
शिक्षक होता युग निर्माता
( Shikshak hota yug nirmata )
शिक्षक ही होता युग निर्माता,
आदर्शों का वह पाठ पढ़ाता।
वो मर्यादा, संस्कार सिखाता,
भविष्य की बुनियाद बनाता।।
अज्ञानता से सबको उबारता,
सद्गुणों का संदेश वह देता।
अंधेरे से उजाला वो दिखाता,
आध्यात्मिकता ज्ञान बताता।।
सभी बच्चों का ध्यान रखता,
बुद्धिमान व गुणवान बनाता।
मानवता की ज्योति जलाता,
मिलजुलकर रहना सिखाता।।
समस्या का समाधान बताता,
डाॅक्टर इंजीनियर ये बनाता।
कभी डांट एवं सजा भी देता,
लेकिन सफल इंसान बनाता।।
बिन शिक्षा अज्ञानी कहलाता,
बाधाएं पार वह कर ना पाता।
शिक्षाएं पाकर शिष्य महकता,
शिक्षक ही होता युग निर्माता।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )
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