
संतोष
( Santosh )
वक्त और हालात हमें
सिखा रहे कई बात
संतोष सुख का सागर
आनंद मिले दिन रात
दमके सुंदर चेहरा
होंठों की मुस्कानों से
खुशियां मिलती हृदय को
विरद बड़ाई कानो से
समदर्शी समभाव भरा
सहनशीलता भरपूर
धीरज धर्म संतोष हो
घर खुशियां बरसे हजूर
जीवन में आनंद का
आप चाहते भंडार
मीठा बोलो प्रेम से
हृदय में संतोष धार
संकट में संतोष ही
हौसला देता अपार
हर हाल में रखता खुश
मिलता जन जन का प्यार
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )