Shahar se e yaar lauta gaon mein

शहर से ए यार लौटा गांव में | Ghazal

शहर से ए यार लौटा गांव में

( Shahar se e yaar lauta gaon mein )

 

 

शहर से  ए यार लौटा गांव में

देखो अपने चैन मिलता गांव में

 

छोड़ दी गलियां नगर की इसलिए

रिश्ता नाता गहरा अपना गांव में

 

सोचता हूँ मैं मिलूँ उससे चलो

एक अपना दोस्त रहता गांव में

 

इसलिए ही दिल लगे है बाग़ में

है भरा फूलों से रस्ता गांव में

 

शोर शराबा भी ज़रा भी तो नहीं

शहर से अच्छा है रहना गांव में

 

देखली है शहर नफ़रत ख़ूब है

लोगों में ही प्यार होता गांव में

 

शहर में आज़म नहीं हो जो  जैसा

ढूंढ़ता हूँ ऐसा चेहरा गांव में

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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