Sandeep Kumar Hindi Poetry
Sandeep Kumar Hindi Poetry

जिंदगी में कोई खास

जिंदगी में कोई खास
तो कोई Time पास होता है
सभी का कहने व करने का
अपना-अपना अनुभव वह अंदाज होता हैं

जुड़े रहे हर व्यक्ति से
न जाने किस व्यक्ति का क्या प्रभाव होता है
सिक्का खनकने है उसकी का
जिसके बात में दम और आघात में प्रभाव होता है

फेंक देते हैं हम जब कुछ चीजों को
तो कभी-कभी उसी का आभाव होता है
कार्टून में बंद पड़े समान का भी
देखें तो कभी-कभी चढ़ा भाव होता है

मत करों नाप तौल हर चीज का
अपने जगह पर हर कुछ मुल्यवान होता है
बिकते नहीं हैं जज्बात बाजारों में बिकते हैं अंदाज
अगर सही समय पर सही से कहने का अंदाज होता है

होते हैं बकवास मैदानों में
नहीं कभी बिन बादल बरसात होता है
खेले हैं अगर किसी के भावना से तो छोड़ दें
क्योंकि भावना बड़ा मुश्किल आघात होता है

बड़े संभल कर चलते हैं दिल वाले
क्योंकि पत्थर हर किसी के हाथ में होता है
करीब से देखें है तड़प कर मरने वालों को
जिसे दर्द बयां करने का स्पष्ट नहीं औकात होता है

होता है चर्चा बाजार में उनकी
जिनके परिणय और परीनाम हाथ होती है
मेरे मित्र चोट न मारों किसी के दिल पर
क्योंकि यह दर्द जानलेवा से भी जानलेवा दर्द का एहसास देत है

जिंदगी में कोई,,,,,,,

27 दिन की

27 दिन की पहले सुचना ने मुझे बड़ा सिला दिया
बने दाल में कंकड़ यार उसने आसानी से मिला दिया
सोच नहीं पाया था ऐसे सोच के विपरीत चला दिया
वह छल की और मुझको अंदर तक हिला दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

चाहता था उसको दिल से ज्यादा और दिल को उसने दगा दिया
मुख्य दिन को ही उसने मुझको अपने से दूर भगा दिया
एक छोटी सी बहाना बनाया और उसने खुद को बीमार बता दिया
सब किए धरे पर मेरी उसने बड़ी आसानी से पानी गिरा दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

अब आगे क्या होगा पता नहीं उसने मुझे नहीं कुछ खत दिया
मेरे चाल पर ही मुझको उसने चतुराई से गिरा दिया
वह अजीज प्यारी दिल की राजकुमारी ऐसा मुझको सजा दिया
मेरे ही नाक के नीचे खेली और मुझको नोट बोल बोल कर आउट करार दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

मेरी बुद्धि भांग खाने गई वह ऐसे खुद को बचा लिया
मैं सोच नहीं सकता था क्योंकि ईश्वर साथ उसका निभा दिया
दिया कृपा बरसा कर उस पर ऐसे पुष्प(समय) के साथ जैसे उसको चाह कर भी कोई दगा न दे
ऐसे ईश्वर साथ उसका निभा दिया मेरी रूह को अंदर तक यह सब बातें हिला दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

स्तब्ध हूं इन सारी घटनाओं को देखकर
कैसे भगवान ने इस संसार को रसा बसा दिया
कब किसे कैसे किस से मिलना है किसे जुदा करना है
उसकी रहमत को कौन जाने
उसने जिस पर चाहा उस पर फूल बरसा दिया जिसे न चाहा उसे मिट्टी में दफ़ना दिया
27 दिन की,,,,,,,,,,

जिसे बार-बार

जिसे बार-बार देखने को आंखें तरसती है
जिसे कुछ कहने से पहले मन हजार बार सोचती है
वह Attitude ,,,gi,,,,
इसी शहर में इसी गली में रहती है

कहने को जी कहता है उनसे बहुत कुछ
लेकिन साहस धर कर मन रहती है
वह दिल की रानी सपनों की स्यानी
कहीं और नहीं इसी पड़ोस में रहती है

आंख मिचौली करती है उनसे आंखें आहे भरती है
उसकी घर तक दस्तक देकर दिल ठक से वापस आ जाती है
वह कश्मीर की वादी, खूबसूरत झिलमिलाती झील बलखाती
नैनों में उतर कर रह जाती है
वह पड़ोसी में रहती अंतरमन को छू जाती है

वह फूल की कली प्यार की ताजमहल क्यूट बेबी न दिल से इधर उधर होती है
न रात भर चैन से सोने देती , न चैन से दिन भर काम करने देती है
वह इंद्रधनुष की शतरंज चमचमाती रोशनी
(लड़की) दिल को बड़ी अजीज है

यादें उसकी उतरती नहीं चढ़ती सुरूर सी जाती है सावन कि तरह घटा बन कर बरसती जाती है
उसकी रंग रूप को आहें निहारती हाथ उन्हें हिरनी जैसी सवारती, सजाती है
वह परियों की रानी नानी की दुलारी, दादी की राजकुमारी पापा कि प्यारी , मां कि बेटी प्यारी
मेरी आंखों को झुकाती है वह मेरे दिल को छूकर मुझे सर्माती है,,,

तुम भ्रम में जीती हो

तुम भ्रम में जीती हो
भ्रम में जीना छोड़ दो
लव यू लव यू जानू
तुम आओ और बोल दो

समय अनोखा चल रहा है
मन की आपा खोल दो
मैंने मोहब्बत बोल दिया
तुम भी मोहब्बत बोल दो

नैनो कि दीवारों में अपनी
तस्वीर मेरा ओढ़ लो
प्रेम पुनीत शब्दों में मुझको
एक बार प्रेमी बोल दो

चूम लिया हूं तुझको नजदीक से
तुम भी मुझको चूम लो
जानू जानी बालम बेगम
प्रीत नेह का खोल दो

मन करता तुझ में समा जाऊं
तुम नजदीक आकर मुझमें खुद को घोल दो
प्यारी प्यार की स्नेह मुझ पर
थोड़ी सी और ओढ़ दो

तेरी रूहानी इश्क में मरा जा रहा हूं
मुझको आओ तुम समेट लो
बस एक बार अदाओं से अपना
मेरी नेह में अपना स्नेह का बादल छोड़ दो

भीग जाऊंगा मैं उसी में
तुम भरी नजर से मुझको देख लो
प्रणय प्रेमानंद की दुनिया में खो गया हूं तेरी
तुम मुझको प्रेम की भाषा में और दो चार शब्द बोल दो

तुम भ्रम में जीती हो,,,

मां, मैं लाडली तेरी

मां, मैं लाडली तेरी प्रदेश जा रही हूं
वहां मेरी रक्षा करने आगे आएगा कौन
तुम सब यही रह जाओगी
मेरी राह में वहां फुल खिलाएगा कौन

मुझे क्या करना चाहिए नहीं करना चाहिए
वहां मिठी शब्दों में समझाएगा कौन
पापा भाई कोई नहीं है वहां
किसी जरूरत पर दौड़ कर आगे आएगा कौन

मैं एक स्त्री हूं
मुझे बुरी नजरों से बचाएगा कौन
भुखे पेट सो गया अगर तो
दो रोटी का टुकड़ा जगा कर खिलाएगा कौन

दिन भर थक हार जब रूम जाऊंगी
तो वहां सर पर हाथ सहलाएगा कौन
दादा दादी नाना नानी के चरण चुंबन का
मिठी एहसास व मिठी नींद सुलाएगा कौन

झुम कर आज नाच रही हूं
नौकरी में आ रहे दुविधा से लड़ने को पग बढ़ाएगा कौन
देख मां दुर भले ही जा रही हूं तेरी पास रहूंगी
क्योंकि तेरी याद को मसरूफ कर पाएगा कौन

भीगे पलक पर दो धारी तलवार बन कर
वहां साथ मेरा खड़ा हो पाएगा कौन
आ जिंदगी अब दो- दो हाथ हो जाएं
नारी शक्ति हूं इसे जग में झुकाएगा कौन

अगर रूक गए हम तो फिर कल्पना चावला,,,,, बन कर
भारत का नाम नारी शक्ति के लिस्ट में बरकरार रखेगा कौन
मां दो विदाई अब चलती हूं
कर्म धरा पर कर्म करने का अवसर फिर देगा कौन

मां मेरी नसीब में जो होगा वही करूंगी
इस धरा इस मिट्टी की कर्ज चुकाएगा कौन
जन्म लिए मर गए कुछ कर नहीं पाए तो
चमचमाते तारे की तरह दुनिया को मुंह दिखाएगा कौन

मां, मैं लाडली तेरी,,,,,

आपकी चाहत ने

आपकी चाहत ने हमें
ऐसे तरसा रहा हैं
जैसे बिन बादल बारिश
तन मन को भीगा रहा हैं

देख रहा है आंखें सब कुछ
लेकिन बोलने से जुबान लड़खड़ा रहा है
ऐसे जैसे कथित तौर पर
दिल आपके इशारे पर नाच रहा हैं

इतनी आप में डूब कर
ये बेचारे जीएं जा रहा है
कि अपने आपको भी
आपके नाम के साथ बता रहा है

प्यार का पागल मती का मारा
यह कैसे जिए जा रहा है
दिल इसका कहीं लगता नहीं
किसी तरह से जिए जा रहा है

देख रहे हैं कि नहीं इसकी हरकत
यह कुछ से कुछ किए जा रहा है
रंग बिरंगी चूड़ी बिंदी लगा कर
अपने आप को आपकी तरह दिखा रहा है

पहले से ज्यादा प्रेम में पागल
यह अब हुए जा रहा है
आप जानती नहीं है शायद बता दे
आपकी बगैर भी यह आपके पुतलों के साथ जिए जा रहा है

कोतुहल दिल कि यह सब
इनकी व्योम गति से ऐसे बढ़ा रहा हैं
जैसे प्रेम लीला कृष्ण राधा का
कोई प्रदर्शन किए जा रहा है

छा रहा हैं आंखों में तस्वीर आपकी
ऐसे जैसे हिरनी आ जा रहा हैं
यह सब दृश्य आपकी
अंतर्मन को बड़ी लुभा रहा हैं

नम आंखों से बातें कहे
जो आपके दिल में कहने से पहले दस्तक दिए जा रहा हैं
हां हां वही कह रहे हैं
जो आप अंदर ही अंदर समझ कर मुस्कुरा रहे हैं

मैं अपने प्रेम कथा की
हर हालत आपसे बता रहे हैं
आप सुनिए समझिए
कैसे हम आपके बगैर जिवन बिता रहे हैं

कभी कहते हैं आपसे
तो कभी आपसे छुपा रहे हैं
आपको पलकों पर बैठ कर
शहर शहर घूमा रहें हैं

अब आपको आखों से उतारकर
सीधा दिल में बैठा रहे हैं
ऐ पारो
तुम जब भी मायूस होती हो तब-तब हंसा रहे हैं

आपकी चाहत ने,,,,,

जितना तुमको

जितना तुमको समझता हूं
उतना तुम हो सरल कहां
मटक-मटक कर चलती हो
तुम हो बलशाली निर्बल कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम धैर्य साधकर खड़ी रहती हो
तुम हो उक्ताने वाली गरल कहां
मासूम सी चेहरे भले दिखती है तेरी
लेकिन तुम हो मासूम कहां
जितना तुमको,,,,,

टेढ़ी उंगली से घी निकाल लेती हो
तुम हो कठोर दयालु कहां
हर जगह डट कर खड़ी हो जाती हो
तुम हो सफल खिलाड़ी विफल कहां
जितना तुमको,,,,,

तेरी तारीफ करूं मैं कितनी
तुम हो तारीफ के काबिल तुझ में दुर्व्यवहार कहां
तुम प्यारी मासूम कली राज दुलारी
तेरे जैसा इस धारा में और प्यारा कौन यहां
जितना तुमको,,,,,

तुम जन्नत सी दीवानगी हो
तेरी सूरत जैसी सीरत दिखेगी और कहां
मैं पागल हूं सच में तेरे लिए
तुम्हें ऐसा पागल और मिलेगा कहां
जितना तुमको,,,,,

तेरी चेहरा मेरी नज़रों से उतरती नहीं
तेरी ख्वाब और कहीं खिलेगा कहां
मेरी बाग मेरी बगीचे में आ जा तू
तुम्हें मेरे जैसा प्यार करने वाला और मिलेगा कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम आंखें आंखों से जीत ली हमें
हमारे जैसा दीवाना तुम्हें मिलेगा कहां
तेरी चलचित्र चल रही है मेरी आंखों में
मेरी आंखों को तुम बंद करोगी जानेमन कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम्हें फुर्सत से यह निहारते है
तुम्हें ऐसा प्यारा मोहब्बत करने वाला मिलेगा कहां
तेरी अनु उपस्थिति में जलते हैं इनके दिल
ऐसा दिलदार दिवाना तुम्हें सारे जहां में मिलेगा कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम ऐसी करती क्या हो

ओ दिल जानी दिल चुराने वाली
दिल चुरा कर रहती कहां हो
न काल न मैसेज न अता पता
तुम ऐसी करती क्या हो

जो तेरे पास समय नहीं होता
तुम अपने आप को समझती क्या हो
मेरी नींद मेरी चैन उड़ा कर जानी
तुम गहरी नजरों से देखती क्या हो

चाहत कि प्यास बढ़ा कर
आंखें आंखों से बचाती क्या हो
सरारत भरी निगाहों से निगाहें फेर
फूल कि पंखुड़ियां दिल जलाती क्या हो

उन्मुक्त गगन में फिरने वाले को
तुम कैदी,कैद करती क्या हो
आंहे भर न सके आंसु छलका न पाए
ऐ बेदर्दी दर्द देकर मस्ती में रहती क्या हो

मुख मंडल पर मौन ध्वजा धारन कर
दिल पर ध्वजा फहराती क्या हो
तुम क्या जादू जानती हो मुझे नहीं खबर
फुलझड़ी,दिल में प्यार कि गुल खिला कर दिल जलाती क्या हो

क्यों तुम मेरी

क्यों तुम मेरी
जीना हराम करती हो
ए बेदर्दी
दर्द देकर तुम आराम करती हो
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

नहीं चाहती हो कभी तुम पास आना
लेकिन तुम मुस्कान भर्ती और जान लेती हो
नींद चैन को उड़ा कर मेरी
तुम आराम से सोती हो
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

खोई हुई तन्हाइयों में मेरी
तुम नासूर जान करती हो
जाने जां जाने मन
तुम क्यों मेरे साथ ऐसा काम करती हो
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

कभी नहीं होता तुम्हें खुदा के वास्ते
दो शब्द पुण्य कर्मों के लिए दान करती हो
ओ मेरी जान
जान लेकर मेरे तुम कितने अच्छे से आराम करती हों
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

एक चाहत बड़ी तमन्ना की
प्यासे मन को क्यों नहीं तुम प्यार दान करती हो
एक बार आओ मुझसे मिलों और लाड़ो
इच्छा है मेरी क्यों नहीं तुम ऐसी काम करती हो
क्यों तुम मेरी,,,,,,,,,

क्या कहूं तेरी बातें

क्या कहूं तेरी बातें
तुम कितनी प्यारी लगती हो
खासकर तब जब
तुम मुंडी हिलती शर्माती जाती हो

तो ऐसा लगता जैसा
दिल में गुब्बार जगाती हो
यार क्या कहूं तुम्हें
ऐसी कर तुम दिल को जीती हारी जाती हो

बड़ी प्यारी बड़ी सरल राजकुमारी
तुम न्यारी लगती हो
जब मीठी-मीठी बोलती हो न
तो तोता सा दुलारी लगती हो

तुम्हें मन करता उठा कर लाऊं
लेकिन तुम आत्मसम्मान कि पुजारी लगती हो
सीने को चिर कर दिल में जगह बना लिया
तुम सचमुच राजकुमारी लगती हो

मैं कहीं रहूं तेरी यादों के साथ रहता हूं
तुम मुझे जिगर के टुकड़े हारि लगती हो
हिम्मतवाली शहंशाह तो लगती ही हो
साथ-साथ तुम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई लगती हो

कभी मन करता तुम्हें अपने पलक पर बैठा कर घुमाऊं
लेकिन तुम तो अदब की हारी लगती हो
साथ आओ तुम्हें कई बात बताना है
तुम मेरे जीवन की साथी बड़ी प्यारी लगती हो

क्या कहूं तेरी बातें,,,,,

फूल चमन में खिले हैं

फूल चमन में खिले हैं
बहार मौसम में आया है
हे प्रिय श्री
तेरी जैसी राग आज कोयल ने सुनाया है

पूरब में सूर्य लाली उगी
ऐसे जैसे तुमने मुस्कूराया है
नव पथिक बहार आया
जैसे तुमने मिलने आया है

घटा बादल रिमझिम रिमझिम बरशि
जैसे तुमने पायल छंकाया है
चांद निकलकर मुकुट पर छाया
जैसे तुमने मुखड़ा दिखाया है

तेरी इस रंग को देखकर
आंखें मेरी लजाया है
तेरी रूप हर उन चीजों में दिखा
जिसे मैंने हाथ लगाया है

तुम कब आओगी कहों न
अंधेरा तमस बढ़ाया है
तेरे बिछड़े लग रही सदी हो गई
ऐसा पुरवाई ने आभास कराया है

देखों जमाने की तरफ
सब लौट कर आया हैं
एक तुम्ही नहीं आई हो अब तक
बाकी सब अपना अपना स्थान पर पुनः आया है

राह नयन इंतजार में तड़प रही
दिल ने बहुत कष्ट उठाया है
मन हर पल हर छन पनघट पनवारी से पूछ रही
आखिर तुम क्यों नहीं समय के साथ लौट आया है

नीरस जिंदगी अब

नीरस जिंदगी अब मुझे
बेगाना नहीं लगता
जब से गई हो तुम लौट कर
तबसे यह सफर सुहाना नहीं लगता

मन करता है भागे- भागे चले आऊं तेरे पास
यहां अब अपना ठिकाना नहीं लगता
दिल करता है तुम्हें कर दूं समर्पित जीवन
यह जीवन अब अपना नहीं लगता

हो गया है बेगाना शरीर तुम्हारी
इसमें बचा अब कोई खजाना नहीं लगता
सुन रही है यह हर बात तुम्हारी
यह अब अपना, अपना नहीं लगता

हे प्रिय श्री सुन मेरी
यहां अब मुझे कोई जाना पहचाना नहीं लगता
तुम ही सच्ची साथी हो मेर
तेरे बिना यहां अब कोई अपना,अपना नहीं लगता

भागता फिरता है मन इधर-उधर
वह मंजिल वह घर ठिकाना नहीं लगता
सब लगता है पराया हो गया है
कोई यहां परवाना नहीं लगता

बड़ी कष्ट होता है इन सभी प्रक्रमों को देखकर
तेरे बिन जीना, जीवन नहीं लगता
मन व्याकुल रहता है हमेशा तेरे बिन उदास भी
यहां अब रंगो से भरा जीवन खजाना नहीं लगता

तेरी हर बातें मीठी लगती है
कोई बातें तेरी करवाहट या चुभने वाला नहीं लगता
तुम आ भी जाओ ना कितनी तड़पाओगी
मुझे यहां अब अकेला जीवन रस जीना नहीं लगता

मुस्कुराकर कर देती थी तुम मेरी हर दर्द को खत्म
तेरे जैसा कोई पेन किलर दवा नहीं लगता
तुम हर मर्ज की वैज्ञानिक विधि इलाज हो
तेरी जैसी संजीवनी इस जग में कहीं नहीं लगता

नीरस जिंदगी अब,,,

तुम चलों मैं देखूं

तुम चलों मैं देखूं
वाह! तेरी चाल क्या है
कहने की हर बातों का
वाह! तेरी ख्याल क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

सर्म से आंखें झुक जाती
वाह! शर्मीली तेरी अंदाज क्या है
तुम्हारी खूबसूरत मुस्कुराती चेहरा
वाह! दिखती लाजवाब क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

किस्मत से मिली हो तुम
वाह! तुम्हारी अदाएं खास क्या है
डूब कर जीता हूं तुझ में
वाह! निराली तेरी बात क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

जी करता है तुम्हें देखूं और देखता रहूं
वाह! तुम्हारी बनावट ,प्रभु कि अंदाज क्या है
सर से पानी उतरता नहीं
वाह! तुम्हारी प्यार का एहसास क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

जितना दूर होता हूं उतना ही डूबता हूं तुझ में
वाह! तुम्हारी मयकस नशा खास क्या है
तुम पास नहीं होती हो मेरी लेकिन
वाह! तुम्हारी पास कि अनुभूति का एहसास क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

दिल लगता नहीं कहीं
वाह! तुम होती बिंदास क्या है
मैं थक चुका हूं तेरी राहें चल चल कर
वाह! फिर भी तेरी पीछे चलने कि बात क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

सब कुछ पास है मेरे देख लेकिन
वाह! तुम नहीं तो मेरी औकात क्या है
दिन हिन गरीब दुखिया हूं तेरे बिन
वाह! तेरे प्यार का इस दिल पर आघात क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

दुनियादारी को भूल जाता
वाह! तुझ में डूबी ख्यालात क्या है
तेरी प्रशंसा जितना भी करूं कम है
वाह! तुम्हारी गुणधर्म को बताने की मेरी औकात क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

तुम कभी दिखती मुझे खूबसूरत सी दुनिया
वाह! कभी दिखती दिल की आवाज क्या है
तुझ में मकबूल यह पागल प्रेमी तेरी
वाह! पागल प्रेमी का होने वाला इससे ज्यादा और बुरा हाल क्या है
तुम चलों मैं देखूं,,,,

दूर मैं नहीं तेरे

दूर मैं नहीं तेरे पास हूं
दिल के कितने करीब वह खाश हूं
जरा देख तुम ध्यान से
तेरी सुरमई आंखों के काजल, वह बिंदी के साथ हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

तेरे ख्वाब तेरे सपनों को बुनने में हर संभव तेरे हाथ हूं
तुम चुम मुझे
मैं जीवन का एहसास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

जागता हुआ सुर्य कि किरण सा
दिनकर का प्रकाश हूं
मैं हूं नहीं वास्तविक तेरे साथ
लेकिन छद्म रूप लिए तेरी राज हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

अंजान हो के भी
गहरे रंगों का साज हूं
रंग दे दो दिल कि दास्तां को
वह विस्वास कि प्यास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

छू कर रूक जाती है जज्बातों को
सारे जहां के सम्मान ताज हूं
मैंने देखा तेरी आंखों में मेरी तस्वीर
तभी तो बना तेरी अधर का प्यास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

तुम्हें जानता हूं अब मैं करीब से
परछाई बने बिंदास हूं
रूक गई है कदम मेरी भाग दौड़ से
अडीग अटल तेरी आश हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

सोलों कि चिंगारी पर जला
तब आज प्रकाश हूं
हीरे सा चमक ऐसे नहीं आया
तरासा गया मैं खास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

खड़ा हूं बिंदास विश्वास के साथ
क्यों कि अनुभव का विशाल वृक्ष भारद्वाज हूं
मैं सत्य के राहों पर चलने वाला
आस्था और विश्वास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

वर्तमान से लड़ने वाले
कल का बड़ा प्रयास हूं
छाए रहूंगा दिल पर तेरी
मांझी सा प्यार का वह प्यास हूं
दूर मैं नहीं तेरे,,,,,,,

सब उधारी का है

वह सूर, वह लय, वह ताल
सब उधारी का है
मेरा क्या हैं कुछ नहीं
सब लिखावट उस फूलवाड़ी का है

मैं तो बस प्रतिमुर्ति हूं
सब उसकी देनदारी है
मेरा क्या हैं कुछ नहीं
सब लिखावट उस भोली भाली का है

हस्ती कहां हमें
मैं तो एक जुआरी हूं
मेरा क्या हैं कुछ नहीं
यह सब उस क्यारी कि है

रंग रूप खुबसूरती
देखा न ऐसा सुमारी हूं
मैं क्या लिखूं मेरी क्या औकात
सब उस देवी कि किरदार लिखता सारी हूं

अभी मेरी तभी तेरी
सब जग देखा सुमारी हूं
हां मैं मानता हूं कि
उसकी हमेशा से आभारी हूं

फूल बाग घटा
सब पर पड़ती वह भारी है
क्या कहूं मैं
वह गजब कि राज कुंवारी है

जिसके दम पर
लिखता सिंगार रस सारी हूं
मेरी क्या औकात
कलम वंदना करती उसकी जारी है

जब से तुमने

जब से तुमने नंबर दी
तब से मैंने तुम्हें सैकड़ो लिखा
लेकिन तुमने एक पर भी नहीं
अच्छा बुरा या गिला शिकवा कहां
जब से तुमने,,,,,,,,

पढ़ती रही हर लाइन को
मोहतरमा तुम्हें कैसा लगा
हमें कुछ भी खबर नहीं लेकिन
फिर भी मैं तुम्हें दिल खोल कर भेजता रहा
जब से तुमने,,,,,,,,

खूबसूरत रंग खूबसूरत सौंदर्य
तेरा प्रदर्शन हर पंक्ति में करता रहा
तुम गुरुर कि मारी पढ़ती रही लेकिन
एक पर भी नहीं कमेंट की केवल पढ़ता रहा
जब से तुमने,,,,,,,,

तेरी मुरझाए हुए चेहरे को भी मैंने
खिलता गुलाब वह लाजवाब लिखा रहा
लेकिन तुम इस मेहनत को भी नहीं समझी
पता नहीं क्या तुम करता रहा
जब से तुमने,,,,,,,,

दर्द होती रही बेचैन दिल रोता रहा
तुमने समझी नहीं मगन अपने आप में रहता रहा
खामोशी की भाषा क्या होती है नहीं पढ़ सका
और तड़प तड़प कर मैं जीता रहा
जब से तुमने,,,,,,,,

तुम्हें खूबसूरत चांद लिखा

तुम्हें खूबसूरत चांद लिखा
तुम्हें अपने दिल का नाम लिखा
और तुम गुरुर करती रही
और मैं खुद को आशिक बदनाम लिखा

जमाने भर मुझे टोकते रहे
और मैं तुझे अपना धाम लिखा
कर्म धर्म और धरा को भूला
और तुम्हें अपना पावन गंगा धाम लिखा

छाती रही तुम मेरी मुस्कुराहटों पर
ऐसा तुझको तेरा नाम लिखा
मैं भले ही नहीं हूं श्याम लेकिन
मैं तुझको अपना राधा नाम लिखा

लिखते रहा मोहब्बत की किताबें
हर पन्ने पर तेरा नाम लिखा
तु छाई रक्त की हर बूंद में
तो तुझे मैं जीवन का संग्राम लिखा

तुम चाहत तुम आहत
तुम्हें स्मरण का नाम लिखा
लिखते रहा तुम्हें सदा
अपने पावन घर का सुंदर सुशील मुस्कान लिखा

तुम्हें खूबसूरत चांद लिखा,,,,,,,

हाथ पर हाथ धरे

हाथ पर हाथ धरे रहने से
न आएगा कुछ भी पास
मेहनत करने वालों के
घर होगा खुशियों का सौगात

रहेगा हंसी खुशी वह
जीवन होगा उनका बिंदास
वह व्यक्ति कभी नहीं
झुकाएगा सर किसी के पास

माथे पर होगा उनका तिलक
होगा परिवार उनका उनके साथ
हिल मिल चलेगा वह
उन्हें मिलेगा सद्भाव प्यार

बैठे रहने वालों को
उलझन में रहेगा सदा हाथ
नहीं दिखेगा उन्हें रास्ता
उठाया न जो कदम समय के साथ

खोए रहने से कुछ नहीं होगा
संभालना होगा होस हवास
सोच समझकर करते रहो
कुछ न कुछ कार्य

नहीं तो नीचे गिरे रह जाओगे
देगा नहीं तुमको कोई साथ
कम बढ़ाओ कदम बढ़ाओ कदम बढ़ाओ
समय कर रहा है तेरा आगाज

हाथ पर हाथ धरे,,,,,

हें प्रिय श्री

क्यों तुम अपनी अभाव जगाती हो
आती हो सामने तो आकर बैठो
क्यों भाव खाती चली जाती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

जान-बूझकर तुम
इतना क्यों इतराती हो
क्या मन में है तेरी
क्यों नहीं खुल कर बताती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

हर्षाती हो लजाती हो
छुप छुप के नज़ारे मिलती हो
फिर क्यों नहीं तुम बेवफा सनम बन जाती हो
दिल बहलाने के लिए क्यों नहीं मेरे पास चली आती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

कुछ कहने का मन करता है तुमसे
क्यों नहीं तुम कहने सुनने सुनाने देती हो
छुपाती हो तुम अपनी दिल की बात
क्यों नहीं बताना चाहती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

राग द्वेष भला बुरा भुल कर
क्यों नहीं मन हल्का करने मुझे फोन लगाती हो
जीवन की सीढ़ी पर चढ़ने के लिए
कद आसमान से क्यों नहीं ऊंची उड़ाती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

जाना है हर किसी को उसी मंजिल पर
तो तुम क्यों आना कानी करती हो
अपने जहन कि बातों को
हमसे छुपा कर क्यों रखना चाहती हो
हें प्रिय श्री,,,,,,,,,,,

धुल जाएंगे सारे मैल
पावन पवित्र सोच क्यों नहीं बनाती हो
चलो छोड़ो सब कुछ यह बताओ
तुम मुझसे मिलने क्यों नहीं चली आती हो

पी रही हो हर गम खुशी उदासी को
लेकिन कुछ दिखाती क्यों नहीं हो
बड़ी भोली हो देखने में लेकिन
मुस्कुराती हो तो जान ढ़ा देती हो

तुम रोशनी

तुम्हीं रोशनी तुम्हीं दिवाकर तुम्हीं चांद हो
तुम मेरे लिए सारा जहान हो
मुझे और क्या चाहिए
तुम्हीं छत और तुम्हीं आसमान हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तुम्हीं धड़कने वाली धड़कन
तुम्हीं आत्मबल सम्मान हो
तुम मेरे लिए हर कुछ
तुम मेरे लिए प्राण हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तुम हमारी धरा कि
बर्गत वृक्ष समान हो
तुम तपती धरती का
बरसाने वाली बादल मीठी जल समान हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तुम बसने वाली कंठ कि
सुर ताल गान हो
तुम मेरी नश्वर शरीर का
ऑक्सीजन समान हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तुम छाई रहती दिल पर
जैसे अमृत जल समान हो
तुम मेरे मुरझाए हुए चेहरे की
एक खूबसूरत मुश्कान हो
तुम रोशनी,,,,,,,,,

तेरी हंसी में

तेरी हंसी में मेरी हंसी
तेरी खुशी में मेरी खुशी
तेरी बंदगी में मेरी बंदगी है
तू चाहे जो भी कह तुम मेरी जिंदगी है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

तुमसे बिछड़ जीना
उससे अच्छा मौत भली है
तुम चाहत तुम मुहब्बत
तुम मेरी दिल कसी है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

तुम्हें देखे बिना चैन न आता
तुम मेरी बेबसी है
तुम्हें देखूं आहें भर कर
तुम मेरी जिंदगी है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

तुम पहली तुम आखरी
तुम मेरी फुलझड़ी है
तुम मेरे दिल कि धड़कन
में बसन वाली पहली मुहब्बत कि कली है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

मुझे कुछ और नहीं आता
तुम्हारी अदाओं पर यह बयान हुईं जारी है
तुम कहो कुछ भी
तेरी मुस्कान मेरा हौस गवा रखीं है
तेरी हंसी में,,,,,,,,

मैं जानता हूं

मैं जानता हूं यहां नहीं कुछ भी मेरा
फिर भी अधिकार जमाए बैठा हूं
इतनी खूबसूरत दुनिया में
मैं झूठा संसार बनाए बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

ख्वाब ख्वाहिश तमन्ना की
लिस्ट हजार बनाए बैठा हूं
जो नहीं है हमारे पास
उसका भी आस लगाए बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

ठहरा है कहीं पंख हमारा
आंसुओं का द्वार लिए बैठा हूं
एक ही चेहरा एक ही परछाई से
मैं प्यार जताए बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

खो दिया हूं मैं खुद को
उसकी दरबान में अपनी संसार बनाए बैठा हूं
रूप की रानी कि देवी का
सेहरे ए ख्वाब सजाए बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

एक नहीं हजार बार लिखा
उन्हें अपना दिलदार बनाए बैठा हूं
अपनी खूबसूरत दुनिया कि
उन्हें कुतुब मीनार बनाएं बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

चाहता हूं उन्हें खुद से ज्यादा
ऐसा उनसे प्यार कर बैठा हूं
क्या कहूं दिल हार गया
जब से देखा उन्हें तबसे उनसे दिल दार कर बैठा हूं
मैं जानता हूं,,,,,,,,,,

तुम्हें जितना देखूं

यार तुम्हें जितना देखूं
मन नहीं भरता है
फिर से देखने को तुम्हें
दिल आतुर हो उठता है

तेरी सुरमई आंखों की
बातें हजार करने लगता है
मस्त बहार दुनिया में तेरी
खुद को खोने लगता है

तुम्हें देखे बिना नहीं
जिया जीना चाहता है
जिधर ठहरी हो तुम
उधर पांव चलने लगता है

क्या कहूं अंग कि
तेरी बातों में खोए रहता है
जरा सी ठोकर दूं तो
मुझसे विद्रोह पर उतर आता है

चाहता है तुम्हें इतना
कि तुझमें डुबा रहता है
तेरी बातें करते-करते
जरा नहीं थकता सकता है

इसके सामने मेरा नहीं
जरा सा बस चलता है
क्या कहूं जाने जा
तुझ में मेरा समय खोए रहता है

मोबाइल के कीपैड पर उंगली भागता
तेरी फोटो निकाल कर रूकता है
बिन तुम्हें देखें
आंख चैन से न रुक पाता है

जिज्ञासा उभर कर आता
फिर कहता है
क्या वह मेरी होगी
पूछ कर रुक जाता है

प्रिय श्री क्या कहूं
तुम्हें देखने का इच्छा बार बार करता है
मन मस्त मगन
तेरी यादों में खोया रहता है

मन की वाणी
को कैसे समझाऊं
तेरी अनुपस्थिति में बड़ा तड़प कर जीता है
व्याकुल वियोग में संदीप
प्रिय श्री तुम्ही कहों कैसे जीता है

मित्र सखा साथी

मित्र,सखा,साथी, बंधु
धन नहीं, हिम्मत की दो बात कीजिएगा
पांव खींचने कि जगह
हो सके तो हाथ दीजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

ऊंची मंजिल,ऊंची उड़ान भर लुंगा
सिर्फ पीठ पर आप हाथ दीजिएगा
सहयोग नहीं हो सकें तो कोई बात नहीं
सिर्फ और सिर्फ आप दात दिजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

रफ्ता रफ्ता छा जाएंगे हर सितम में
हौसले की बात कीजिएगा
अटर-पटर बोलने से कहीं अच्छा
वाणी पर पूर्णविराम दीखीएगा
मित्र सखा साथी,,,,

रोकिये,रोकिये खुद को
स्वाभिमान पर न किसी का घात कीजिएगा
समतुल्य हर कुछ अच्छा होता है
लहजे में रह कर बात कीजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

कुशल,कुशाग्र, सक्षम है
गिर जाऊं, ऐसा न विचार कीजिएगा
चोट लगती है औजारों से कहीं ज्यादा
इसीलिए सोच समझ कर बात कीजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

चलते, चलते ,चलते रहेंगे
चाहे आप कुछ भी हमारे साथ कीजिएगा
जिज्ञासा की ऊंची उड़ान है
हिम्मत है तो मर्दों वाली बात कीजिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

रोकिएगा देखिएगा रुकते हैं
टकराने से पहले अंदाज कीजिएगा
मेरी निव पत्थर की है या रेत कि
यह देखने से पहले खुद को झांक कर देखिएगा
मित्र सखा साथी,,,,

तुम्हें देखूं

तुम्हें देखूं हसतें तो
हमें भी हंसी लगती है
स्वीटहर्ट दिल को सुकुन मिलता
आत्मा को खुशी मिलती है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

जाने जॉ जाने मन
कुछ नसीब वालों को नसीब मिलता है
मेरे सौभाग्य में जो है जैसा भी है
उसी से मुझे बड़ी खुशी मिलता है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

मन मंदीर पावन तन
तेरी बंदगी से मुझे बंदगी मिलता है
मुस्कुराते ओंठ देखूं तेरी तो
मुझे बड़ी जिंदगी लगता है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

ये ऐहसास करता है हर कोई
लेकिन बोलने में हर किसी को सर्मींदगी लगता है
स्वर्ग हो इस धरा कि तुम कहीं
इसलिए मुझे बोलने में डर नहीं तुम्हें जिंदगी लगता है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

बस गई हो मन मंदीर में तुम जब से
तब से मेरे तन पावन दिल कसी लगता है
अगर तुम पास हो मेरी तो
हमें मिला हर सुख, समृद्धि लगता है

पुनीत कर्म अर्पीत सौभाग्य
हमें बड़ी नसीब लगता है
जिंदगी जी रहा है हर कोई लेकिन देखों,

किसी को न मेरी जिंदगी तरह जिंदगी लगता है
तुम्हें देखूं हसतें,,,,,,

तेरी हंसियों

तेरी हंसियों की बंदगी का
हर एक आलम लिखता हूं
तु चाह या ना चाह,
तेरी चाहत कि हर कसीदे मैं बालम लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

सजाता हूं तुम्हें आंखों में
तुम्हें सुरमई आंखों का काजल लिखता हूं
तुम प्यारी ही इतनी हो क्या कहूं
तुम्हें धीमी-धीमी बरसने वाला सावन का बादल लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

हर वक्त यादों में बसने वाली
उस लड़,,,,,,, को दिलों का धड़कन कहता हूं
चैन से स्वास ले सकूं वह एक बार बात कर ले
ऐसी जान जानी जानम लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

उन्हें लिखता हूं खुलकर इसलिए
क्योंकि उसकी चोट लिए घायल सा जो घूमता हूं
उन्हें लिख सकुं प्यार में कुछ और क्या लिखूं
मैं खुद को पागल लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

जाते-आते देख उन्हें
तो उस पल को सुकून का आलम लिखता हूं
वह प्यार है मेरी इसीलिए
चाहत का पहला पन्ना तेरी नाम ,,,,,,,,, लिखता हूं
तेरी हंसियों,,,,,,,,

सधर्ष व्याप्त है

जीवन कैसे जिया जाय
सुर्य निकला भी नहीं है कि
काम पर निकला जाय

उल्टा पुल्टा निर्देश से
कहते हैं काम किया जाय
पुरा हुआ एक नहीं कि
आर्डर है कि दुसरा किया जाय

दम घुट कर
अब कैसे जिया जाय
बिना खोपड़ी के निर्देश का
पालन किया जाय

ऐ मुसाफिर रास्ते कठिन हैं
मंजिल तक कैसे पहुंचा जाय
बदले के द्वेष में जल रहें हैं सभी
सुरक्षित कैसे रहा जाय

मेरे मालिक मेरे रब ऐसे में किससे आस किया जाय
हाथ खड़ा किया हुआ है जानने वाला
किससे उम्मीद लगाया जाय

पथ बड़ा भारी है कैस निर्वाहन किया जाय
फूट फूट कर वेदना बोल रही है
ऐसे समय से कैसे निपटा जाय

विपदा खडा है द्वार
इससे कैसे लड़ा जाय
किसी के पास है कोई हल
तो मित्र तत्काल दिया जाय

आसान नहीं रहा कोई सफर
किस बस में बैठ जाए
दिखावा हो गया है हर कुछ
तो क्या इस में सब झोंक दिया जाय

सधर्ष व्याप्त है,,,,,,

आज और कल में

 

यह पल निकल जाएगा
जिंदगी है जी लो
न जाने कब चाल बदल लेगा

अभी यहां है कल कहां होंगे किसे खबर
न जाने यह समय किधर चल देगा
हाथों पर हाथ रखकर जतन करते रहे
और यह पल अपना रंग बदल लेगा

आज से सुंदर कल
कल से सुंदर और कल होगा
लगे रहो स्वप्न के पीछे
तो निश्चित ही तेरे हाथ में स्वप्न का वह फल होगा

रोशन तेरे किरदार से
संदीप निर्मल जल होगा
करते रहो लगन से मेहनत
निश्चित हि तेरे हाथों में तेरे स्वप्न का पल होगा

होगा चकित तुम्हें शांत धारा सा समझने वाले
अगर तेरे अंदर साहस का बल होगा
तो आज देखकर मत घबराओ
कल के स्वप्न के पीछे भागो निश्चित हि बेहतर कल होगा

आज और कल में,,,,

Sandeep Kumar

संदीप कुमार

अररिया बिहार

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