ज्ञान का दीप जलाते शिक्षक

( GYan ka deep jalate shikshak ) 

 

उनकी महिमा का वर्णन मैं कैसे करूं,
ज्ञान की रोशनी जिनसे मुझको मिली,
जब कभी लड़खड़ाएं है मेरे कदम,
सीख से उनकी हिम्मत है मुझको मिली ।

अपने ज्ञान की पावन गंगा से,
सबको शीतल कर देते शिक्षक।
जीवन की अंधेरी राहों में,
ज्ञान का दीप जलाते शिक्षक।

मुश्किल चाहें कितनी आए,
सही राह दिखलाते शिक्षक।
दुविधा के बादल छा जाएं,
तो सरल हवा बन जाते शिक्षक ।

मुझ जैसे अज्ञानी के मन में,
ज्ञान की अलख जगाई है।
यह समझ उन्हीं की दी है हुई,
जो मैने उनकी महिमा गाई है।

 

रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज ( लखनऊ )

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