कविता श्रृंखला हमारे शहर में 

हमारे शहर में
बहुत सारे लोग
अल्पाहारी हैं साथ ही
शुद्ध शाकाहारी हैं.
वे लहसुन -प्याज नहीं खाते हैं
मगर रिश्वत खाने से
बाज़ नहीं आते हैं.
तल्ख़!
क्या तुमको पता है?
रिश्वत सरकारी है
रिश्वत सहकारी है
रिश्वत तरकारी है
रिश्वत खाने वाला ही एकमात्र
विशुद्ध शाकाहारी है…..

 

आर.पी सोनकर ‘तल्ख़ मेहनाजपुरी
13-ए, न्यू कॉलोनी, मुरादगंज,

जौनपुर-222001 ( उत्तर प्रदेश )

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