सियासत बहुत है
सियासत बहुत है

सियासत बहुत है

( Siyasat bahot hai )

 

मेरी तालीम मुझसे कहती सियासत बहुत है…
हंसती दुनिया को रुलाती सियासत बहुत हैl

 

कोई हमें बताए जरा हम महफूज कैसे रहे …..
भाई को भाई से लड़ाती सियासत बहुत है।

 

फूलों की खुशबू सा महकता जीवन अपना ….
हवाओं में  जहर घोलती  सियासत बहुत है।

 

आंगन अपना महकता है जिस मिट्टी से यहां…..
उसी मिट्टी से दीवार उठाती सियासत बहुत है।

 

पहले आंखें फोड़ फिर चश्मा दान करती है….
आईना आंखों से बोलती सियासत बहुत है।

 

 हमने रामायण पढ़ा, गीता पढ़ा, कुरान  पढ़ा
राम जी से जानकी कहती सियासत बहुत है।

 

?

Dheerendra

कवि – धीरेंद्र सिंह नागा

(ग्राम -जवई,  पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )

उत्तर प्रदेश : Pin-212218

यह भी पढ़ें :

देखो हवाओं में जहर घोला जा रहा | Paryavaran Par Kavita

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here