Sharad Purnima Kavita

शरद पूर्णिमा | Sharad Purnima Kavita

शरद पूर्णिमा

( Sharad purnima poems in Hindi )

( 5 )

नदियों बहती मीठी सुरभित धार,
चाँद की छवि में बसा है संसार।
शरद की पूर्णिमा का सिर्फ सार
छलके प्रेम का अद्भुत त्यौहार।

खुशियों की बौछार, मन में उमंग,
शरद की पूर्णिमा है मौसम की तरंग।
प्रकृति की गोद में सब कुछ है रंग।
शरद पूर्णिमा जीवन का एक अंग।

चाँदनी रात, सुनों कहानी पुरानी,
शरद पूर्णिमा आई, हरियाली छाई।
चाँद चमके जैसे सोने की थाली,
बिखरे रत्न झिलमिलाती उजियाली।

तारों की बारात जैसे चाँद की सहेली,
धरा पर बिखरे सपने मधुश्री के मेले।
कुमुदनी खिली हैं, जुगनू भी चमके,
प्रेम,उल्लास में इसकी रौनक चमके।

मिलकर मनाएं, इस पावन पर्व को,
शरद पूर्णिमा की रात प्रेम से भरपूर,
चांद की चाँदनी में, हम संग-संग रहें,
सुख-शांति और प्रेम से सब भरपूर ।

शरीफ़ ख़ान

( रावतभाटा कोटा राजस्थान )

( 4 )

शरद पूर्णिमा पावन पवित्र पर्व असोज अनोखा
सोलह कला का चांद उगा असोज अनोखा

शीत काल का शुरू कार्तिक कृष्ण पक्ष
अमावश को आयेगी दीपावली दीप कृष्ण पक्ष

चांद संग चांदनी की चमक दमक निराली
खीर बनाई खांड मिश्री मिला निरख निराली

बूंदें बरसी शीत की पड़ी चांद किरणें
अमृत महोत्सव मन भावन पड़ी चांद किरणें

सुहागन सज धज कर चली सोलह श्रृंगार
कटोरा भर खीर का कर सोलह श्रृंगार

चांद को प्यारी चांदनी चित्त नहीं चकोरी
पपिहा बोलें पिया-पिया चिंतारे चांद चकोरी

कोयल रह गई कंवारी मीठी वाणी मोर
उल्लू बेठा उस डाली उड़ गया मोर

पतिव्रत नार ने परोसी खीर पति को
चिरंजीवी की कर कामना खीर पति को

सुहागन करती लाख जतन पति हो चिरायु
करती व्रत करवा चौथ पूजा हो चिरायु

‘कागा’ पत्ति बेचारा कोल्हू का बेल बन
चलता अपनी चाल जोरू का ग़ुलाम बन

कवि साहित्यकार: डा. तरूण राय कागा

पूर्व विधायक

( 3 )

शरद पूर्णिमा की आई रात
भक्तो सब मिलकर साथ
चलो कान्हा को रिझाये
गवाह पूनम को बनाये ।
गोपियन संग में रास रचाते
खुद नाचे संग दूजो को नचाते
न उम्र न पूछे कोई जात
चलो कान्हा को रिझाये ।
गवाह पूनम को बनाये ।
हर गोपी संग दिखता कान्हा
सब पर जादू करता कान्हा
दे देता सभी को मात
चलो कान्हा को रिझाये ।
गवाह पूनम को बनायें ।
जो जिस रूप की चाहत रखता

कान्हा संग उस रूप में रहता
प्रेम की होती रहे बरसात
चलो कान्हा को रिझाये ।
गवाह पूनम को बनाये ।
मनमोहक नृत्य मनमोहक सूरत
सुंदरता ही मानो बन गई मूरत
आँखो से करें सभी बात
चलो कान्हा को रिझाये
गवाह पूनम को बनाये ।
चर और अचर सभी को लुभाता
गवाह पूनम का चांद बन जाता
देवगण भी हर्षात
चलो चले कान्हा को रिझाये
गवाह पूनम को बनाये ।

आशा झा
दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )

( 2 )

शरद की इस पूर्णिमा का अनुपम है नज़ारा,
चाँदनी ने बिखेरा है चांद का उजियारा।
चमकती है धरती जैसे चाँदी की चादर,
हर ओर है शीतलता, हर दिल में सुखद खुमार।

स्निग्ध चांदनी रात ने बंधी है सजीवता,
शरद की हवा में बसी है मधुरिमा की दिव्यता।
नीले आकाश में चाँद मुस्कुराता है यूँ,
जैसे धरती पर प्रेम का संदेश लाता हो।

चमकती हैं तारों की पंक्तियाँ दूर-दूर तक,
हर कोई निहार रहा है चाँद का वो अनमोल मुख।
शरद पूर्णिमा की रात है सजी अद्भुत रूप में,
जैसे प्रकृति खुद उतर आई हो चाँद की धूप में।

कहते हैं, इस रात की है अपनी खास बात,
चाँद की किरणें बरसाती हैं अमृत का स्वाद।
खीर का प्रसाद भी सजी धरी है चाँदनी में,
मधुर रात में बसी है भक्ति की संजीवनी।

मन में शांति, दिल में प्रेम का संचार,
शरद पूर्णिमा की रात है अद्वितीय त्योहार।
चाँद की उजली चादर में लिपटी ये रात,
धरती पर अमृत की बूँदों का आशीर्वाद।

इस रात की चमक सदा यूँ ही बसी रहे,
प्रेम और आनंद से हर दिल यूँ ही भरे।
शरद की इस पूर्णिमा में है प्रकृति का सौंदर्य,
चाँदनी रात में बसते हैं अनंत सुख के पल।

कवि, लेखक और गणित शिक्षक: मुकेश बिस्सा

जैसलमेर ( राजस्थान )

( 1 )

चंद्र रश्मियां बरसाती अमृत रस की धार
शरद पूर्णिमा है बड़ा पावन हिंदू त्योहार

धर्म-कर्म संग आस्था इष्ट पर विश्वास
पूर्ण चंद्र पूर्ण करें मनोकामना आस

धवल  चांदनी  में  रखी खीर सुधारस होय
कंचन सी काया बने संताप मिटे सब कोय

शरद पूर्णिमा को करे सत्यनारायण का ध्यान
ग्रह  नक्षत्र  अनुकूल  हो मिले जग में सम्मान

मात पिता गुरु की करे सेवा आदर सत्कार
पुण्य  मिले  पौरुष  बड़े  यश कीर्ति दरबार

शरद पूर्णिमा शीत का आगमन संदेश
बोल मधुर गीतों का बदल रहा परिवेश

शरद पूर्णिमा सद्भाव की घट करे उजास
दमक  उठे  ललाट  सब चेहरे पर विश्वास

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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