सपनों की तलाश | Sapno ki Talash
सपनों की तलाश
( Sapno Ki Talash )
हर गली, हर मोड़ पर तेरा नाम पुकारा,
तेरे बिना ये जीवन, है अधूरा, है बेसहारा।
सपनों की तलाश में हर दिन भटक जाता,
तेरे बिना मेरा हर सपना टूटकर रह जाता।
तेरी बातों की मिठास, हर लम्हा महकाए,
तेरी यादों की गहराई, मेरे दिल को सहलाए।
तेरी राहों की ओर हररोज़ मैं कदम बढ़ाता,
तेरे बिना मेरा हर सपना टूटकर रह जाता।
क्या तेरा भी दिल मेरी धड़कन सुनता है,
क्या तेरा मन भी मेरे सपनों में बुनता है?
तेरे आने का ख्वाब मुझे हरपल है आता,
तेरे बिना मेरा हर सपना टूटकर रह जाता।
ओ दिकु, तेरे आने की राह देख रहा हूँ,
तेरे संग हर खुशी को फिर से देख रहा हूँ।
तेरे बिना ये मन हर पल बिखर जाता,
तेरे बिना मेरा हर सपना टूटकर रह जाता।
अब इस तलाश को मुकम्मल बनाना है,
तेरे साथ इस जीवन को सजाना है।
तेरे प्यार का दीप हर रात हूं जलाता,
तेरे बिना मेरा हर सपना टूटकर रह जाता।

कवि : प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सुरत, गुजरात
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