पहला प्यार
पहला प्यार

पहला प्यार

(Pahla Pyar )

 

हृदय को तोड बताओ ना, कैसे तुम हँस लेते हो,
बिना सोचे समझे कुछ भी तुम, मुझसे कह देते हो।

 

प्यार करते है तुमसे पर, मेरे भी कुछ अरमां है,
जिसे कदमों से मसल कर,जब जी चाहे चल देते हो।

 

क्या मेरे दिल की बातें, तेरे दिल तक ना जाती है,
या कि दिल तक जाती पर,बिना कहे वापस आती है।

 

क्यों मेरे दिल की धडकन,बढ जाती है देख के तुमको,
क्यो सारी रात मेरी, आँखो आँखों मे कट जाती है।

 

क्यों तेरा इन्तजार मुझको,रहता है हर पल हर क्षण,
क्यों मुझे बेचैनी रहती है, जब ना देखूँ तुमको।

 

प्यार हो प्रथम मेरे, शायद तुमको एहसास नही है,
कैसे कह दूँ तुममे मुझसा, कुछ भी जज्बात नही है।

 

दिल फरेबी बातें करता है,प्यार संगदिल है मेरा,
हूंक हुंकार ना समझे, दोस्त नही तू प्यार है मेरा।

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

??शेर सिंह हुंकार जी की आवाज़ में ये कविता सुनने के लिए ऊपर के लिंक को क्लिक करे

यह भी पढ़ें : 

Hindi Poetry On Life | Hindi Ghazal -सजा

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here