दिखी

आंख पढ़ा पढ़ते रहा
तो मुल्य अंखियां कि दिखी
सर्द हवा चली और चलती रही
तो मुल्य चादर कि कमियां कि दिखीं

धुप में चल रहा था
आंखों में धुल पड़ी तो तन्हाईयां दिखीं
उम्र बित गई जब आवश्यकता पड़ी पैसे की
तो पैकेट कि कमाई दिखीं

खुदरा बाजार मे उछालते रहे
मौज ए रवानीयां दिखीं
दिखें कुछ भी नहीं तब
जब पिता ने घर कि चाभियां दि

ओझल हुए रहें
और शहर भर में मौत कि रवानीयां चली
संदीप तुम प्यार के गीत गाते रहे
दुनिया जातियों पर अपनी अपनी कुर्बानियां(तारिफ/जान) दि

फिजा में बहुत सारी मस्ती यां दिखीं ,,,,,,

ज्ञान की चक्षु को

ज्ञान की चक्षु को खोलकर प्रकाशित करने वाले
आदर्श सत्कार संस्कृति को शब्द शब्द पिलाने वाले
गुरुओं के चरण कमलों को बार-बार प्रणाम है
गुरु धरा मिट्टी गगन के लिए भगवान है भगवान है भगवान है

गुरु वेद है गुरु पुराण है नित घटने वाली घटना का लिखित प्रमाण है
गुरु साहित्य है गुरु कालखंड है गुरु विज्ञान है
गुरु सारे जगत का
बेस(अर्थात् आधार) समान है

गुरु से खिलते नेत्र
गुरु भौगोलिक परिदृश्य का साक्षात कार निर्माण है
गुरु ऊंची से ऊंची उड़ान भरने का साहस और लंबी से लंबी दूरी देखने का नेत्र समान है
गुरु है तो रज तन में बसने वाले कारक का होता निदान है
गुरु धरा का महान हस्ती विभूति भगवान है

मिट्टी सोना उगले पानी का होता कैसे निर्माण है
चंदा सूरज पृथ्वी से दूरी नापने का पैमान है
गुरु चलता फिरता
प्रायोगिक लैब समान है
गुरु बताते हैं कि कर्म धर्म ही साथ तुम्हारा जाने वाला बहुमूल्य खजाना हीरे समान है

ज्ञान की चक्षु को,,,,

अब घर

अब घर फीकी बस्ती फीकी दिल बेचैन है
तेरे शहर आ जाऊं सुना है तेरी बाहों में सुख चैन है
वहां ,यहां वहां दौड़ भाग की आवश्यकता नहीं
तुझमें समाहित सारी दुनिया कि रैन है
अब घर,,,,

यहां दर-दर भटकना पड़ता है एक-एक चीज के लिए
वहां दुकानों का ढ़ेर है
सजनी तुम परमिशन दे दे तेरी आंखों में रहना है
सुना है तेरी आंखों की लग्जरी शहर से जबर्दस्त तालमेल है
अब घर,,,,

यहां खाट पर सोते हैं जमीन पर खाली पैर चलते हैं कारपेट नहीं है कॉकरोच, खटमल रेंगते हैं
तेरी महल में बिंदास जीवन जबरदस्त गेट व्यवस्थित एक वस्तु एक एक सेट है
प्यारी मोहन तुम अपने में समाहित कर ले न अकेले जीने की साहस नहीं
यहां भूख से तराही मान जीवन धूप में जल रहा देह हैं
अब घर,,,,

यहां कीचड़ ,मक्खर ,बस्ती घर, चुता टिन, छप्पर दैनिय से दैनिय स्थिति लोगन में एक दुसरे से बैर है
तुम्हारे यहां देखो महल, पानी निकासी का सुसज्जित नाला कितनी अच्छी मकान की बैंड, किसी को न किसी से मतलब(जलन) सब को सबसे ताल मेल है
तुम बुला ले न जाने मन पास अपने यहां दुर्गति का चल रहा खेल है
लाठि डंडा के सहारे (काला अक्षर भैंस बराबर का) चलता यहां खौफनाक खेल है
अब घर,,,,

यहां बाग है बगीचे है दादी नानी की घिसी पिटी किस्से है लेकिन
तेरे पास मॉडर्न युग की देश प्रेमियों से भरा टेलीकॉम इंडस्ट्री की डिवाइस अच्छे-अच्छे पसंद दीदे बूफर के मेल है
तेरी झील सी आंखों में आकर रह लूं रहने की परमिशन दे
मेरे लिए वही सारी दुनिया की सारी दौलत का रेल है
अब घर,,,,

नहीं कुछ मांग तुमसे बस तेरी जिगर में रहूं यही मेरी अरमान की हमसे झेल है
तु स्याही मेरी पन्ने की तु मूरत तुम्हें सजाता फिरता हूं तुमसे कलम का अच्छा तालमेल है
तुम हर कविता कहानी गीत में
लोगों की हंसी, मिठास जीवन,क्लह दूर भगाने की एक मेरी प्रेमिका
तुमसे मेरा और मेरी लेखन का जबरदस्त(खूबसूरत) समाज सेवा का अवसर व ताल मेल है
अब घर,,,,

इश्क का

इश्क का मारा गवारा हूं मैं
तुझ पर दिल हारा हूं मैं
चाका चौंध भरी दुनिया में
तुमसे प्रकाशित एक तारा हूं मैं
इश्क का,,,,,

जलता बुझता
हवा के झोका का मारा हूं मैं
तु नदी है
एक किनारा हूं मैं
इश्क का,,,,,

दूर दुनिया दिखती नहीं
तेरे रोशनी से हुआ उजियारा हूं मैं
पागल हमराही चलता हुआ
तेरे जीवन से जी का सहारा हूं मैं
इश्क का,,,,,

सुरभित है मेरी दुनिया तुमसे
घोर तमस का मारा हूं मैं
तु छटकती हुईं सुर्य
तुझसे प्रकाशित तारा हूं मैं
इश्क का,,,,,

तेरी प्रतिबिम्ब आंखों में
तेरी बिंदिया का बड़ा प्यार हूं मै
तुझ पर दिल लुट चुका है
पता नहीं किस्मत वाला या किस्मत का मारा हूं मैं
इश्क का,,,,,

तेरे संग नाव पर सवार
तेरी दीदार से हुआ उजियारा हूं मैं
तु नेत्र तु खगोल शक्ति
तुमसे प्रकाशित किरण बिंब तारा हूं मैं
इश्क का,,,,,

खुद को अब देख नहीं पाते
तेरी आंख से देखा जग सारा हूं मैं
तु संजो कर रख मुझे
अब टूट कर गिरने वाला जमी पर सितारा हूं मैं
इश्क का,,,,,

अपनी नेत्र नयन का ज्योति दे
अपनी ज्योति खोया सार हूं मैं
चेतक सा दौड़ने वाला
तेरी इसारे की जरूर को पुकारा हूं मैं
इश्क का,,,,,

तु सोच थोड़ी
तेरे प्यार में पागल बीमार बेचारा हूं मैं
ऐ विश्व सुंदरी
तुझपे दिल हारा हूं मैं
इश्क का,,,,,

इतनी तकनीक होते हुए भी
तेरी जादुई कला का मारा हूं मैं
मैं घायल परिंदा
तेरी दिलचस्प निगाहों से हुआ कतरा – कतरा ,

छल्ली – छल्ली बेचारा हूं मैं

तेरी मुस्कुराती

तेरी मुस्कुराती हुई चेहरा देख
प्रफुल्लित मैं हो जाता हूं
उमंग(ऊर्जा) साहस से दोगुनी
औरों काम में लग जाता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

सामर्थ्यता, चुनौती, कटिबद्धता
को स्वीकार करने लग जाता हूं
तू हंसती है न
तो मैं सीना ठोकर जीता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

भय, चिंता, विपदा से
टकराने लग जाता हूं
साहस और कार्यबद्धता से
पत्थर को फूल सा खिलता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

हौसला, बुलंदी, पर्वत शिखा को
दो धारी तलवार सा रखता हूं
सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए
तैयार (प्रयत्न) हमेशा करता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

जीवन में खुशियां हो बस खुशियां हो
अंधेरे से लड़ता हूं
कुछ जगह चुपचाप
तो कुछ जगह बड़बड़ बोलता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

सात समुंदर पार होकर भी
एहसासों के बंधन में जिता हूं
प्यारी सी गुड़िया खरीद कर लाया हूं तेरे लिए
उसी के संग मैं हंसता खेलता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

स्नेह बंधन प्रियशक्ति
आभास तुम्हारी करता हूं
तु जिस कदर चलती हो
मैं उसी कद में चलता(जिता) हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

धूप सुहानी डगर की बेला में
छांव (अर्थात:-काम पर सवेरे जाता हूं शाम में घर आता हूं) देखकर घर से निकलता हूं
तेरी प्यार की अदृश्य शक्ति का
अनुभूति तेरी अनुपस्थिति में भी करता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

प्रकृति के रंग बिरंगी आहटों में
तुझको लिफ्त ढूंढता हूं
अक्सर मैं तुम्हें
आंखों के सामने उज्ज्वलित रूप में पाता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

चाहता हूं तुझको इस कदर
खुद को भूल तुझ में जीता हूं
मातृशक्ति ममता की प्रतिमूर्ति
तेरी आभास हर वक्त मैं करता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

तू निकलती है अगर धूप में
तो मैं जलता हूं
क्या कहूं इस छल्ली दिल का
मैं ख्यालों में तेरी तड़पाता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

स्वप्न धरा की बेला में
सिर्फ तुम्ही को मैं पाता हूं
तेरी तस्वीर तेरी मूरत को
कागज पर नहीं दिल में उतारा करता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

नेह नयन बंधन की
बांध सीखा चढ़ाया करता हूं
सिर्फ और सिर्फ
मैं तुझमें जिया करता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

तु मोहब्बत की कली
मैं भंवर प्यार का तुझपर गुनगुनाता रहता हूं
तुझसे मीठी रस की धारे लेकर कर
स्याही कागज पर उतारता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

प्यारी मोहन
तुझसे कविता गीत गजल लिखा करता हूं
तुम ही कि मैं
जीवन संचित अद्भुत कला में जीया करता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

नदी तालाब निर्झर जी झिलमिल पानी
से मन की तरास मिझाया करता हूं
तुझमें रहकर
मैं दुनिया में बिंदास जिया करता हूं
तेरी मुस्कुराती,,,,,,

एक सुंदर सी

सुंदर सी एक लड़की एक दिन ऑफिस आई थी
न चूड़ी न मेहंदी न बिंदिया वह लगाई थी
बिन सजे धजे ही वह
ऐसे लगी जैसे फूल की पत्तियों ने ओस कि बुंदों से छटा जगमगाई थी
एक सुंदर सी,,,,,,,,

चमचमाती हुई फेस उनकी अंधेरे में जुगनू सी रोशनी भरमाई थी
अदाए उसकी चांद सी शीतलता दे पाई थी
जैसे हीरे पर एक किरण जग को जगमगाई थी
वैसे ही उसने प्यार कि एक ज्योत जगाई थी
सुंदर सी,,,,,,,,

कमर लचकाती हुई आंखों में छाती हुई
फिजा रंगीन जमी आसमा दिखाई थी
न उनके नाक में बीर न कान में कुंडल
फिरभी देवसेना सी उसकी रंग भाई थी
सुंदर सी,,,,,,,,

उमड़ती धूमडति चमचमाती उसने चार चांद लगाई थी
मीठी मीठी शब्दों से वह कानन कुंडल गाई थी
स्वप्न कई सजाकर उसने बागीयां महकाई थी
एक दिन की बात है एक लजिज चेहरा आई थीं
सुंदर सी,,,,,,,,

समय कुछ 2:00 बज रहा था प्यारी मोहन भरमाई थी
न आंखों में काजल न पैरों में पैजाब पहन वह पाई थी
थरथराती हुई कुर्सी पर वह तशरीफ गड़ाई थी
वह चांद सी मुखड़ा सूरत अपनी दिखाई थी
सुंदर सी,,,,,,,,

बहुत दिनों के बाद उसने यह सौभाग्य किरण खिलाए थी
न चश्मा न घड़ी सिंपल ड्रेस में आई थी
पिठ पर बैग लिए वह कितनी सुंदर छाई थी
एक दिन की वाक्य है एक दिन वह आई थी
एक सुंदर सी,,,,,,,,

पसीने से थी लथपथ होंठ गुलाब न चमकाई थी
भोर सुहानी किरण सी वह तरो ताजा छटा दिखाई थी
वह आहट कि फूल गुलदस्ती सी बैग
किस्मत से क्या नजारे दिखाई थी
सुंदर सी,,,,,,,,

व्योम धरा की वह प्यारी सी गुड़िया सितारा बनकर छाई थी
शाम सुहानी नजर दिखाकर महफिल को सजाई थी
अधूरी स्वप्न की पूरी कहानी वह खिलखिलाई थी
कुछ काम था उन्हें इसलिए वह आई थी
सुंदर सी,,,,,,,,

बाल उनकी चेहरे

बाल उनकी चेहरे पर जब आकर उनकी चेहरा चमकाती है
हवा में उड़ कर ओढ़नी जब उनकी खुब लहराती है
तब रंगीन फिजा
क्या आनंद विभोर कर जाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

जैसे कोई मोर मेघा के साथ बलखाती है
जैसे कोई पपीहा भोर सुहानी गाती है
वह दृश्य आंखों में कैमरे सी कैद हो जाती है
प्यार कि वह समय पोलियो ड्रॉप सी लगने लग जाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

मधुमास में कोयल जैसी जब तीतर कु कु बोलने लगातीं है
जब उसकी आंखें मेरी आंखें से उज्वल रूप सजाती है
तब वह छन अतुलित रूप रंगाती है
निर्झर उपवन सी यादों में बरसी भिगाती चली जाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

पनघट पर जब वह सहेलियों के साथ आतीं हैं
हंस्ती बोलती तब क्या समा सजाती है
मटक मटक कर चलती वह गोचर भूमि जगाती है
वह पुरवाई क्या रास रचचाी है
बाल उनकी चेहरे,,,

घुंघरू पांव कि मीठी ताने मधुर मधुर गूनगूनाती है
हाथों की चूड़ियां खनक खनक कर आवाज उसकी लगाती है
तब साम सुहानी ऐसे लगती जैसे पूरव अंगड़ाई लेती है
यह दृश्य भी क्या दृश्य है जो मन को छूकर रह जाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

अटूट अथाह दिल कि प्रेमी, प्रेम वह जगाती है
डाली डाली पत्ते पत्ते जैसे वह छा जाती है
उस गोरी कि अदाएं अलंकार लिखती जाती है
लेकिन वह नजर जल्दी नहीं आती है
बाल उनकी चेहरे,,,

वह चलती हिरानी जैसी चतुर लोमड़ी सी लगती है
उसकी तुलना किससे करूं ऐसी सक्स नजर नहीं आती है
वह केशूओं की धार अतृप्त मन को छू लेने वाली
वह हवाएं गगन चुम्बी मिट्टी कि भाग्य जगाती है
बाल उनकी चेहरे,,,

यादों में वह चेहरा बलखाती -बलखाती जाती है
प्यारी सी कली रास नयन को बहुत आती है
छूकर रह जाता हूं होट उनकी
वह प्यारी दिल से कितनी प्यारी लगती हैै-2
बाल उनकी चेहरे,,,

गजब की अदाएं दिखाती

गजब की अदाएं दिखाती हो तुम
कभी हंसती ,कभी गाती ,कभी मुस्कुराती हो तुम
फिजा में चमचमाती
क्या जुगनू सी जग-मगाती हो तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

जीवन कि रंगीनियां में
क्या रंग जमाती हो तुम
रोए हुए आंखों को भी
पलक झपकते हंसाती हो तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

हवा के साथ अपनी मिठी शब्दों कि
मिठास भर कर बलखाती हो तुम
इत्र कि सुगंध सि
प्रफुल्लित आनंदित हर पल कर देती हो तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

सुंदर सुशोभित भाव अपनी
जीवन कि बगिया में महकाती हो तुम
कितनी प्यारी कितनी अच्छी कितनी भोली
तु गुलशन, बिन सजे सजी सी लगती हो तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

नज़्म और गान को
अपनी रंगों में रंगाती हो तुम
तुम ही हो जो हर वक्त
रोम-रोम खिलाती हो तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

अगाध प्रेम कि खुशियों से
भाव प्रद आभास कराती हो तुम
फूल कि प्यारी कली
जीवन जस्न मनाती हो तूम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

मय कि आभा को
पंखुड़ियों सी खिलाती हो तुम
जब दिखाती हो
एक नई ग़ज़ल लिखवाती हो तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

नव-नव किरनौ से हर रोज
प्यासी धरती मिलातीं हो तुम
दर्द अगर हमें हो तो
एक हंसी से मिटाती हों तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

पन्ने रूपी जीवन को
नो रंग से भर जाती हो तुम
तुम कलम तुम दवात
केवल हाथ हमारी है जिससे लिखवाती हो तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

हर रोज एक नई आभास
चमेली कराती हो तुम
खुशियों की झोली भर दी
जब से सपनों में आती हो तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

जस्न कि फुल हो
और जस्न में डुबाती हो तुम
ड्रीम गर्ल स्वीट हर्ट
स्वप्नों कि निंद मीठी सजाती हो तुम
गजब की अदाएं दिखाती,,,,,,,

चांद सूरज जुगनू और

चांद सूरज जुगनू और भी कुछ इस शहर में आए
नगर-नगर बस्ती-बस्ती चमचमाती चेहरा क्यों ना घूम मचाएं
क्या फर्क पड़ता है जिसको सितम ढ़ाना है ढ़ाए
मैं इश्क उनसे करूं जो मेरे दिल में है घर बनाएं -2
चांद सूरज जुगनू और ,,,,,,,

मौसम छटा घनघोर बादल नाचती मोरनी
एन्जाम लगाना है तो हजार लगाएं
मैं दिल में बसाऊगा उसी को
जो मेरे लजीज नजर को सबसे ज्यादा भाए
चांद सूरज जुगनू और ,,,,,,,

महकते गुलाब की पंखुड़ियां या इत्र के गंध
लेकर क्यों ना कोई मेरे कदमों में गिर जाए
मैं उसी को अपनाऊंगा
जो मेरे दिल की धड़कन को पहली बार है धड़काए
चांद सूरज जुगनू और ,,,,,,,

लगा ले जोर अपनी अपनी
देखता हूं मैं है कोई जो उनकों नजरों से हटाए
मैं बन चुका हूं उसकि सदा के लिए
है हिम्मत तो कोई उन्हें मेरी नज़रों से गिराएं
चांद सूरज जुगनू और ,,,,,,,

वह छा गई है ऐसे जैसे आसमान पर धरती छाए
है कोई सुर्य जो उसकी तरह जगमगाएं
वह अज़ीज़ है मोहब्बत है उनसे यार
किसी में दम है तो उसकी खूबसूरत चेहरा मेरी पलकों से हटाए
चांद सूरज जुगनू और ,,,,,,,

विस्थापन के सारे नियम लगाकर
कोई मुझे जरा सा तो उसने बरगलाए
दो दिल एक जान हो चुकी है
है किसी में हिम्मत तो उसे भी मुझसे दूर कर दिखाएं
चांद सूरज जुगनू और ,,,,,,,

दिल जिगर जान टुकड़ा सब एक है
कोई दूर-दूर रख कर के तो दिखाएं
यार किसी के मोहब्बत पर क्यों नजर लगाते हो
अगर इतनी ही शौक है तो धरा के लिए एक पेड़ लगाएं
चांद सूरज जुगनू और ,,,,,,,

दो दिल को तड़प कर मर जाने से अच्छा है
उनकी प्यार में थोड़ी खुशबू तो महाकाएं
अंबर तुम्हें छप्पर फाड़ कर खुशियां देगी
अरे यार हो सके तो प्यार करने वालों को प्यार से मिलाएं
चांद सूरज जुगनू और ,,,,,,,

थोड़ी बहुत रोंएं नहीं तो

थोड़ी बहुत रोंएं नहीं तो
कैसे पता चलेगा जिंदगी क्या है
तेरी आंखों में डुब कर जिया नहीं तो
कैसे पता चलेगा इश्क में मजा क्या है

तन्हा तन्हा रफ्ता रफ्ता खुद को तड़पाए नहीं तो
कैसे सीखेंगे रिक्स क्या है
मजबूत कदम उठाने का साहस नहीं किए तो
कैसे पता चलेगा जिंदगी चीज क्या है

कुछ पाने कि बेताबी नहीं हुई तो
कैसे पता चलेगा दिल का चिख क्या है
हर कदम हंसते हुए कट गया तो
कैसे जानेंगे जिंदगी देने वाला सीख क्या है

रो रहा हूं तुमसे मोहब्बत कर
मोहब्बत का भीख क्या है
समझ नहीं पा रही हूं तुम्हें अजीब हो तुम
आगे का तुमसे सीखने वाला सीख क्या है

उड़ लिया उड़ान बहुत
धरती धरा नीच क्या है
यार सभी तो मानव ही है न
तो फिर यह चला आ रहा जातियों का रीत क्या है

खंड-खंड में बटे हैं हम
तो फिर विज्ञान का सिख क्या है
गीता कुरान बाइबल सब पढ़ लिए
मानव से मानवता न जुड़ सके तो इसमें लिखा गीत क्या है

चांद सूरज नो ग्रह पहुंच चुके हैं
रिसर्च है कि मक्का मदीना मंदिर क्या है
यार सबका खून तो एक ही है
फिर यह मानव का प्रतीक (धर्म)क्या है

चलते रहे हम नेता के कहने पर तो फ़िर
अपनी ज्ञान से कर शक्ते उम्मीद क्या है
लड़ते रहेंगे हम 21वी शदी में भी जाती धर्म पंथ सम्प्रदाय के नाम पर तो
अपनी ज्ञान चक्षु कि सोचन शक्ति क्या है

थोड़ी बहुत रोंएं नहीं तो,,,,,,,,,

इस जले हुए दिल

इस जले हुए दिल को और न जलाइए
जुल्फ की साए में न यूं अंगड़ाई लीजिए
मोहतरमा हम तो ऐसे ही मर गए हैं
क्यूट हंसी हंस के और न मुझे मारीए
इस जले हुए दिल,,,

जिंदगी ऐसे ही बड़ी कष्टप्रद चल रही हैं
जलवा बिखेर कर न इसे और तड़पाइए
नीरस जिंदगी की निरूपता को उखाड़ कर
दिल की धड़कन को न और धडकाइए
इस जले हुए दिल,,,

महकती फूल की वादियो को भंवर से
तितली रानी संजोकर बचाइए
मर जाएंगे यह तड़प तड़प कर यूं ही प्यार में
इसे प्यार की दो घूट पिलाईए
इस जले हुए दिल,,,

भटक जाएंगे यह भटका राही
इसे अपने तृ नेत्र की राह दिखाइए
कांटों पर यह चलने न लग जाए
उससे पहले इसकी जीवन को पुष्प काली सी खिलाए
इस जले हुए दिल,,,

चूनर धानी, रंग गोरी, मौसमी छटा
बेलों की पुरवाई में न रूप निखारिए
इस कमजोर दिल गुरबत को हार्ट अटैक न आ जाए
सितम जरा धीमे-धीमे से दिखाइए
इस जले हुए दिल,,,

इतनी प्यार की खुशबू महका रहें है
थोड़ा सा और इसमें चार चांद लगाइए
मुझे प्यार का हिस्सा बनाकर
जीवन रस जिंदगी में बढ़ाइए
इस जले हुए दिल,,,

टिमटिमाती हुई तारों की तरह
अंबर आसमान में झिलमिलाइए
जलवा दिखा ही रहे हैं तो और जलवा दिखाइए
प्यारी बेबी,प्यारी जानू अपनी हाथ को जरा मेरे सर पर तो घुमाइए
इस जले हुए दिल,,,

अपनी आशक्ति से दबा चुके हैं चांद की खूबसूरती को
खिल उठेएंगे जमा दिल की रंगीन फिजा को जगाइए
सोना बाबू स्वीटी,स्वीटहर्ट जानेमन
जान जरा इस पर भी लुटाइए
इस जले हुए दिल,,,

निर्झर उपवन की लहराती हुई धारों पर
शाम की प्यारी रोशनी को बिखेरिए
आइए आप आइए आप आपका स्वागत है
इस जीवन की पुरवाई को खिलाएं
इस जले हुए दिल,,,

कभी-कभी टूट जाते हैं जानेमन
इसे अब समेट कर अपनी बाहों में सुलाइए
प्यारी प्यारी खुशियां बिखेर कर
इस छोटी सी जिंदगी को तृप्त कर जाइए
इस जले हुए दिल,,,

सुमन की तरुणाई होगी
इसे रास की पुरवाई से बचाइए
यह अंधकार मय जग में कहीं खो न जाए
इसे अपनी आंखों की गरल पिलाइए
इस जले हुए दिल,,,

छत के नीचे कम

छत के नीचे कम
आसमान में जादे रहते हैं हम
उम्मीद की उड़ान में
न जाने कहां-कहां उड़ जाते हैं हम

धरा गगन अंबर छु कर
गुरबत में जीते हैं हम
पुरी आसमान नाप लेते
ऐसे सपने में जिते हैं हम

ओढ़ लिए है रजाई तान कर
सर गर्मी में रहते हैं हम
हमारी मनोदशा क्या हो गई है
न जानते,न समझते लेकिन चढ़ कर बोलते हैं हम

खुद को सेठ समझ कर
अकड़ कर जिते हैं हम
मेरी मति मारी गई है
जो सिंहासन से जवान लड़ते हैं हम

गुरूर करते खुद पर
किसी से कम न समझते हैं हम
बात-बात पर उंगली करते हैं
इतना होशियार लगते हैं हम

बुनियाद जिसकी होती भी नहीं है
उस पर अड़ जाते हैं हम
व्यर्थ की बातों में पड़ कर
अनर्थ(लड़) कर जाते हैं हम

सांत मनो दसा को भूलकर
भ्रमित मार्ग पर चल जाते हैं हम
एक छोटी सी तिनका को लेकर
मरने मिटने पर उतर आते हैं हम

इतनी सोच नीची हो गई है कि
झट से किसी को नाप लेते हैं हम
एक बोली से ही औकात को
लगता है जान लेते हैं हम

न करते हैं ताज पोसी किसी का
गुरुर में जीते हैं हम
सत्ताधारी से संपर्क है हमारी ऐसा लगता
जो अकड़ कर चलते हैं हम

जीवन के कड़ी मेहनत से
शौकिया मिजाज बनाए हैं हम
रिन कर्ज कर नहीं
चमन गुलाब खिला कर चमकाएं है हम

शोहरत महफिल में जो देखते हैं
ऐसे नहीं पाए हैं हम
कठिन परिश्रम है इसके पीछे
तब जाकर पुष्प सा खिलकर गुलिस्ता खिलाए हैं हम

अपने बलबूते पर खड़े हुए हैं
अपने बल के सहारे जीते हैं हम
कोई दक्षनआ में नहीं पाए है साहश
कड़ी धूप में शरीर जलाएं हैं हम

छत के नीचे कम,,,,,,,,,

आहा! प्यारे ,तुम भोली, तुम

आहा! प्यारे ,तुम भोली, तुम नटखटी ,तुम नखरेली लगती हो
कितनी हसीन कितनी प्यारी कितनी राजदूलारी लगती हो
जब चलती हो छम्मक छल्लो ढ़कती हो ओढ़नी से चेहरा
तो शर्मीली बहुत-बहुत प्यारी लगती हो

आंखें देखता, देखता ही रह जाता
अदाएं,अदाओं पर तुम भारी लगती हो
दिल जीत लेती दिले जा दिले नसीबा, दिले रहबर
तुम ऐसी समाएं अदाओं कि सिकारी लगती हो

तेरे सामने सब फीका पड़ जाता
इतनी सुंदर अदा कि तुम पुजारी लगती हो
तेरे सामने सब फीके
इतनी लाजवाब मधुमास की हरियाली हो

माथे की तुम बिंदी
नसीब की चुड़न हारी लगती हो
तुम मुझे जग में सबसे ज्यादा
अखियां शोभित प्यारी लगती हो

तेरे मुखड़े नजर से उतरती नहीं
हंसती तो खिलती धूप छाया प्यारी लगती हो
खुशियां पांऊ उस खुशियों से बड़ा खुशियां
दिन तुम दुलारी लगती हो

तुझ में समा जाऊं मैं
तुम इतनी न्यारी लगती हो
तुम महफिल कि एक कली
जो जगत कि सबसे प्यारी राजदुलारी हो

नसीब खिल उठता है जब देखता हूं तुमको
तुम फूलों की क्यारी लगती हो
छलक उठता है जाम सार
तुम मोहनी प्रिय बड़ी प्यारी लगती हो

तुम स्वर्ग धारा की अप्सरा सी
तुम मुझ पर रंग जमाईं सी लगती हो
अंतर मन की पीड़ा को हरने वाली
जीवन की नदिया में तुम सिप कि मोती कि क्यारी लगती हो

कहती हूं ना मैं तुमको जानी
तुम जहान से भी सुंदर मुझको प्यारी लगती हो
तुझ में पाता हूं मैं सारी खुशियां
तुम इतनी बड़ी खुशियों की थाली हो

मेरे लिए तुम हर कुछ
तुम रहमत की मेरी डायरी लगती हो
प्रिय श्री तुम मेरे दिल के सबसे करीब
अनूठी दिलबर, दिल जानी, बाबू सोना सि प्यारी लगती हो

आहा! प्यारे ,तुम भोली, तुम ,,,,,

तेरी चेहरे पर कि

तेरी चेहरे पर कि तिल दिखती नहीं है
तेरी हाथ कि टैटू से नजर हटती नहीं है
क्या कहूं जाने मन
तेरे बिन कहीं दिल लगती नहीं है
तेरी चेहरे पर कि,,,,

मन करता है आ जाऊं तेरे पास
लेकिन कदम बढ़ती नहीं है
थाम लेता हूं दिल मैं राजकुमारी
तुम्हें देखकर नयन थकती नहीं है
तेरी चेहरे पर कि,,,,

तुम हो कि बस कार्य स्थल और घर रहती हो
कभी घर से बाहर निकलती नहीं है
कितना निहारूं तुम्हें मैं तस्वीर में
तुम्हें देखूं तो देखता रहूं तुमसे नजर हटती नहीं है
तेरी चेहरे पर कि,,,,

क्या हो गया है इस दिल को क्या खबर
तेरी जुबान बोले बिना ठहरती नहीं है
नजर आ जाए तुम कहीं तो
लोक लाज के डर से सिर्फ देखती टोकती नहीं है
तेरी चेहरे पर कि,,,,

फलक पर चढ़ गई है मुहब्बत मेरी
लेकिन आलम यह है कि जमी पर उतरती नहीं है
कर देते हैं हम अपने दिल कि बात तुमसे
लेकिन तुम हो कि कुछ कहती नहीं है
तेरी चेहरे पर कि,,,,

चुपचाप देखती हो हाथ पर हाथ धरें
होता नहीं या कुछ बोलती नहीं हो
तुमसे सिकायत है मेरा सुन ले तुम
मेरी दिल में रहती हो रह ले ,तंग मत कर, लेकिन तुम यह करती नहीं है
तेरी चेहरे पर कि,,,,

बड़ी हलचल हो उठती तुम तन बदन में
कभी दो पल आराम से मुझे रहने देती नहीं है
राह देख रहा हूं तेरी दिलकश
लेकिन अब दिल घबराती(निश्चित हूं) नहीं है
तेरी चेहरे पर कि,,,,

चांद हो मेरे सिकन की तुम
लेकिन (उजाला ही उजाला)अमावस मेरे लिए होती नहीं है
डार्लिंग क्या कहूं तुम्हें
तुमसे सुंदर इस दुनिया में कुछ और मुझे दिखती नहीं है
तेरी चेहरे पर कि,,,,

ख्वाबों में ख्यालों

ख्वाबों में ख्यालों की बात होगी
तन्हा-तन्हा धीरे-धीरे तुमसे मुलाकात होगी
सफर यहां से शुरू हुआ
मंजिल पर तुम्हारे साथ आगाज होगी
ख्वाबों में ख्यालों,,,

नहीं कहीं ठहरने की
जरा सी बात होगी
सीधा सीधा नाक के सामने
तितली रानी अब तेरे दिल की बात होगी
ख्वाबों में ख्यालों,,,

ताम-झाम कर के देख लिया
अब दिल में दबे एहसासों की बात होगी
तुम तन्हा रह जा लेकिन
मेरी तुमसे कविताओं में बात होगी
ख्वाबों में ख्यालों,,,

जब भी तुम उदास होगी
तब तब मेरी लव छुती तेरी कई राग होगी
तुम्हें मुस्कुराने वाली शब्दों की
फुलझड़ी सावन सी बरसात होगी

भीग जाओगे उसमें तुम
देखना दिल की पुकार होगी
मेरी तो जो होगी सो होगी
तेरी कई बात होगी
ख्वाबों में ख्यालों,,,

जान मेरी
तुम्हें छुती ,तुम्हें कहती मेरी कविता कई बात होगी
चारों तरफ देख लेना तुम दिखेंगे हम
क्योंकि तेरी उतरी चेहरे पर जो मेरी मुस्कान होगी
ख्वाबों में ख्यालों,,,

रहोगी तुम बिंदास
क्योंकि अब मुझसे वक्त वक्त तेरी मुलाकात होगी
तुम मेरे लिए खास हो इसलिए
ढूंढ लो मैं दूर होकर भी तेरे पास होगी
ख्वाबों में ख्यालों,,,

तू सजोगी जब भी तो याद आएगी मेरी
अपने साए में तेरी मेरी तस्वीर होगी
प्यारी ब्यूटी गर्ल
तेरी लबों पर छलकती मेरी जाम होगी
ख्वाबों में ख्यालों,,,

आज की रात

आज की रात निकल जाए तो
फिर कल कि बात होगी
आपस में मिलन‌ पर
गुदगुदी वाली बात होगी
आज की रात,,,,,,,

नई चाहत
नई खुशियों कि बात होगी
यह अंधेरी रात कट जाए तो
तरो ताजा मुलाकात होगी
आज की रात,,,,,,

सफर करेंगे हिल मिलकर
सुबह सुहानी मधुर मास होगी
मीठे मीठे जज बातों की
प्यारी-प्यारी बात होगी
आज की रात,,,,,,,

दिल की कहेंगे आप
झुकी नज़रों की कुछ खाप होगी
फूल सी कली कि पंखुड़ी
सोचो क्या कशिश भरी अंदाज होगी
आज की रात,,,,,,,

तेरे मेरे बातों की
चासनी से भी ज्यादा चाव भारी अंदाज होगी
यहां से सफर की दूसरी कड़ी का
दिल जानी शुरुआत होगी
आज की रात,,,,,,,

दिल के दरवाजे खोल दिए हैं
आओ इस पर बैठो तेरी राज होगी
इससे ज्यादा और क्या कहूं
तेरी इस प्रोपर्टी पर सेंट % अधिकार होगी
आज की रात,,,,,,,

शरारती अंदाजों कि
शरारती कुछ बात होगी
रूह में दबी हुईं खुशियों का
देखना कल सुबह कैसी आभास होगी
आज की रात,,,,,,,

लजाना ऊंजाना छोड़ दिए हैं
अब फेस टू फेस बात होगी
नासिर चेहरे प्रेम भरी मुलाकात की
अब नई तरीके से शुरुआत होगी
आज की रात,,,,,,

निगाहों से उतर कर
अब हाल ए दिल की अब बात होगी
सुनहरे ख्वाब , ख्याल कि
नए-नए पन्ने की शुरुआत होगी
आज की रात,,,,,,

जी चुके है सिंपल जिंदगी बहुत
अब जीवन में फुल सी बहार होगी
नई जिंदगी कि नई तरीके
आज से ऐलान ए आगाज होगी
आज की रात,,,,,,,

सारी दुनिया जान चुकी है मेरी मुहब्बत को
अब पर्दा फाश होगी
जीने की अब जीवन शैली का
विश्लेषण अब कुछ खास होगी
आज की रात,,,,,,,

थोड़ी घुल-मिल जाए उनसे
तो फिर मिलन कि बात होगी
आंखों से आंखें चार हो गई है
अब सीधे दिल पर घात होगी
आज की रात,,,,,,,

तुम आओ

तुम आओ गोरी तुम आओ
जीवन को मेरी पुष्प सी खिलाओ
बड़ी तमन्ना है तुमसे मिलने को
नहीं मिल सकती हो तो राह चलते मिलती जाओ, तुम आओ,,,,,,

राह तुम्हारी देख रहा हूं
दिल की धड़कन को और न धड़काओ
समेट लो तुम मुझको अपनी बाहों में
न भटकते छोड़ जाओ, तुम आओ,,,,,,

चेहरा विस्तृत हो रहा हैं आंखों
प्यार की तुम कमशीन कली खिल जाओ
तुम स्वर्ग हो मैं धारा लोक की निवासी
जरा इस पर आहें भर जाओ, तुम आओ,,,,,,

बड़ी प्रतीक्षा कर रहे हैं हम
शेहरा जरा पहनाओं
शादी के लड्डू खा रहे हैं सभी
मुझे भी खिलाओ, तुम आओ,,,,,,

दिल पुकार रही है तुमको
जरा दिल की सुनती जाओ
बिंदास बोल है प्यार तेरे
दो-चार बोल मिठी सुनाओ, तुम आओ,,,,,,

नैना तुम्हें देखने को तरस रही है
जरा रिमझिम बारिश सा मुझ पर बरस जाओ
प्यार की तुम दिल जानी
सोने भाग्य मेरी किस्मत को जगाओं तुम आओ,,,,,,

तुमसे मिले शदी हो गई
अब प्रतीक्षा की घड़ी मिटाओ
मुरझाए हुए चेहरे को तुम
जलवा दिखा कर हंसाओ, तुम आओ,,,,,,

मन मंदिर में बसे कटु शब्दों को
तुम मीठी शब्दों का माला पहनाओं
धन्य हो जाएंगे जीवन मेरे
कभी तुम चाय पर बुलाओ, तुम आओ,,,,,,

तेरी प्रतिमा देख देख कर थक चुका हूं
तुम रियल में तो मिल जाओं
कभी अपने मुख मंडल की मुखड़ा हटाकर
दर्पण सी चेहरा तो दिखाओ, तुम आओ,,,,,,

अनकही बातों के दिल

अनकही बातों के दिल का
ख्यालों की तुम पुरवाई हो
मन मंदिर में बसने वाले
जीवन की परछाई हो

तेरे बिन अधूरी लगती
तुम ऐसी क्रीम रस मलाई हो
छूकर रह जाता है मेरे जज्बात
तुम ऐसी आंखों की तरू नाई हो

मन करता है सामने बैठा कर तुम्हें निहारता रहूं
तुम इतनी खूबसूरत प्यारी हो
पलक पर बैठा कर मन करता घूम आऊं
तुम ऐसी तितली रानी हो

आंखों को सुकून देने वाली
तुम आईं ड्रोप निराली हो
मेरे हाथ पर हाथ रखना वाली
मेरी मजबूत कलाई हो

तेरी यादें विस्मृत नहीं होती
तुम जीवन की पढ़ाई हो
महक उठे घर का कोना-कोना
तुम यादों की ऐसी फुलवारी हो

छू कर रह जातें मेरे जज्बात
तुम कितनी नसीब वाली हो
तुम्हें देखने को जी करता हरदम
तुम्हीं कहो यह कार्य कैसे पुर्ण निराली हों

अनकही बातों के दिल,,,,,,

जिंदगी में कोई खास

जिंदगी में कोई खास
तो कोई Time पास होता है
सभी का कहने व करने का
अपना-अपना अनुभव वह अंदाज होता हैं

जुड़े रहे हर व्यक्ति से
न जाने किस व्यक्ति का क्या प्रभाव होता है
सिक्का खनकने है उसकी का
जिसके बात में दम और आघात में प्रभाव होता है

फेंक देते हैं हम जब कुछ चीजों को
तो कभी-कभी उसी का आभाव होता है
कार्टून में बंद पड़े समान का भी
देखें तो कभी-कभी चढ़ा भाव होता है

मत करों नाप तौल हर चीज का
अपने जगह पर हर कुछ मुल्यवान होता है
बिकते नहीं हैं जज्बात बाजारों में बिकते हैं अंदाज
अगर सही समय पर सही से कहने का अंदाज होता है

होते हैं बकवास मैदानों में
नहीं कभी बिन बादल बरसात होता है
खेले हैं अगर किसी के भावना से तो छोड़ दें
क्योंकि भावना बड़ा मुश्किल आघात होता है

बड़े संभल कर चलते हैं दिल वाले
क्योंकि पत्थर हर किसी के हाथ में होता है
करीब से देखें है तड़प कर मरने वालों को
जिसे दर्द बयां करने का स्पष्ट नहीं औकात होता है

होता है चर्चा बाजार में उनकी
जिनके परिणय और परीनाम हाथ होती है
मेरे मित्र चोट न मारों किसी के दिल पर
क्योंकि यह दर्द जानलेवा से भी जानलेवा दर्द का एहसास देत है

जिंदगी में कोई,,,,,,,

27 दिन की

27 दिन की पहले सुचना ने मुझे बड़ा सिला दिया
बने दाल में कंकड़ यार उसने आसानी से मिला दिया
सोच नहीं पाया था ऐसे सोच के विपरीत चला दिया
वह छल की और मुझको अंदर तक हिला दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

चाहता था उसको दिल से ज्यादा और दिल को उसने दगा दिया
मुख्य दिन को ही उसने मुझको अपने से दूर भगा दिया
एक छोटी सी बहाना बनाया और उसने खुद को बीमार बता दिया
सब किए धरे पर मेरी उसने बड़ी आसानी से पानी गिरा दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

अब आगे क्या होगा पता नहीं उसने मुझे नहीं कुछ खत दिया
मेरे चाल पर ही मुझको उसने चतुराई से गिरा दिया
वह अजीज प्यारी दिल की राजकुमारी ऐसा मुझको सजा दिया
मेरे ही नाक के नीचे खेली और मुझको नोट बोल बोल कर आउट करार दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

मेरी बुद्धि भांग खाने गई वह ऐसे खुद को बचा लिया
मैं सोच नहीं सकता था क्योंकि ईश्वर साथ उसका निभा दिया
दिया कृपा बरसा कर उस पर ऐसे पुष्प(समय) के साथ जैसे उसको चाह कर भी कोई दगा न दे
ऐसे ईश्वर साथ उसका निभा दिया मेरी रूह को अंदर तक यह सब बातें हिला दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

स्तब्ध हूं इन सारी घटनाओं को देखकर
कैसे भगवान ने इस संसार को रसा बसा दिया
कब किसे कैसे किस से मिलना है किसे जुदा करना है
उसकी रहमत को कौन जाने
उसने जिस पर चाहा उस पर फूल बरसा दिया जिसे न चाहा उसे मिट्टी में दफ़ना दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

जिसे बार-बार

जिसे बार-बार देखने को आंखें तरसती है
जिसे कुछ कहने से पहले मन हजार बार सोचती है
वह Attitude ,,,gi,,,,
इसी शहर में इसी गली में रहती है

कहने को जी कहता है उनसे बहुत कुछ
लेकिन साहस धर कर मन रहती है
वह दिल की रानी सपनों की स्यानी
कहीं और नहीं इसी पड़ोस में रहती है

आंख मिचौली करती है उनसे आंखें आहे भरती है
उसकी घर तक दस्तक देकर दिल ठक से वापस आ जाती है
वह कश्मीर की वादी, खूबसूरत झिलमिलाती झील बलखाती
नैनों में उतर कर रह जाती है
वह पड़ोसी में रहती अंतरमन को छू जाती है

वह फूल की कली प्यार की ताजमहल क्यूट बेबी न दिल से इधर उधर होती है
न रात भर चैन से सोने देती , न चैन से दिन भर काम करने देती है
वह इंद्रधनुष की शतरंज चमचमाती रोशनी
(लड़की) दिल को बड़ी अजीज है

यादें उसकी उतरती नहीं चढ़ती सुरूर सी जाती है सावन कि तरह घटा बन कर बरसती जाती है
उसकी रंग रूप को आहें निहारती हाथ उन्हें हिरनी जैसी सवारती, सजाती है
वह परियों की रानी नानी की दुलारी, दादी की राजकुमारी पापा कि प्यारी , मां कि बेटी प्यारी
मेरी आंखों को झुकाती है वह मेरे दिल को छूकर मुझे सर्माती है,,,

तुम भ्रम में जीती हो

तुम भ्रम में जीती हो
भ्रम में जीना छोड़ दो
लव यू लव यू जानू
तुम आओ और बोल दो

समय अनोखा चल रहा है
मन की आपा खोल दो
मैंने मोहब्बत बोल दिया
तुम भी मोहब्बत बोल दो

नैनो कि दीवारों में अपनी
तस्वीर मेरा ओढ़ लो
प्रेम पुनीत शब्दों में मुझको
एक बार प्रेमी बोल दो

चूम लिया हूं तुझको नजदीक से
तुम भी मुझको चूम लो
जानू जानी बालम बेगम
प्रीत नेह का खोल दो

मन करता तुझ में समा जाऊं
तुम नजदीक आकर मुझमें खुद को घोल दो
प्यारी प्यार की स्नेह मुझ पर
थोड़ी सी और ओढ़ दो

तेरी रूहानी इश्क में मरा जा रहा हूं
मुझको आओ तुम समेट लो
बस एक बार अदाओं से अपना
मेरी नेह में अपना स्नेह का बादल छोड़ दो

भीग जाऊंगा मैं उसी में
तुम भरी नजर से मुझको देख लो
प्रणय प्रेमानंद की दुनिया में खो गया हूं तेरी
तुम मुझको प्रेम की भाषा में और दो चार शब्द बोल दो

तुम भ्रम में जीती हो,,,

मां, मैं लाडली तेरी

मां, मैं लाडली तेरी प्रदेश जा रही हूं
वहां मेरी रक्षा करने आगे आएगा कौन
तुम सब यही रह जाओगी
मेरी राह में वहां फुल खिलाएगा कौन

मुझे क्या करना चाहिए नहीं करना चाहिए
वहां मिठी शब्दों में समझाएगा कौन
पापा भाई कोई नहीं है वहां
किसी जरूरत पर दौड़ कर आगे आएगा कौन

मैं एक स्त्री हूं
मुझे बुरी नजरों से बचाएगा कौन
भुखे पेट सो गया अगर तो
दो रोटी का टुकड़ा जगा कर खिलाएगा कौन

दिन भर थक हार जब रूम जाऊंगी
तो वहां सर पर हाथ सहलाएगा कौन
दादा दादी नाना नानी के चरण चुंबन का
मिठी एहसास व मिठी नींद सुलाएगा कौन

झुम कर आज नाच रही हूं
नौकरी में आ रहे दुविधा से लड़ने को पग बढ़ाएगा कौन
देख मां दुर भले ही जा रही हूं तेरी पास रहूंगी
क्योंकि तेरी याद को मसरूफ कर पाएगा कौन

भीगे पलक पर दो धारी तलवार बन कर
वहां साथ मेरा खड़ा हो पाएगा कौन
आ जिंदगी अब दो- दो हाथ हो जाएं
नारी शक्ति हूं इसे जग में झुकाएगा कौन

अगर रूक गए हम तो फिर कल्पना चावला,,,,, बन कर
भारत का नाम नारी शक्ति के लिस्ट में बरकरार रखेगा कौन
मां दो विदाई अब चलती हूं
कर्म धरा पर कर्म करने का अवसर फिर देगा कौन

मां मेरी नसीब में जो होगा वही करूंगी
इस धरा इस मिट्टी की कर्ज चुकाएगा कौन
जन्म लिए मर गए कुछ कर नहीं पाए तो
चमचमाते तारे की तरह दुनिया को मुंह दिखाएगा कौन

मां, मैं लाडली तेरी,,,,,

आपकी चाहत ने

आपकी चाहत ने हमें
ऐसे तरसा रहा हैं
जैसे बिन बादल बारिश
तन मन को भीगा रहा हैं

देख रहा है आंखें सब कुछ
लेकिन बोलने से जुबान लड़खड़ा रहा है
ऐसे जैसे कथित तौर पर
दिल आपके इशारे पर नाच रहा हैं

इतनी आप में डूब कर
ये बेचारे जीएं जा रहा है
कि अपने आपको भी
आपके नाम के साथ बता रहा है

प्यार का पागल मती का मारा
यह कैसे जिए जा रहा है
दिल इसका कहीं लगता नहीं
किसी तरह से जिए जा रहा है

देख रहे हैं कि नहीं इसकी हरकत
यह कुछ से कुछ किए जा रहा है
रंग बिरंगी चूड़ी बिंदी लगा कर
अपने आप को आपकी तरह दिखा रहा है

पहले से ज्यादा प्रेम में पागल
यह अब हुए जा रहा है
आप जानती नहीं है शायद बता दे
आपकी बगैर भी यह आपके पुतलों के साथ जिए जा रहा है

कोतुहल दिल कि यह सब
इनकी व्योम गति से ऐसे बढ़ा रहा हैं
जैसे प्रेम लीला कृष्ण राधा का
कोई प्रदर्शन किए जा रहा है

छा रहा हैं आंखों में तस्वीर आपकी
ऐसे जैसे हिरनी आ जा रहा हैं
यह सब दृश्य आपकी
अंतर्मन को बड़ी लुभा रहा हैं

नम आंखों से बातें कहे
जो आपके दिल में कहने से पहले दस्तक दिए जा रहा हैं
हां हां वही कह रहे हैं
जो आप अंदर ही अंदर समझ कर मुस्कुरा रहे हैं

मैं अपने प्रेम कथा की
हर हालत आपसे बता रहे हैं
आप सुनिए समझिए
कैसे हम आपके बगैर जिवन बिता रहे हैं

कभी कहते हैं आपसे
तो कभी आपसे छुपा रहे हैं
आपको पलकों पर बैठ कर
शहर शहर घूमा रहें हैं

अब आपको आखों से उतारकर
सीधा दिल में बैठा रहे हैं
ऐ पारो
तुम जब भी मायूस होती हो तब-तब हंसा रहे हैं

आपकी चाहत ने,,,,,

जितना तुमको

जितना तुमको समझता हूं
उतना तुम हो सरल कहां
मटक-मटक कर चलती हो
तुम हो बलशाली निर्बल कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम धैर्य साधकर खड़ी रहती हो
तुम हो उक्ताने वाली गरल कहां
मासूम सी चेहरे भले दिखती है तेरी
लेकिन तुम हो मासूम कहां
जितना तुमको,,,,,

टेढ़ी उंगली से घी निकाल लेती हो
तुम हो कठोर दयालु कहां
हर जगह डट कर खड़ी हो जाती हो
तुम हो सफल खिलाड़ी विफल कहां
जितना तुमको,,,,,

तेरी तारीफ करूं मैं कितनी
तुम हो तारीफ के काबिल तुझ में दुर्व्यवहार कहां
तुम प्यारी मासूम कली राज दुलारी
तेरे जैसा इस धारा में और प्यारा कौन यहां
जितना तुमको,,,,,

तुम जन्नत सी दीवानगी हो
तेरी सूरत जैसी सीरत दिखेगी और कहां
मैं पागल हूं सच में तेरे लिए
तुम्हें ऐसा पागल और मिलेगा कहां
जितना तुमको,,,,,

तेरी चेहरा मेरी नज़रों से उतरती नहीं
तेरी ख्वाब और कहीं खिलेगा कहां
मेरी बाग मेरी बगीचे में आ जा तू
तुम्हें मेरे जैसा प्यार करने वाला और मिलेगा कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम आंखें आंखों से जीत ली हमें
हमारे जैसा दीवाना तुम्हें मिलेगा कहां
तेरी चलचित्र चल रही है मेरी आंखों में
मेरी आंखों को तुम बंद करोगी जानेमन कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम्हें फुर्सत से यह निहारते है
तुम्हें ऐसा प्यारा मोहब्बत करने वाला मिलेगा कहां
तेरी अनु उपस्थिति में जलते हैं इनके दिल
ऐसा दिलदार दिवाना तुम्हें सारे जहां में मिलेगा कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम ऐसी करती क्या हो

ओ दिल जानी दिल चुराने वाली
दिल चुरा कर रहती कहां हो
न काल न मैसेज न अता पता
तुम ऐसी करती क्या हो

जो तेरे पास समय नहीं होता
तुम अपने आप को समझती क्या हो
मेरी नींद मेरी चैन उड़ा कर जानी
तुम गहरी नजरों से देखती क्या हो

चाहत कि प्यास बढ़ा कर
आंखें आंखों से बचाती क्या हो
सरारत भरी निगाहों से निगाहें फेर
फूल कि पंखुड़ियां दिल जलाती क्या हो

उन्मुक्त गगन में फिरने वाले को
तुम कैदी,कैद करती क्या हो
आंहे भर न सके आंसु छलका न पाए
ऐ बेदर्दी दर्द देकर मस्ती में रहती क्या हो

मुख मंडल पर मौन ध्वजा धारन कर
दिल पर ध्वजा फहराती क्या हो
तुम क्या जादू जानती हो मुझे नहीं खबर
फुलझड़ी,दिल में प्यार कि गुल खिला कर दिल जलाती क्या हो

क्यों तुम मेरी

क्यों तुम मेरी
जीना हराम करती हो
ए बेदर्दी
दर्द देकर तुम आराम करती हो
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

नहीं चाहती हो कभी तुम पास आना
लेकिन तुम मुस्कान भर्ती और जान लेती हो
नींद चैन को उड़ा कर मेरी
तुम आराम से सोती हो
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

खोई हुई तन्हाइयों में मेरी
तुम नासूर जान करती हो
जाने जां जाने मन
तुम क्यों मेरे साथ ऐसा काम करती हो
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

कभी नहीं होता तुम्हें खुदा के वास्ते
दो शब्द पुण्य कर्मों के लिए दान करती हो
ओ मेरी जान
जान लेकर मेरे तुम कितने अच्छे से आराम करती हों
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

एक चाहत बड़ी तमन्ना की
प्यासे मन को क्यों नहीं तुम प्यार दान करती हो
एक बार आओ मुझसे मिलों और लाड़ो
इच्छा है मेरी क्यों नहीं तुम ऐसी काम करती हो
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

क्या कहूं तेरी बातें

क्या कहूं तेरी बातें
तुम कितनी प्यारी लगती हो
खासकर तब जब
तुम मुंडी हिलती शर्माती जाती हो

तो ऐसा लगता जैसा
दिल में गुब्बार जगाती हो
यार क्या कहूं तुम्हें
ऐसी कर तुम दिल को जीती हारी जाती हो

बड़ी प्यारी बड़ी सरल राजकुमारी
तुम न्यारी लगती हो
जब मीठी-मीठी बोलती हो न
तो तोता सा दुलारी लगती हो

तुम्हें मन करता उठा कर लाऊं
लेकिन तुम आत्मसम्मान कि पुजारी लगती हो
सीने को चिर कर दिल में जगह बना लिया
तुम सचमुच राजकुमारी लगती हो

मैं कहीं रहूं तेरी यादों के साथ रहता हूं
तुम मुझे जिगर के टुकड़े हारि लगती हो
हिम्मतवाली शहंशाह तो लगती ही हो
साथ-साथ तुम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई लगती हो

कभी मन करता तुम्हें अपने पलक पर बैठा कर घुमाऊं
लेकिन तुम तो अदब की हारी लगती हो
साथ आओ तुम्हें कई बात बताना है
तुम मेरे जीवन की साथी बड़ी प्यारी लगती हो

क्या कहूं तेरी बातें,,,,,

फूल चमन में खिले हैं

फूल चमन में खिले हैं
बहार मौसम में आया है
हे प्रिय श्री
तेरी जैसी राग आज कोयल ने सुनाया है

पूरब में सूर्य लाली उगी
ऐसे जैसे तुमने मुस्कूराया है
नव पथिक बहार आया
जैसे तुमने मिलने आया है

घटा बादल रिमझिम रिमझिम बरशि
जैसे तुमने पायल छंकाया है
चांद निकलकर मुकुट पर छाया
जैसे तुमने मुखड़ा दिखाया है

तेरी इस रंग को देखकर
आंखें मेरी लजाया है
तेरी रूप हर उन चीजों में दिखा
जिसे मैंने हाथ लगाया है

तुम कब आओगी कहों न
अंधेरा तमस बढ़ाया है
तेरे बिछड़े लग रही सदी हो गई
ऐसा पुरवाई ने आभास कराया है

देखों जमाने की तरफ
सब लौट कर आया हैं
एक तुम्ही नहीं आई हो अब तक
बाकी सब अपना अपना स्थान पर पुनः आया है

राह नयन इंतजार में तड़प रही
दिल ने बहुत कष्ट उठाया है
मन हर पल हर छन पनघट पनवारी से पूछ रही
आखिर तुम क्यों नहीं समय के साथ लौट आया है

नीरस जिंदगी अब

नीरस जिंदगी अब मुझे
बेगाना नहीं लगता
जब से गई हो तुम लौट कर
तबसे यह सफर सुहाना नहीं लगता

मन करता है भागे- भागे चले आऊं तेरे पास
यहां अब अपना ठिकाना नहीं लगता
दिल करता है तुम्हें कर दूं समर्पित जीवन
यह जीवन अब अपना नहीं लगता

हो गया है बेगाना शरीर तुम्हारी
इसमें बचा अब कोई खजाना नहीं लगता
सुन रही है यह हर बात तुम्हारी
यह अब अपना, अपना नहीं लगता

हे प्रिय श्री सुन मेरी
यहां अब मुझे कोई जाना पहचाना नहीं लगता
तुम ही सच्ची साथी हो मेर
तेरे बिना यहां अब कोई अपना,अपना नहीं लगता

भागता फिरता है मन इधर-उधर
वह मंजिल वह घर ठिकाना नहीं लगता
सब लगता है पराया हो गया है
कोई यहां परवाना नहीं लगता

बड़ी कष्ट होता है इन सभी प्रक्रमों को देखकर
तेरे बिन जीना, जीवन नहीं लगता
मन व्याकुल रहता है हमेशा तेरे बिन उदास भी
यहां अब रंगो से भरा जीवन खजाना नहीं लगता

तेरी हर बातें मीठी लगती है
कोई बातें तेरी करवाहट या चुभने वाला नहीं लगता
तुम आ भी जाओ ना कितनी तड़पाओगी
मुझे यहां अब अकेला जीवन रस जीना नहीं लगता

मुस्कुराकर कर देती थी तुम मेरी हर दर्द को खत्म
तेरे जैसा कोई पेन किलर दवा नहीं लगता
तुम हर मर्ज की वैज्ञानिक विधि इलाज हो
तेरी जैसी संजीवनी इस जग में कहीं नहीं लगता

नीरस जिंदगी अब,,,

तुम चलों मैं देखूं

तुम चलों मैं देखूं
वाह! तेरी चाल क्या है
कहने की हर बातों का
वाह! तेरी ख्याल क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

सर्म से आंखें झुक जाती
वाह! शर्मीली तेरी अंदाज क्या है
तुम्हारी खूबसूरत मुस्कुराती चेहरा
वाह! दिखती लाजवाब क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

किस्मत से मिली हो तुम
वाह! तुम्हारी अदाएं खास क्या है
डूब कर जीता हूं तुझ में
वाह! निराली तेरी बात क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

जी करता है तुम्हें देखूं और देखता रहूं
वाह! तुम्हारी बनावट ,प्रभु कि अंदाज क्या है
सर से पानी उतरता नहीं
वाह! तुम्हारी प्यार का एहसास क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

जितना दूर होता हूं उतना ही डूबता हूं तुझ में
वाह! तुम्हारी मयकस नशा खास क्या है
तुम पास नहीं होती हो मेरी लेकिन
वाह! तुम्हारी पास कि अनुभूति का एहसास क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

दिल लगता नहीं कहीं
वाह! तुम होती बिंदास क्या है
मैं थक चुका हूं तेरी राहें चल चल कर
वाह! फिर भी तेरी पीछे चलने कि बात क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

सब कुछ पास है मेरे देख लेकिन
वाह! तुम नहीं तो मेरी औकात क्या है
दिन हिन गरीब दुखिया हूं तेरे बिन
वाह! तेरे प्यार का इस दिल पर आघात क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

दुनियादारी को भूल जाता
वाह! तुझ में डूबी ख्यालात क्या है
तेरी प्रशंसा जितना भी करूं कम है
वाह! तुम्हारी गुणधर्म को बताने की मेरी औकात क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

तुम कभी दिखती मुझे खूबसूरत सी दुनिया
वाह! कभी दिखती दिल की आवाज क्या है
तुझ में मकबूल यह पागल प्रेमी तेरी
वाह! पागल प्रेमी का होने वाला इससे ज्यादा और बुरा हाल क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

दूर मैं नहीं तेरे

दूर मैं नहीं तेरे पास हूं
दिल के कितने करीब वह खाश हूं
जरा देख तुम ध्यान से
तेरी सुरमई आंखों के काजल, वह बिंदी के साथ हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

तेरे ख्वाब तेरे सपनों को बुनने में हर संभव तेरे हाथ हूं
तुम चुम मुझे
मैं जीवन का एहसास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

जागता हुआ सुर्य कि किरण सा
दिनकर का प्रकाश हूं
मैं हूं नहीं वास्तविक तेरे साथ
लेकिन छद्म रूप लिए तेरी राज हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

अंजान हो के भी
गहरे रंगों का साज हूं
रंग दे दो दिल कि दास्तां को
वह विस्वास कि प्यास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

छू कर रूक जाती है जज्बातों को
सारे जहां के सम्मान ताज हूं
मैंने देखा तेरी आंखों में मेरी तस्वीर
तभी तो बना तेरी अधर का प्यास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

तुम्हें जानता हूं अब मैं करीब से
परछाई बने बिंदास हूं
रूक गई है कदम मेरी भाग दौड़ से
अडीग अटल तेरी आश हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

सोलों कि चिंगारी पर जला
तब आज प्रकाश हूं
हीरे सा चमक ऐसे नहीं आया
तरासा गया मैं खास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

खड़ा हूं बिंदास विश्वास के साथ
क्यों कि अनुभव का विशाल वृक्ष भारद्वाज हूं
मैं सत्य के राहों पर चलने वाला
आस्था और विश्वास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

वर्तमान से लड़ने वाले
कल का बड़ा प्रयास हूं
छाए रहूंगा दिल पर तेरी
मांझी सा प्यार का वह प्यास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

सब उधारी का है

वह सूर, वह लय, वह ताल
सब उधारी का है
मेरा क्या हैं कुछ नहीं
सब लिखावट उस फूलवाड़ी का है

मैं तो बस प्रतिमुर्ति हूं
सब उसकी देनदारी है
मेरा क्या हैं कुछ नहीं
सब लिखावट उस भोली भाली का है

हस्ती कहां हमें
मैं तो एक जुआरी हूं
मेरा क्या हैं कुछ नहीं
यह सब उस क्यारी कि है

रंग रूप खुबसूरती
देखा न ऐसा सुमारी हूं
मैं क्या लिखूं मेरी क्या औकात
सब उस देवी कि किरदार लिखता सारी हूं

अभी मेरी तभी तेरी
सब जग देखा सुमारी हूं
हां मैं मानता हूं कि
उसकी हमेशा से आभारी हूं

फूल बाग घटा
सब पर पड़ती वह भारी है
क्या कहूं मैं
वह गजब कि राज कुंवारी है

जिसके दम पर
लिखता सिंगार रस सारी हूं
मेरी क्या औकात
कलम वंदना करती उसकी जारी है

जब से तुमने

जब से तुमने नंबर दी
तब से मैंने तुम्हें सैकड़ो लिखा
लेकिन तुमने एक पर भी नहीं
अच्छा बुरा या गिला शिकवा कहां
जब से तुमने,,,,,,,,

पढ़ती रही हर लाइन को
मोहतरमा तुम्हें कैसा लगा
हमें कुछ भी खबर नहीं लेकिन
फिर भी मैं तुम्हें दिल खोल कर भेजता रहा
जब से तुमने,,,,,,,,

खूबसूरत रंग खूबसूरत सौंदर्य
तेरा प्रदर्शन हर पंक्ति में करता रहा
तुम गुरुर कि मारी पढ़ती रही लेकिन
एक पर भी नहीं कमेंट की केवल पढ़ता रहा
जब से तुमने,,,,,,,,

तेरी मुरझाए हुए चेहरे को भी मैंने
खिलता गुलाब वह लाजवाब लिखा रहा
लेकिन तुम इस मेहनत को भी नहीं समझी
पता नहीं क्या तुम करता रहा
जब से तुमने,,,,,,,,

दर्द होती रही बेचैन दिल रोता रहा
तुमने समझी नहीं मगन अपने आप में रहता रहा
खामोशी की भाषा क्या होती है नहीं पढ़ सका
और तड़प तड़प कर मैं जीता रहा
जब से तुमने,,,,,,,,

तुम्हें खूबसूरत चांद लिखा

तुम्हें खूबसूरत चांद लिखा
तुम्हें अपने दिल का नाम लिखा
और तुम गुरुर करती रही
और मैं खुद को आशिक बदनाम लिखा

जमाने भर मुझे टोकते रहे
और मैं तुझे अपना धाम लिखा
कर्म धर्म और धरा को भूला
और तुम्हें अपना पावन गंगा धाम लिखा

छाती रही तुम मेरी मुस्कुराहटों पर
ऐसा तुझको तेरा नाम लिखा
मैं भले ही नहीं हूं श्याम लेकिन
मैं तुझको अपना राधा नाम लिखा

लिखते रहा मोहब्बत की किताबें
हर पन्ने पर तेरा नाम लिखा
तु छाई रक्त की हर बूंद में
तो तुझे मैं जीवन का संग्राम लिखा

तुम चाहत तुम आहत
तुम्हें स्मरण का नाम लिखा
लिखते रहा तुम्हें सदा
अपने पावन घर का सुंदर सुशील मुस्कान लिखा

तुम्हें खूबसूरत चांद लिखा,,,,,,,

हाथ पर हाथ धरे

हाथ पर हाथ धरे रहने से
न आएगा कुछ भी पास
मेहनत करने वालों के
घर होगा खुशियों का सौगात

रहेगा हंसी खुशी वह
जीवन होगा उनका बिंदास
वह व्यक्ति कभी नहीं
झुकाएगा सर किसी के पास

माथे पर होगा उनका तिलक
होगा परिवार उनका उनके साथ
हिल मिल चलेगा वह
उन्हें मिलेगा सद्भाव प्यार

बैठे रहने वालों को
उलझन में रहेगा सदा हाथ
नहीं दिखेगा उन्हें रास्ता
उठाया न जो कदम समय के साथ

खोए रहने से कुछ नहीं होगा
संभालना होगा होस हवास
सोच समझकर करते रहो
कुछ न कुछ कार्य

नहीं तो नीचे गिरे रह जाओगे
देगा नहीं तुमको कोई साथ
कम बढ़ाओ कदम बढ़ाओ कदम बढ़ाओ
समय कर रहा है तेरा आगाज

हाथ पर हाथ धरे,,,,,

हें प्रिय श्री

क्यों तुम अपनी अभाव जगाती हो
आती हो सामने तो आकर बैठो
क्यों भाव खाती चली जाती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

जान-बूझकर तुम
इतना क्यों इतराती हो
क्या मन में है तेरी
क्यों नहीं खुल कर बताती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

हर्षाती हो लजाती हो
छुप छुप के नज़ारे मिलती हो
फिर क्यों नहीं तुम बेवफा सनम बन जाती हो
दिल बहलाने के लिए क्यों नहीं मेरे पास चली आती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

कुछ कहने का मन करता है तुमसे
क्यों नहीं तुम कहने सुनने सुनाने देती हो
छुपाती हो तुम अपनी दिल की बात
क्यों नहीं बताना चाहती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

राग द्वेष भला बुरा भुल कर
क्यों नहीं मन हल्का करने मुझे फोन लगाती हो
जीवन की सीढ़ी पर चढ़ने के लिए
कद आसमान से क्यों नहीं ऊंची उड़ाती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

जाना है हर किसी को उसी मंजिल पर
तो तुम क्यों आना कानी करती हो
अपने जहन कि बातों को
हमसे छुपा कर क्यों रखना चाहती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

धुल जाएंगे सारे मैल
पावन पवित्र सोच क्यों नहीं बनाती हो
चलो छोड़ो सब कुछ यह बताओ
तुम मुझसे मिलने क्यों नहीं चली आती हो

पी रही हो हर गम खुशी उदासी को
लेकिन कुछ दिखाती क्यों नहीं हो
बड़ी भोली हो देखने में लेकिन
मुस्कुराती हो तो जान ढ़ा देती हो

तुम रोशनी

तुम्हीं रोशनी तुम्हीं दिवाकर तुम्हीं चांद हो
तुम मेरे लिए सारा जहान हो
मुझे और क्या चाहिए
तुम्हीं छत और तुम्हीं आसमान हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तुम्हीं धड़कने वाली धड़कन
तुम्हीं आत्मबल सम्मान हो
तुम मेरे लिए हर कुछ
तुम मेरे लिए प्राण हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तुम हमारी धरा कि
बर्गत वृक्ष समान हो
तुम तपती धरती का
बरसाने वाली बादल मीठी जल समान हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तुम बसने वाली कंठ कि
सुर ताल गान हो
तुम मेरी नश्वर शरीर का
ऑक्सीजन समान हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तुम छाई रहती दिल पर
जैसे अमृत जल समान हो
तुम मेरे मुरझाए हुए चेहरे की
एक खूबसूरत मुश्कान हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तेरी हंसी में

तेरी हंसी में मेरी हंसी
तेरी खुशी में मेरी खुशी
तेरी बंदगी में मेरी बंदगी है
तू चाहे जो भी कह तुम मेरी जिंदगी है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

तुमसे बिछड़ जीना
उससे अच्छा मौत भली है
तुम चाहत तुम मुहब्बत
तुम मेरी दिल कसी है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

तुम्हें देखे बिना चैन न आता
तुम मेरी बेबसी है
तुम्हें देखूं आहें भर कर
तुम मेरी जिंदगी है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

तुम पहली तुम आखरी
तुम मेरी फुलझड़ी है
तुम मेरे दिल कि धड़कन
में बसन वाली पहली मुहब्बत कि कली है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

मुझे कुछ और नहीं आता
तुम्हारी अदाओं पर यह बयान हुईं जारी है
तुम कहो कुछ भी
तेरी मुस्कान मेरा हौस गवा रखीं है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

मैं जानता हूं

मैं जानता हूं यहां नहीं कुछ भी मेरा
फिर भी अधिकार जमाए बैठा हूं
इतनी खूबसूरत दुनिया में
मैं झूठा संसार बनाए बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

ख्वाब ख्वाहिश तमन्ना की
लिस्ट हजार बनाए बैठा हूं
जो नहीं है हमारे पास
उसका भी आस लगाए बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

ठहरा है कहीं पंख हमारा
आंसुओं का द्वार लिए बैठा हूं
एक ही चेहरा एक ही परछाई से
मैं प्यार जताए बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

खो दिया हूं मैं खुद को
उसकी दरबान में अपनी संसार बनाए बैठा हूं
रूप की रानी कि देवी का
सेहरे ए ख्वाब सजाए बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

एक नहीं हजार बार लिखा
उन्हें अपना दिलदार बनाए बैठा हूं
अपनी खूबसूरत दुनिया कि
उन्हें कुतुब मीनार बनाएं बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

चाहता हूं उन्हें खुद से ज्यादा
ऐसा उनसे प्यार कर बैठा हूं
क्या कहूं दिल हार गया
जब से देखा उन्हें तबसे उनसे दिल दार कर बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

तुम्हें जितना देखूं

यार तुम्हें जितना देखूं
मन नहीं भरता है
फिर से देखने को तुम्हें
दिल आतुर हो उठता है

तेरी सुरमई आंखों की
बातें हजार करने लगता है
मस्त बहार दुनिया में तेरी
खुद को खोने लगता है

तुम्हें देखे बिना नहीं
जिया जीना चाहता है
जिधर ठहरी हो तुम
उधर पांव चलने लगता है

क्या कहूं अंग कि
तेरी बातों में खोए रहता है
जरा सी ठोकर दूं तो
मुझसे विद्रोह पर उतर आता है

चाहता है तुम्हें इतना
कि तुझमें डुबा रहता है
तेरी बातें करते-करते
जरा नहीं थकता सकता है

इसके सामने मेरा नहीं
जरा सा बस चलता है
क्या कहूं जाने जा
तुझ में मेरा समय खोए रहता है

मोबाइल के कीपैड पर उंगली भागता
तेरी फोटो निकाल कर रूकता है
बिन तुम्हें देखें
आंख चैन से न रुक पाता है

जिज्ञासा उभर कर आता
फिर कहता है
क्या वह मेरी होगी
पूछ कर रुक जाता है

प्रिय श्री क्या कहूं
तुम्हें देखने का इच्छा बार बार करता है
मन मस्त मगन
तेरी यादों में खोया रहता है

मन की वाणी
को कैसे समझाऊं
तेरी अनुपस्थिति में बड़ा तड़प कर जीता है
व्याकुल वियोग में संदीप
प्रिय श्री तुम्ही कहों कैसे जीता है

मित्र सखा साथी

मित्र,सखा,साथी, बंधु
धन नहीं, हिम्मत की दो बात कीजिएगा
पांव खींचने कि जगह
हो सके तो हाथ दीजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

ऊंची मंजिल,ऊंची उड़ान भर लुंगा
सिर्फ पीठ पर आप हाथ दीजिएगा
सहयोग नहीं हो सकें तो कोई बात नहीं
सिर्फ और सिर्फ आप दात दिजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

रफ्ता रफ्ता छा जाएंगे हर सितम में
हौसले की बात कीजिएगा
अटर-पटर बोलने से कहीं अच्छा
वाणी पर पूर्णविराम दीखीएगा
मित्र सखा साथी,,,,

रोकिये,रोकिये खुद को
स्वाभिमान पर न किसी का घात कीजिएगा
समतुल्य हर कुछ अच्छा होता है
लहजे में रह कर बात कीजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

कुशल,कुशाग्र, सक्षम है
गिर जाऊं, ऐसा न विचार कीजिएगा
चोट लगती है औजारों से कहीं ज्यादा
इसीलिए सोच समझ कर बात कीजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

चलते, चलते ,चलते रहेंगे
चाहे आप कुछ भी हमारे साथ कीजिएगा
जिज्ञासा की ऊंची उड़ान है
हिम्मत है तो मर्दों वाली बात कीजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

रोकिएगा देखिएगा रुकते हैं
टकराने से पहले अंदाज कीजिएगा
मेरी निव पत्थर की है या रेत कि
यह देखने से पहले खुद को झांक कर देखिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

तुम्हें देखूं

तुम्हें देखूं हसतें तो
हमें भी हंसी लगती है
स्वीटहर्ट दिल को सुकुन मिलता
आत्मा को खुशी मिलती है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

जाने जॉ जाने मन
कुछ नसीब वालों को नसीब मिलता है
मेरे सौभाग्य में जो है जैसा भी है
उसी से मुझे बड़ी खुशी मिलता है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

मन मंदीर पावन तन
तेरी बंदगी से मुझे बंदगी मिलता है
मुस्कुराते ओंठ देखूं तेरी तो
मुझे बड़ी जिंदगी लगता है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

ये ऐहसास करता है हर कोई
लेकिन बोलने में हर किसी को सर्मींदगी लगता है
स्वर्ग हो इस धरा कि तुम कहीं
इसलिए मुझे बोलने में डर नहीं तुम्हें जिंदगी लगता है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

बस गई हो मन मंदीर में तुम जब से
तब से मेरे तन पावन दिल कसी लगता है
अगर तुम पास हो मेरी तो
हमें मिला हर सुख, समृद्धि लगता है

पुनीत कर्म अर्पीत सौभाग्य
हमें बड़ी नसीब लगता है
जिंदगी जी रहा है हर कोई लेकिन देखों,

किसी को न मेरी जिंदगी तरह जिंदगी लगता है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

तेरी हंसियों

तेरी हंसियों की बंदगी का
हर एक आलम लिखता हूं
तु चाह या ना चाह,
तेरी चाहत कि हर कसीदे मैं बालम लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

सजाता हूं तुम्हें आंखों में
तुम्हें सुरमई आंखों का काजल लिखता हूं
तुम प्यारी ही इतनी हो क्या कहूं
तुम्हें धीमी-धीमी बरसने वाला सावन का बादल लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

हर वक्त यादों में बसने वाली
उस लड़,,,,,,, को दिलों का धड़कन कहता हूं
चैन से स्वास ले सकूं वह एक बार बात कर ले
ऐसी जान जानी जानम लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

उन्हें लिखता हूं खुलकर इसलिए
क्योंकि उसकी चोट लिए घायल सा जो घूमता हूं
उन्हें लिख सकुं प्यार में कुछ और क्या लिखूं
मैं खुद को पागल लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

जाते-आते देख उन्हें
तो उस पल को सुकून का आलम लिखता हूं
वह प्यार है मेरी इसीलिए
चाहत का पहला पन्ना तेरी नाम ,,,,,,,,, लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

सधर्ष व्याप्त है

जीवन कैसे जिया जाय
सुर्य निकला भी नहीं है कि
काम पर निकला जाय

उल्टा पुल्टा निर्देश से
कहते हैं काम किया जाय
पुरा हुआ एक नहीं कि
आर्डर है कि दुसरा किया जाय

दम घुट कर
अब कैसे जिया जाय
बिना खोपड़ी के निर्देश का
पालन किया जाय

ऐ मुसाफिर रास्ते कठिन हैं
मंजिल तक कैसे पहुंचा जाय
बदले के द्वेष में जल रहें हैं सभी
सुरक्षित कैसे रहा जाय

मेरे मालिक मेरे रब ऐसे में किससे आस किया जाय
हाथ खड़ा किया हुआ है जानने वाला
किससे उम्मीद लगाया जाय

पथ बड़ा भारी है कैस निर्वाहन किया जाय
फूट फूट कर वेदना बोल रही है
ऐसे समय से कैसे निपटा जाय

विपदा खडा है द्वार
इससे कैसे लड़ा जाय
किसी के पास है कोई हल
तो मित्र तत्काल दिया जाय

आसान नहीं रहा कोई सफर
किस बस में बैठ जाए
दिखावा हो गया है हर कुछ
तो क्या इस में सब झोंक दिया जाय

सधर्ष व्याप्त है,,,,,,

आज और कल में

यह पल निकल जाएगा
जिंदगी है जी लो
न जाने कब चाल बदल लेगा

अभी यहां है कल कहां होंगे किसे खबर
न जाने यह समय किधर चल देगा
हाथों पर हाथ रखकर जतन करते रहे
और यह पल अपना रंग बदल लेगा

आज से सुंदर कल
कल से सुंदर और कल होगा
लगे रहो स्वप्न के पीछे
तो निश्चित ही तेरे हाथ में स्वप्न का वह फल होगा

रोशन तेरे किरदार से
संदीप निर्मल जल होगा
करते रहो लगन से मेहनत
निश्चित हि तेरे हाथों में तेरे स्वप्न का पल होगा

होगा चकित तुम्हें शांत धारा सा समझने वाले
अगर तेरे अंदर साहस का बल होगा
तो आज देखकर मत घबराओ
कल के स्वप्न के पीछे भागो निश्चित हि बेहतर कल होगा

आज और कल में,,,,

Sandeep Kumar

संदीप कुमार

अररिया बिहार

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इस दिल पर पहरा है | Is Dil Par Pahra Hai

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