Shahadat par Kavita
Shahadat par Kavita

हे वीर तुम्हारी शहादत

( Hey veer tumhari shahadat ) 

 

हे वीर तुम्हारी शहादत को ना कोई भूल पायेगा,
जब तक सूरज-चांद रहेगा तू हमें याद आयेगा।
भारी कष्ट उठाया तू किन्तु कभी ना लड़खड़ाया,
स्वर्ण अक्षर में वो इतिहास अब लिखा जायेगा।।

तीन‌ रंग का ओढ़ तिरंगा तू अपनें घर को आया,
देश का हर एक नागरिक तुझको शीश नवाया।
इसके लिए ही जीना एवं इसी के लिए ही मरना,
प्राणों की परवाह नही करके आज़ादी दिलाया।।

भेदभाव से परे रहकर तिरंगे की शान बना है तू,
आत्मविश्वास की खान और देश का मान है तू।
शान्ति का दूत है तू और मानवता का रूप है तू,
संविधान का मान और हिन्दुस्तां की जान है तू।।

तुम सत्य के साथ सर्वदा रहते न किसी से डरते,
रुखा सूखा जो मिल जाए उसको प्रेम से खाते।
ना मनातें ईद-दिवाली केवल राष्ट्रीय-पर्व मनाते,
प्रण अपना निभाने खातिर जागते हो कई रातें।।

है गर्व आज हमें तुझ पर और तुम्हारी माता पर,
जिनकी बदोलत सुरक्षित है आज हम धरा पर।
इस लोकतन्त्र व गणतन्त्र का तू सच्चा रक्षक है,
सर्वदा याद आता रहेगा इन राष्ट्रीय उत्सवों पर।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

 

 

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