आ रही है रोज यादें खूब है
( Aa rahi hai roj yaadein khoob hai )
आ रही है रोज़ यादें ख़ूब है !
रोज़ भीगी यार आँखें ख़ूब है
घर नहीं आया वो वादा करके भी
देखी उसकी रोज़ राहें ख़ूब है
भूलकर नाराज़गी दिल से सभी
फ़ोन पर उसनें की बातें ख़ूब है
वो निभाता एक भी वादा नहीं
कर रहा वो रोज वादें ख़ूब है
पास से गुज़रा है ऐसा हुस्न वो
यार मेरी महकी सांसें ख़ूब है
टप रही है ख़ूब छत बरसात में
बैठकर काटी है रातें ख़ूब है
हिज्र ऐसा प्यार में आज़म मिला
हाँ निकलती रोज आहें ख़ूब है