गमज़दा दिल | Ghamzada Shayari
गमज़दा दिल
( Ghamzada dil )
फूल शबनम छोड़ कर कुछ और ही मौज़ू रहे
अब सुखन में भी ज़रा मिट्टी की कुछ खुशबू रहे।
हो चुकी बातें बहुत महबूब की बाबत यहां
ज़िक़्र उनका भी करें जो मुल्क़ का बाज़ू रहे।
गमज़दा दिल कर सकूं आज़ाद ग़म की क़ैद से
काश मेरे पास भी ऐसा कोई जादू रहे।
दे सफाई मत किसी को अपने हर आमाल की
हां ख़ुदा के सामने बस पाक़ दामन तू रहे।
ठीक है की चांद तारे तेरी किस्मत में लिखे
पर पड़ोसी के भी आंगन एक तो जुगनू रहे।
तू लिखा कर बात हरदम दीन की ईमान की
फर्क क्या पड़ता जुबां हिंदी हो के उर्दू रहे।
वक्त है की अब कलम हथियार बन जाये नयन
रोशनाई की जगह हर दर्द हर आंसू रहे।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )