Shri Ram par Kavita

मेरे प्रभु श्रीराम | Shri Ram par Kavita

मेरे प्रभु श्रीराम

( Mere prabhu shri Ram ) 

 

सभी याद करते है उस ईश्वर को उस वक्त,
चाहें वह हो नास्तिक हिल जाता है तख्त।
ख़ून की कमी में मिल ना रहा हो उसे रक्त,
दुःख पीड़ा चाहें कष्ट हो बनते है वो भक्त।।

धर्मात्मा तो हर समय करतें है इनको याद,
भूख के वक्त आतें है निर्धन को प्रभु याद।
विद्यार्थी परीक्षा परिणाम में करता है याद,
जिसके पैसे खो जातें तब करतें फरियाद।।

अमीर लोग बीमारी के वक्त भजते है राम,
व्यापारी नुकसान के वक्त जपता श्री राम।
कृषक बारिश के समय लेते राम का नाम,
राजनेता चुनाव के वक्त करतें है राम राम।।

चोर भी पुलिस के डंडे को करतें है प्रणाम,
लगतें है जब सोट मोर पर कहते भगवान।
भूलें भटके ही सही पर लेते है सब यें नाम,
कई को याद आ जाते जब करतें है स्नान।।

कभी न कभी तो आता है मुंह से यह नाम,
ट्रेन जहाज छूट रही है तब रटते घनश्याम।
रिश्वत कैशो में फंसने पर जपते माला राम,
बिगड़े काम बना दो ईश्वर मैरे प्रभु श्रीराम।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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