सेल्फी

( Selfie ) 

सेल्फी बनी आज, जीवन का अभिन्न अंग

आत्ममुग्धता का पर्याय,
खुशियों का महासागर ।
परम प्रथम श्री काज ,
सर्वत्र असीम आदर ।
आत्म प्रेम अभिव्यंजना ,
भर जीवन आनंद रंग ।
सेल्फी बनी आज, जीवन का अभिन्न अंग ।।

आधुनिक युग यह जतन,
सम जप तप साधना ।
भगवान पूर्व हर जगह,
दर्शित स्तुति आराधना ।
बच्चे वरिष्ठ नौजवानों का,
बदला इसने जीवन ढंग ।
सेल्फी बनी आज, जीवन का अभिन्न अंग ।।

मनमोहक मनुज श्रृंगार,
सौंदर्य नव परिभाषा ।
पद सदा अग्र सर्वश्रेष्ठ,
अंतर्मन पलित अभिलाषा ।
सर्व कार्यक्रम मापदंड ,
नित बनती इति श्री कंग ।
सेल्फी बनी आज,जीवन का अभिन्न अंग ।।

पर परवाह नहीं यहां,
आत्मसम्मान अहम सवाल ।
इसके हेतु प्रायः मचता,
आजकल बड़ा बवाल ।
शोभित सार्थक यह कृत्य,
अपनत्व प्रसून खिलते अंतरंग ।
सेल्फी बनी आज,जीवन का अभिन्न अंग

 

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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