सोच में डूबा दिल है | Soch mein Dooba Dil hai
सोच में डूबा दिल है
( Soch mein dooba dil hai )
सर पर रोज़ खड़ी मुश्किल है
हर पल सोच में डूबा दिल है
ज़ख्म मिले ऐसे अपनों से
दिल रहता हर पल बेदिल है
कांटों ने घेरा है ऐसा
फूल न उल्फ़त का हासिल है
पहरा है इतना दुख का ही
हाँ आँखें होती बोझिल है
जिसको समझा अपना साथी
वो ही उल्फ़त का क़ातिल है
नफ़रत ने रोका है रस्ता
न मिली उल्फ़त की मंज़िल है
ग़ैर हुआ वो आज़म मुझसे
यादों में ही जो शामिल है