Sangharsh ki Dagar

मैं संघर्षों की डगर पे रहता हूं | Sangharsh ki Dagar

मैं संघर्षों की डगर पे रहता हूं

( Main sangharsh ki dagar pe rahta hoon )

 

मैं संघर्षों की डगर पे रहता हूं।
जाने कितने तूफान सहता हूं।

हौसला ही रहा हथियार मेरा।
बन भावों की धार बहता हूं।

बाधाएं सुखसागर हो जाती।
मुश्किलें वापस चली जाती।

विश्वास है शिव भोलेनाथ पे।
आस्था अधर मुस्कान लाती।

जिंदगी के जो तजुर्बे पाए हैं।
मोती अनुभव के सजाए हैं।

कला कौशल हुनर सीखा है।
मंच किरदार हमने निभाए हैं।

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

परवाज उड़ान कल्पनाओं की | Parwaz

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *