आदत
आदत

आदत

( Aadat )

 

मीठा मीठा बोल कर घट तुला तोलकर
वाणी  मधुरता  घोल  फिर मुख खोलिए

 

प्रतिभा छिपाना मत पर घर जाना मत
सत्कार मेहमानों का हो आदत डालिए

 

प्रातः काल वंदन हो शुभ अभिनंदन हो
सेवा  कर्म  जीवन  में  आदत  बनाइए

 

रूठे को मना लो आज करना है शुभ काज
मोती  प्रेम  के  लेकर  जग  में  लुटाईये

 

भोर भए जागकर नित्य सारे काज कर
हरि  सुमिरन  की  भी  आदत  बनाईये

 

पर उपकार करो मन में विचार करो
सच्चाई की डगर पर आप चले जाइए

 

आदत ऐसी बनाओ दिल ना कोई दुखाओ
सब  के  दुख  दर्द  में  काम आप आइए

?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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